फंसे छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें बार्डर तक जाने का आदेश मिले
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फंसे छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें बार्डर तक जाने का आदेश मिले



प्रयागराज, यूक्रेन के सूमी मेडिकल यूनिवर्सिटी हास्टल के बंकर में छिपे छात्रों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। गुरुवार की देर रात रूसी हमले में हास्टल से कुछ ही दूरी पर रहा पावर प्लांट उड़ा दिया गया, जिससे पूरे शहर में अंधेरा फैल गया। पिछले 8 दिनों से हास्टल के बंकर में छिपे राजापुर के गंगानगर के रहने वाले अखिलेश मौर्या ने दैनिक जागरण को एक वीडियो भेजा। वीडियो में एक मिसाइल हमले में पावर प्लांट से आग और तेज रोशनी उठती हुई दिख रही है। और थोड़ी देर बाद पूरे शहर में अंधेरा फैल जाता है।अखिलेश बताते हैं कि यह हमला हास्टल के बिल्कुल पास में हुआ है। धमाके से इतनी तेज आवाज आई कि लगा कान फट जाएगा। पावर स्टेशन से उठ रही रोशनी कुछ देर तक जलती रही और अचानक चारों तरफ अंधेरा छा गया है। अखिलेश ने बताया कि अभी तक बिजली थी और बंकर के अंदर दो बल्ब जल रहे थे। रोशनी रहने से थोड़ा साहस बना हुआ था। लेकिन अब चारों तरफ अंधेरा है, जिससे डर और बढ़ गया है। हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि हम क्या करें। हमें वाट्सएप पर मैसेज मिला कि रूस ने पावर प्लांट उड़ा दिया है।हास्टल के बंकर में प्रयागराज के प्रीतम नगर की रहने वाली अर्पिता कुशवाहा भी फंसी हुई है उन्होंने बताया कि बिजली कट जाने के बाद हम लोग बहुत बुरी तरीके से डर गए और यह समझ में नहीं आ रहा था कि अब हम क्या करेंगे। एयर स्ट्राइक का खतरा और बढ़ गया था। सारी रात दहशत में गुजरी, डर था कि कहीं रात में एयरस्ट्राइक न हो और पता नहीं हम अगली सुबह जिंदा रहेंगे या नहीं।

दूसरे शहर से जोड़ी लाइट
पावर प्लांट उड़ाए जाने के कुछ घंटे बाद दूसरे शहर की विद्युत आपूर्ति से सूमी शहर को भी जोड़ा गया। सूमी के मेयर की ओर से बनाए गए आफिशियल ग्रुप से लोगों को संदेश भेजे जा रहे हैं। जिसे लोग एक दूसरे को भेज कर हमले की पल पल खबर से अपडेट रख रहे हैं। बिजली वापस आ जाने के बाद बंकर में राहत मिली।

पानी की एक एक बूंद की जद्दोजहद

अखिलेश ने बताया कि गुरुवार की रात से पानी की आपूर्ति बंद हुई तो शुक्रवार की देर रात तक शुरू नहीं हो सकी। खाना पहले ही खत्म है और स्थानीय यूक्रेनियन नागरिकों द्वारा अंडा आदि खाने के लिए छात्रों को दिया जा रहा है। शुक्रवार को पानी की एक एक बूंद के लिए जद्दोजहद चलती रही। दिन में हल्की धूप आई तो छत पर पड़ी बर्फ के पिघलने का क्रम शुरू हुआ। कुछ छात्रों ने हास्टल के बिल्डिंग को पार कर पाइप का रास्ता साफ किया और अब पाइप से बर्फ का जो पानी गल कर नीचे आ रहा है, उसे पीने के लिए छात्र एकत्रित कर रहे हैं।कमरे में रखा पानी लेने गई अर्पिता

ब्वायज हास्टल से 100 मीटर दूरी पर गर्ल्स हास्टल है। शुक्रवार को जब पानी खत्म हो गया तो अर्पिता कुशवाहा ने अखिलेश से बताया कि उसने अपने कमरे में कुछ पानी भरकर रखा हुआ है। वह उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अर्पिता हास्टल पहुंची और अपने कमरे से बोतल में पानी लेकर ब्वायज हास्टल के बंकर में वापस लौटी तो सूखते गले को दोनों ने तर किया। हालांकि अभी कितने दिन वहां उन्हें फंसा रहना है और यह परेशानी कब तक चलेगी, इस पर बस कल्पना ही की जा सकती है।

रूस सीमा पर बस आने की सूचना

अखिलेश ने बताया कि उनके कांट्रेक्टर और सूमी के मेयर की ओर से सूचना दी गई है कि रूस की सीमा पर बसें आकर खड़ी हुई हैं। संभावना है कि यह बसें यहां फंसे 483 छात्रों को निकालने के लिए इस्तेमाल की जाएंगी। लेेकिन, अभी तक भारतीय दूतावास की ओर से छात्रों को वहां से निकलने की कोई एडवाइजरी नहीं जारी हुई है, जिसके कारण सभी छात्र बंकर में ही छिपे हैं। अगर कोई सूचना आती है तो वह लोग बार्डर की ओर बढ़ेगे, लेकिन जब तक कोई संदेश अधिकृत रूप से नहीं आता वह बंकर में ही रहेंगे। क्योंकि बंकर से बाहर निकलने ही उनकी जान पर खतरा होगा।

65 किमी पर है प्रवेश द्वार

सूमी यूनिवर्सिटी से रूसी सीमा का प्रवेश द्वारा 65 किमी है। इस दूरी को तय करने में बस से मात्र डेढ़ घंटे लगेंगे। यहां फंसे छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें बार्डर तक जाने का आदेश मिले तो वह पैदल भी पहुंच जाएंगे। बस उन्हें हर हाल में यहां से निकलना है और घर जाना है। पिछले आठ दिनों से बंकर में रहते रहते अब घुटन होने लगी है। सायरन की आवाज, धमाकों का शोर अब जिंदगी की जंग पर भारी पड़ रहा है। यूक्रेन के अन्य इलाकों से लोग जा चुके हैं, बस सूमी में ही बड़ी संख्या में छात्र फंसे हैं, जिनमें से अभी तक किसी को भी बाहर नहीं निकाला जा सका है।

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