वाराणसी: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यूपी चुनाव में अपनी पहली और आखिरी रैली बनारस में की. भाजपा को चुनौती देने के लिए सपा गठबंधन के सारे नेता मंच पर मौजूद थे. ओमप्रकाश राजभर, जयंत चौधरी, कृष्णा पटेल, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, किरणमय नंदा सहित सारे बड़े नेता. ममता दो दिन वाराणसी में रहीं और इस दौरान यहां रहने वाले बंगालियों से मुलाकात की.
ममता बनर्जी बुधवार को वाराणसी पहुंची थीं. गंगा आरती के लिए जाते वक्त रास्ते में हिन्दु युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने उनको काले झंडे दिखाए. काशी निवासी अमिताभ भट्टाचार्य के अनुसार वाराणसी में 70 से 80 हजार के करीब बंगाली रहते हैं. बंगीय समाज काशी में बगांलियों का सबसे बड़ा संगठन है. छोटे-छोटे मिला कर कुल बीस संगठन हैं. अमिताभ का मानना है कि ममता दीदी के काशी आने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
श्याम देव राय चौधरी को अपना नेता मानते हैं वाराणसी के बंगाली
उनका तर्क है कि बंगाल के लोगों का जुड़ाव काशी से बहुत पुराना है, यहां के संगीत घरानों, नृत्य घरानों से बंगालियों का पुराना नाता है. श्याम देव राय चौधरी जो कि वाराणसी दक्षिण से 7 बार विधायक रहे उनको यहां का बंगाली समाज अपना नेता मानता था. क्योंकि हमारे सुख दुख में वह हमेशा खड़े रहे. बंगाली आबादी सबसे ज्यादा वाराणसी के दक्षिण विधानसभा सीट पर है.
इसके अलावा हर विधानसभा सीट पर 10-15 हजार बंगाली आबादी है. किरणमय नंदा समाजवादी पार्टी की तरफ से तृणमूल कांग्रेस से समन्वय का काम कर हैं. उनका मानना है कि काशी से बाकी के बचे जिलों में साफ संदेश जाएगा, अबकी बार यूपी में भी खेला होबे. आपको बता दें कि किरणमय नंदा बंगाल में लेफ्ट की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उनकी खुद की पश्चिम बंगाल सोशलिस्ट पार्टी थी, जिसका बाद में सपा में विलय कर दिया.
वाराणसी के पूर्व मेयर ममता बनर्जी के आने का कोई प्रभाव नहीं देखते
वाराणसी के मेयर रह चुके पंडित राम गोपाल मौले कहते हैं कि ममता बनर्जी के आने से काशी की जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के आगे सब बौने हैं. मोदी ने काशी का कायाकल्प कर दिया है, यहां कि जनता विधायक को नहीं अपने सांसद मोदी को वोट देती है. धर्म जाति से उठकर लोग मोदी के नाम पर वोट करते हैं. ममता दीदी के आने से वाराणसी में कोई असर नहीं पड़ने वाला.
यूपी की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले रंजीव कुमार का मानना है कि ममता बनर्जी यूपी में कुछ असर नहीं दिखा पाएंगी. हो सकता है 2024 को ध्यान में रखकर ममता आई हों, मगर वाराणसी में वह बिल्कुल इफेक्टिव नहीं हैं. उनके यहां आने का फायदा तो नहीं नुकसान जरूर हो सकता है. बंगाल चुनाव में जिस तरह ध्रुवीकरण हुआ था कहीं ऐसा ना हो कि ममता दीदी के काशी आने से यहां भी हो जाए.
मुसलमान वोटर 3 लाख के करीब हैं काशी में. आपको बता दें कि वाराणसी में विधानसभा की कुल आठ सीटे हैं. वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट के अंतर्गत ही काशी विश्वनाथ मंदिर और काशी के कोतवाल काल भैरव का मंदिर पड़ता है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है. सारे दलों ने आखिरी चरण के चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है.