नीदरलैंड की औद्यानिक तकनीक का अध्ययन करने पहुँचे उद्यान मंत्री।
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नीदरलैंड की औद्यानिक तकनीक का अध्ययन करने पहुँचे उद्यान मंत्री।



लखनऊ: 27 सितंबर, 2025


प्रदेश के उद्यान, कृषि, विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  दिनेश प्रताप सिंह ने प्रदेश की औद्यानिक खेती में अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के उद्देश्य से नीदरलैंड का दौरा किया। उन्होंने वहाँ की विश्वप्रसिद्ध फार्मिंग तकनीकों, बीज प्रबंधन, उत्पादन विधियों और ग्लास हाउस खेती का गहन अध्ययन किया।

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि नीदरलैंड में उन्नत बीजों और आधुनिक तकनीकों की सहायता से केवल आधा किलो मिट्टी में 16 से 18 फीट ऊँचे मिर्च के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने वहाँ के बीज विक्रेताओं से संवाद स्थापित कर उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की जानकारी प्राप्त की। श्री सिंह ने कहा कि इन बीजों को सूरीनाम से आयात कर राजकीय फार्मों पर पौध तैयार की जा सकती है, जिससे किसानों को सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता की पौध उपलब्ध कराई जा सकेगी।

उन्होंने नीदरलैंड के प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन ग्लास हाउस का अवलोकन किया, जहाँ अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से हरी व लाल मिर्च, खीरा, टमाटर और फूलों की खेती की जा रही है। इन ग्लास हाउसों में क्लाइमेट कंट्रोल, ड्रिप इरिगेशन, सेंसर तकनीक, कीट प्रबंधन और परागण प्रणाली जैसे उन्नत उपाय अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे ग्लास हाउस में एक पौधे से करीब 24 किलो तक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना अधिक है।

उद्यान मंत्री ने वहां की फूलों की नर्सरियों का भी भ्रमण किया, जहाँ संरक्षित खेती के रूप में लगभग 50 एकड़ क्षेत्रफल में ग्लास हाउस स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि इन नर्सरियों में जल प्रबंधन और पौधों की आवश्यकतानुसार नियंत्रण व्यवस्था द्वारा हर मौसम में उच्च गुणवत्ता की खेती की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इन फूलों की अत्यधिक मांग और बेहतर मूल्य मिल रहे हैं। दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि यदि ऐसी तकनीकों को उत्तर प्रदेश के किसानों को उपलब्ध कराया जाए तो न केवल कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होगी, बल्कि किसान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कर अधिक आय अर्जित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजकीय फार्मों पर इन तकनीकों से पौध उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।

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