प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को गुंडे, माफिया मारते-पीटते रहेंगे तो गलत कामों के खिलाफ आवाज कौन उठाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने वाले याचिकाकर्ता संग मारपीट व धमकी के मामले में नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अगर समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को गुंडे, माफिया मारते-पीटते रहेंगे तो गलत कामों के खिलाफ आवाज कौन उठाएगा। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने संत कबीर नगर के डीएम, एसपी सहित कई अधिकारियों को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई अब 15 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने कमल नारायण पाठक की जनहित याचिका पर दिया है। याची ने संत कबीर नगर के उमिला बुद्ध कलां गांव में तालाब, खाद के गड्ढे और खलिहान जैसी सार्वजनिक भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। आरोप लगाया है कि जब वह इस मामले की रिपोर्ट करा रहे थे तो अतिक्रमणकारियों ने उन्हें पीटा और धमकाया। वहीं, कोर्ट को खलीलाबाद के उप-विभागीय अधिकारी से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की जानकारी प्राप्त भी हुई है। अतिक्रमण के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं। अधिवक्ता विजय विक्रम सिंह ने दलील दी कि 26 अप्रैल, 2025 को याची के भाई दीप नारायण पाठक और राज नारायण संग भी मारपीट की गई। एफआईआर दर्ज कराने गए तो खलीलाबाद थाने के एसएचओ ने कथित तौर पर आरोपी सुरेंद्र कुमार पाठक (पूर्व ग्राम प्रधान) और रुदल यादव (वर्तमान प्रधान) के दबाव में उनकी एफआईआर दर्ज करने में देरी की।