अतीत की नींव पर भविष्य की उड़ान,एक सुनहरी यात्रा की कहानी
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अतीत की नींव पर भविष्य की उड़ान,एक सुनहरी यात्रा की कहानी

 


प्रदीप बच्चन (ब्यूरो चीफ)

बलिया/वाराणसी (यूपी) समय जैसे पंख लगाकर उड़ गया। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते है, तो महिला भूमिहार समाज की यह यात्रा सिर्फ वर्षों की नहीं,एक मिशन की कहानी है। सपनों को हकीकत में बदलने की। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की और हर कदम पर नयी ऊँचाइयों को छूने की।वरिष्ठ साहित्यकार एवं वाराणसी की लोकप्रिय पत्रकार प्राची राय ने दूरभाष से जानकारी देते हुए हमारे वरिष्ठ संवाददाता-प्रदीप बच्चन को बताया कि MBS की नींव सन् 2015 में डॉक्टर राजलक्ष्मी राय द्वारा रखी गई,जिसका रजिस्ट्रेशन 21 अगस्त 2024 को किया गया। इसका नींव रखने का उद्देश्य मात्र इतना ही था कि भूमिहार समाज में पुरुषों  की भागीदारी तो थी। लेकिन महिलाएं एक मंच पर कही भी संगठित नहीं थी।

महिला भूमिहार समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था,महिलाओं को एक मंच पर सुसंगठित करना।

कहा भी गया है कि "संघे शक्ति बलियसी" निसंदेह ! एकजुट होकर रहने से शक्ति,सामर्थ्य और निडरता आती है। क्योंकि कोई भी कार्य या संगठन की शुरुआत या निर्माण होता है तो तमाम विघ्न–बाधाएं भी आती हैं। विरोध के स्वर भी मुखर होते हैं। लेकिन जब किसी कार्य का शुभारंभ शुभ और कल्याणकारी योजनाओं को लेकर किया जाता है,तो संघर्ष का भी आनंदपूर्वक स्वागत किया जाता है।

संघर्ष,साथ और समर्पण ये तीनों किसी भी संगठन का हिम्मत और हौंसला बढ़ाते हैं। प्रारंभ में मुश्किलों  का सामना डॉ० राजलक्ष्मी जी को करना पडा था। लेकिन दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से यह एक आंदोलन बन गया।यहां ये पंक्तियां चरितार्थ  होते है l _संघर्ष की आग में जो तपते हैं,वही जीवन में आगे बढ़ते हैं।राह कठिन हो तो मत घबराना,

सपनों को सच करके दिखाना"।

संस्था ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। कोविड  जैसी महामारी मे जरुरतमंद को आवश्यक नुसार सामान देना,मातृदिवस पर वृद्धाश्रम  मे उन.माताओ को उपहार देकर  मातृदिवस मनाना जिनके अपने होकर भी अपने नहीं थे।वंचित बच्चो को दीवाली पर उपहार देकर उनके साथ दीवाली मनाना,एवं वाराणसी घाट पर दीपोत्सव मनाना। मकर संकान्ति  पर  जरुरत मंदों को त्योहार का सामान वितरण करना। ठंड से बचाव के लिए  मलिन बस्तियों मे कंबल वितरण।प्रत्येक वर्ष सांस्कृतिक  कार्यक्रम  का आयोजन करना,बजरे पर रंगारंग/ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करना,वसंतोत्सव,अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस, होली मिलन,सावनोत्सव,मेंडरिन डांडिया जैसे कार्यक्रम  का आयोजन करना।

कोलकाता के डॉक्टर बेटी को न्याय दिलाने के लिए शहीद उद्यान  मे प्रदर्शन और नुक्कड नाटक का सफलता पूर्वक मंचन। 

पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण कराके महिलाओ को पर्यावरण के प्रति जागरूक  कराना।  महिलाओं को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण हेतु महत्वकांक्षा योजना के तहत अपने समाज की जरुरतमंद बच्चियों को  ब्यूटीशियन का कोर्स कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।

अपने समाज की निर्बल कन्या के विवाह हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना। महाकुंभ के दौरान काशी आये श्रद्धालुओं को राहत शिविर मे लंच पैकेट का वितरण करना। इन उपलब्धियों ने ना केवल संस्था की विश्वसनीयता बढ़ाई, बल्कि समाज को भी नई दिशा दी। महिला भूमिहार समाज सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि एक सोच है। शिक्षा,स्वास्थ्य,महिला सशक्तिकरण,पर्यावरण या आजीविका,हर क्षेत्र में इसने बदलाव लाने का प्रयास किया है। जैसे दो बच्चो की शिक्षा का दायित्व,महिला भूमिहार समाज की  महिलाओ ने ले रखा है। 

आज बच्चे अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्ति के लिए अग्रसर है।

भविष्य की राह:

महिला भूमिहार समाज अब अपने अगले दशक की योजना बना रही है। और भी विस्तृत परियोजनाएँ, नई तकनीकों का समावेश और अधिक समुदायों तक पहुँचना इसका लक्ष्य है।

आज हम स्थापना दिवस का समारोह कर रहे.है।  यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सभी का योगदान का सम्मान है, जिसने इस यात्रा को संभव बनाया। यह वर्षगांठ एक नया संकल्प लेने का अवसर है कि हम सब  मिलकर इस बदलाव की रफ्तार को और तेज़ करें।

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