मुख्य सचिव ने सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश
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मुख्य सचिव ने सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश



दिनांक: 13 जुलाई 2025


लखनऊ: मुख्य सचिव  मनोज कुमार सिंह ने सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

       अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में यूरिया और डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को अगले 15 दिनों तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे कृषि, सहकारिता और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी केंद्रों पर यूरिया और डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। एक भी केन्द्र ऐसा नहीं होना चाहिए, जहां उर्वरक की उपलब्धता न हो। जैसे ही किसी केंद्र पर खाद का स्टॉक 80 से 90 प्रतिशत तक समाप्त हो, वहां नया स्टॉक तत्काल पहुंचाया जाए।  

        उन्होंने कहा कि बिक्री पारदर्शी तरीके से हो और दुकानदारों द्वारा प्रत्येक किसान को उर्वरक खरीद की रसीद अनिवार्य रूप से दी जाए। साथ ही, उर्वरकों की होल्डिंग (जमाखोरी) को सख्ती से रोका जाए। केंद्र पर किसी भी स्थिति में उर्वरकों की बिक्री निर्धारित विक्रय मूल्य से अधिक पर नहीं होनी चाहिए। ऐसी शिकायत मिलने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी प्रकार निजी दुकानों पर भी निर्धारित मूल्य से अधिक पर उर्वरकों की बिक्री व अन्य उत्पादों की अनिवार्य टैगिंग कतई नहीं होनी चाहिए। सीमावर्ती जनपदों में विशेष निगरानी रखी जाए। उर्वरक वितरण में कालाबाजारी या जमाखोरी की सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई की जाए।  

         उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि 9 जुलाई को प्रदेशभर में रोपित पौधों की देखभाल और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। जिन जनपदों में बारिश कम हुई है, वहां सिंचाई की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि पौधों को नुकसान न हो। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि खेतों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की उपलब्धता रहे।

        उन्होंने कहा कि स्कूल पेयरिंग का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वातावरण उपलब्ध कराना है। माननीय न्यायालय द्वारा इस फैसले को संवैधानिक और जनहित में बताया गया है। इस बारे में फैलाई जा रही भ्रामक खबरों का खंडन किया जाए। यह भी कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा खाली भवन के उपयोग पर विचार किया जाये। भवन के आंगनबाड़ी केन्द्र के रूप में उपयोग किए जाने पर इस बात का ध्यान रखें कि यहाँ 3-6 वर्ष की आयु के बच्चे होंगे। केंद्र में बच्चे आसानी से पहुंच सकें और मौजूदा बुनियादी ढांचा सुरक्षित हो। ऐसे सभी आंगनवाड़ी केंद्रों का दर्जा बाल वाटिका के समान होगा।

         बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त 

 दीपक कुमार, प्रमुख सचिव कृषि 

 रवींद्र कुमार, प्रमुख सचिव वन  अनिल कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा  कंचन वर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।

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