नाग पंचमी के दिन सपहा बाबा की पूजा अर्चना की गई,लगा भव्य मेला
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नाग पंचमी के दिन सपहा बाबा की पूजा अर्चना की गई,लगा भव्य मेला

 


प्रदीप बच्चन (ब्यूरो चीफ)

बलिया (यूपी) नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा,क्षेत्र के लोगों द्वारा धूमधाम से किया गया। इस दिन मनियर ब्लॉक के असना गांव के मनियर/ सिकंदरपुर मुख्य मार्ग पर मेला भी लगा तथा गांव ही नहीं बल्कि दूर-दूर गांव के लोग भी बड़े बांस में झंडा पताका लगाकर रामजीत बाबा का जयकार लगाते हुए, जुलूस के साथ रामजीत बाबा के जयकारा लगाते हुए पहुंचे। स्थान पर अपना झंडा रख करके बाबा के स्थान पर दूध लावा रोट इत्यादि पूजन सामग्री को चढ़ाया। नवयुवक मंगल दल के युवाओं ने डीजे के साथ भक्ति गानों की धुन पर थिरकते हुए मंदिर पर पहुंचे। मंदिर पर कुश्ती दंगल का भी आयोजन किया गया। जिसमें कई जोड़ी पहलवानों ने अपनी जोर आजमाइश की। ग्रामीणों के अनुसार बताया जाता है कि असना गांव में रामजीत बाबा का पिंड का निर्माण करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अकलू राजभर ने किया था। यह गांव बहेरा नाले के किनारे बसा हुआ है। जहां जंगल हुआ करता था और विषैले सर्प इस क्षेत्र में रहा करते थे। सर्प के डंसने से लोग काल कवलित हो जाते थे। एक मजदूर अकलू राजभर ने ग्राम मुड़ियारी स्थित राम जी बाबा के पिंड के पास से मिट्टी लाकर असना गांव में रामजीत बाबा का पिंड स्थापित किया। पिंड स्थापना के बाद सिर्फ तीन लोग ही सर्प डंसने से मृत्यु हुई हैं। ऐसा ग्रामीणों का मानना है। ग्रामीण सूरज सिंह का कहना है कि आज से 40 वर्ष पूर्व जब चकबंदी हो रही थी तो उस समय एक रोचक घटना घटी।मनियर/ सिकंदरपुर रोड का निर्माण कार्य किया जा रहा था। कि रंजीत बाबा का पिंड स्थान रोड के मध्य आ रहा था। कानूनगो मजदूरों को बाबा के पिंड स्थान को उखाड़ फेंकने का आदेश दे दिया। कानूनगो से लोगों ने रामजीत बाबा के नाम पर मंदिर के लिए चक काटने के लिए कहा तो कानूनगो ने कहा कि मंदिर के लिए चक की क्या जरूरत है? अगली रात में कानूनगो सोए हुए थे तो रामजीत बाबा सर्प के रूप मे उनके छाती पर प्रकट हुए। "अरे मूर्ख मेरे पिंड स्थान को क्यों उखाड़ने का आदेश दिया,मेरा पिंड यदि उखाड़ा तो तेरा सर्वनाश हो जाएगा"। यह कह सर्प रूपी रामजीत बाबा अंतर्ध्यान हो गए। कानूनगो भयभीत हो गए। अगले ही दिन उन्होंने साढ़े छः कट्ठा जमीन रामजीत बाबा के मंदिर के नाम से कर दिया।और निर्माणाधीन रोड को बाबा के पिंड स्थान से उत्तर दिशा में हट कर निर्माण कराया गया जो आज भी देखा जा सकता है। लोगों का मानना है कि रामजीत बाबा के स्थान पर सर्प का डंसा हुआ व्यक्ति आ जाता है तो वह ठीक होकर वापस लौट जाता है।

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