प्रदीप बच्चन(ब्यूरो चीफ)
बलिया (यूपी) सागरपाली गांव में तेल और गैस मिलने की संभावना पर ओएनजीसी की ओर से खोदाई का काम शुरू कर दिया गया है।खोदाई के लिए कंपनी आधुनिक उपकरणों व मशीनों की मदद ले रही है। यहां तीन हजार मीटर तक खोदाई की जाएगी।पत्रकार सैयद सेराज अहमद ने जानकारी देते हुए हमारे वरिष्ठ संवाददाता-प्रदीप बच्चन को बताया कि कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो तीन किलोमीटर के क्षेत्रफल में तेल की खोज के लिए खोदाई की जाएगी। इसके लिए नसीराबाद और नरही गांव चिह्नित किए गए हैं। दोनों स्थानों पर खोदाई का खाका तैयार है।
कंपनी के वित्त व लेखा महाप्रबंधक संजीव हजारिका का कहना है कि बलिया से प्रयागराज तक करीब तीन सौ किमी तक धरती के अंदर तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार होने के संकेत मिले हैं। उसी के तहत सबसे निचले स्तर बलिया के सागरपाली रट्टूचक में खोदाई की जा रही है।
ओएनजीसी के अधिकारी तेल के साथ गैस मिलने की भी संभावना जता रहे हैं। इससे 30 साल तक देश काे तेल का बड़ा भंडार मिल सकता है। 40 तरह के पेट्रोलियम उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
शेरे चित्तू पांडेय के गांव रट्टूचक सागरपाली में उनके परिजनों से 10 एकड़ खेत लीज पर लेकर ओएनजीसी तीन किमी अंदर तक खोदाई कर रही है। अब तक खोदाई 700 मीटर तक पहुंच चुकी है। पानी के बाद दूसरी बार चट्टान मिलने के कारण मंगलवार को खोदाई रुकी रही। इंजीनियरों की टीम चट्टान की खोदाई करने वाली मशीन लगाने में व्यस्त रहे। चट्टान की खोदाई के लिए देहरादून से पिछले दिनों मशीनें आई हैं।
रट्टू चक गांव में खोदाई अचानक नहीं हो रही है। ओएनजीसी की विशेष सर्वे टीम पूरे देश में सैसमिक सर्वेक्षण कार्य में जुटी है। करीब सात वर्ष पूर्व उतराखंड यूपी व बिहार के गंगा के तटवर्ती इलाके में सैसमिक सर्वेक्षण किया गया था। ओएनजीसी की ओर से तैयार किए गए नक्शे पर इंजीनियरों की टीम ने तार बिछाए। इसका कनेक्शन कंप्यूटर से लैस विशेष वाहन से किया गया। विशेष वाहन का कनेक्शन देहरादून से जुड़ा था। 100 मीटर पर करीब 100 फीट जमीन की बोरिंग कर उसमें तार को कनेक्ट किया गया। फिर गड्ढे में विस्फोटक से धमाका किया गया। विस्फोट से धरती में कंपन हुआ तो तरंग जमीन के नीचे तक गई।
फिर तरंग नीचे से टकराकर वापस तार के जरिये कंप्यूटर से कनेक्ट हुई और ग्राफ तैयार हुआ। इसके बाद देहरादून में उसका विश्लेषण किया गया तो सामने आया कि कच्चे तेल की मौजूदगी कहां पर है।
कंपनी के अधिकारियों ने शहर से सटे हैबतपुर में आकर तीन किमी खोदाई के लिए भूखंड की मार्किंग की थी लेकिन तकनीकी कारणों से उस स्थान की जगह रट्टू चक व नसीराबाद में खोदाई के लिए स्थान तय हुआ। उसके दो वर्ष बाद कंपनी ने गंगा व सरयू के बीच के क्षेत्रों में मशीन से बोरिंग कर उसी तरह विस्फोटक कर सैसमिक सर्वेक्षण किया। जांच के बाद तेल व गैस की संभावना बढ़ने पर 3000 मीटर जमीन के अंदर तक खोदाई शुरू हुई। तेल और गैस का भंडार मिलने से न सिर्फ बलिया, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में व्यापार और रोजगार के अवसर खुलेंगे।