इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि किसी फर्म को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश अनिश्चितकाल के लिए नहीं हो सकता है। कोर्ट ने जिला अधिकारी झांसी की ओर से याची की फर्म को बिना कोई वैधानिक कारण बताए ब्लैक लिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही एक लाख रुपये याची को हर्जाना देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ रामराज कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर जोहर सिंह की दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। मामले में याची ने बुंदेलखंड पैकेज तृतीय चरण योजना के कार्य में टेंडर डाला था। बाद में निविदा प्रक्रिया में धांधली करने के आरोपों की जांच हुई और याची के फर्म को दोषी पाते हुए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। बाद में अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट करने का आदेश जारी कर दिया। इस दौरान याची को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं दिया गया। कोर्ट ने इसे अधिकारियों की शक्ति का दुरुपयोग माना और फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता एक लाख रुपये हर्जाना पाने का हकदार है।