गोण्डा। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी न उपलब्ध कराए जाने को लेकर परियोजना अधिकारी, नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। आवेदक द्वारा डूडा कार्यालय से विभिन्न निर्माण कार्यों एवं उनके सापेक्ष किए गए भुगतान से संबंधित विवरण मांगा गया था, लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। सूत्रों के अनुसार, आरटीआई आवेदन की निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने के बाद आवेदक ने प्रथम अपील भी दायर की, इसके बावजूद भी संबंधित परियोजना अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। सूचना न मिलने से आवेदक आहत है और विभागीय पारदर्शिता को लेकर कई तरह की शंकाएं उत्पन्न हो रही हैं।
आरटीआई एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, समय पर सूचना देना संबंधित अधिकारी की वैधानिक जिम्मेदारी है। इसके उल्लंघन की स्थिति में न केवल विभागीय लापरवाही उजागर होती है, बल्कि जनता के बीच शासन-प्रशासन की छवि भी प्रभावित होती है। लगातार अनदेखी से क्षुब्ध आवेदक ने अब राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील दायर करने की तैयारी कर ली है। मामले को लेकर जानकारों का कहना है कि यदि सूचना आयोग द्वारा संज्ञान लिया जाता है तो संबंधित अधिकारी पर जुर्माना और विभागीय कार्रवाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
