पहाड़ापुर रामजानकी मंदिर की करोड़ों की मूर्ति चोरी: 48 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली
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पहाड़ापुर रामजानकी मंदिर की करोड़ों की मूर्ति चोरी: 48 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली

 


सीसीटीवी खंगालने तक सीमित रही कार्रवाई, न चोर पकड़े गए न मूर्तियां बरामद


गोण्डा। जिले के कटरा बाजार थाना क्षेत्र अन्तर्गत पहाड़ापुर गांव स्थित प्राचीन रामजानकी मंदिर से श्रीराम की संगमरमर एवं सीता की सैकड़ों वर्ष पुरानी अष्टधातु की मूर्तियों की चोरी को अड़तालीस घंटे से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अब तक न तो चोरों तक पहुंच सकी है और न ही चोरी गई मूर्तियों की कोई बरामदगी कर पाई है। इस सनसनीखेज वारदात ने न सिर्फ इलाके में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि पुलिस की गश्त, निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना के बाद पुलिस ने मंदिर एवं आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने का दावा किया, लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लग सका। पुलिस अब अन्य मार्गों और दुकानों पर लगे कैमरों की जांच की बात कह रही है, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान घटना के तुरंत बाद ही चोरों की पहचान और दिशा की ओर इशारा कर चुके हैं।


दिनदहाड़े वारदात, ग्रामीणों ने किया पीछा फिर भी फरार हुए चोर


मंदिर के सेवादार हरिशंकर पांडेय ने बताया कि घटना के समय उनके भाई उमाशंकर परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घर के बाहर अलाव ताप रहे थे। तभी दो युवक बाइक से आए। एक युवक मंदिर के अंदर गया और कुछ ही पलों में श्रीराम की संगमरमर व माता सीता की अष्टधातु की मूर्ति को बगल में दबाकर बाहर निकल आया। शक होते ही ग्रामीणों ने शोर मचाया और बदमाशों का पीछा भी किया, लेकिन बाइक सवार चोर कुछ दूरी पर फरार होने में सफल रहे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बदमाशों की उम्र करीब 30 से 32 वर्ष के बीच बताई जा रही है और वे पूरी तैयारी के साथ आए थे। इससे यह साफ होता है कि यह कोई आकस्मिक चोरी नहीं, बल्कि सुनियोजित अपराध है।


पुरानी घटनाओं से सबक लेने में नाकाम पुलिस


गौरतलब है कि इसी जिले में बीते 16 जुलाई को परसपुर रियासत के प्राचीन राज मंदिर से राम–लक्ष्मण और लड्डू गोपाल की अष्टधातु की मूर्तियों तथा सिंहासन की चोरी हुई थी। हैरानी की बात यह है कि उस मामले को भी पांच महीने बीत चुके हैं,लेकिन आज तक न तो चोर पकड़े गए और न ही मूर्तियों का कोई सुराग मिला। अब पहाड़ापुर की घटना ने यह सवाल और गहरा कर दिया है कि आखिर मंदिरों की सुरक्षा को लेकर पुलिस कितनी गंभीर है?


करोड़ों की आस्था, कागजों की सुरक्षा


ग्रामीणों के अनुसार चोरी गई मूर्तियों की कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है। गांव निवासी उमाशंकर ने बताया कि उनके बाबा पंडित उत्तरीदीन ने वर्ष 1909 में मंदिर का निर्माण कराया था और 23 मार्च 1909 को राम, जानकी, लक्ष्मण, राधा और कृष्ण की अष्टधातु की मूर्तियों की स्थापना कराई थी। कुछ माह पूर्व रामजी की पुरानी अष्टधातु की मूर्ति खंडित हो जाने पर संगमरमर की नई प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कराई गई थी, जिसे चोर उठा ले गए।


एसओजी तैनात, लेकिन नतीजा शून्य


प्रभारी निरीक्षक राजेश सिंह का कहना है कि एसओजी और सर्विलांस समेत कई टीमें जांच में लगी हैं और जल्द ही घटना का खुलासा किया जाएगा। हालांकि, बीते 48 घंटों में कोई ठोस सफलता न मिलना पुलिस के इन दावों को खोखला साबित कर रहा है।


सवाल जो अब भी अनुत्तरित हैं- जब गांव में दिनदहाड़े वारदात हुई तो पुलिस गश्त कहां थी? कीमती और ऐतिहासिक मूर्तियों की सुरक्षा के क्या ठोस इंतजाम थे? लगातार हो रही मंदिर चोरी की घटनाओं के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं? क्या आस्था के स्थलों की सुरक्षा केवल फाइलों तक ही सीमित है? घटना के बाद गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, लेकिन मूर्तियों की बरामदगी और चोरों की गिरफ्तारी के बिना यह कार्रवाई केवल खानापूर्ति मानी जा रही है। ग्रामीणों में भय के साथ-साथ पुलिस के प्रति गहरा आक्रोश और अविश्वास साफ नजर आ रहा है।

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