अमान्य स्कूलों पर कार्रवाई का आदेश ठंडे बस्ते में,प्रशासन की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल
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अमान्य स्कूलों पर कार्रवाई का आदेश ठंडे बस्ते में,प्रशासन की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल



विद्यालयों में न तो हुई छापेमारी, न ही किसी अमान्य/डमी स्कूल पर कार्रवाई 


जिले में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल संचालित जिनकी मान्यता कक्षा 5 या 8 तक, लेकिन वे मनमाने तरीके से कक्षा 12 तक करा रहे हैं पढ़ाई


गोंडा। जिले में अमान्य स्कूलों पर लगाए जाने वाले ताले और उनकी जांच के लिए बनी समिति की घोषणा के बाद भी कार्रवाई का आदेश ठंडे बस्ते में है, जिससे प्रशासन की निष्क्रियता सवाल उठ रहे हैं। ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से अभिभावक और जागरूक नागरिकों में रोष बढ़ता जा रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देश और डीआईओएस की अध्यक्षता में गठित समिति के बावजूद अब तक किसी भी विद्यालय पर न तो छापेमारी हुई और न ही किसी अमान्य/डमी स्कूल पर कार्रवाई की गई है। हाल ही में शासन स्तर पर पाया गया था कि जिले में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल संचालित हैं जिनकी मान्यता केवल कक्षा 5 या 8 तक है, लेकिन वे मनमाने तरीके से कक्षा 12 तक पढ़ाई करा रहे हैं। इतना ही नहीं, ऐसे स्कूल दूसरे मान्यता प्राप्त विद्यालयों से फर्जी समझौता कर छात्रों का पंजीकरण करा देते हैं। इससे छात्र और अभिभावक अनजाने में ठगे जाते हैं और बाद में परीक्षा के समय उनका भविष्य अधर में लटक जाता है। शासन ने इस गंभीर अनियमितता पर रोक लगाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों की संयुक्त समिति गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन आदेश लागू होने के कई दिनों बाद भी कोई टीम मौके पर नहीं पहुँची है। अभिभावकों का कहना है कि—“अगर कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही, तो ऐसे स्कूल मासूम बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते रहेंगे। शासन को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।” सूत्र बताते हैं कि कई विद्यालय खुलेआम बिना मान्यता के नामांकन जारी रखे हुए हैं। कुछ जगहों पर तो परीक्षा शुल्क भी जमा कराया जा रहा है। शिकायतों के बावजूद अधिकारी विद्यालयों का निरीक्षण करने तक नहीं पहुँचे हैं। इस बीच शिक्षा विभाग की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा आदेश जारी करने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि कार्रवाई तुरंत शुरू होगी, लेकिन अब तक केवल फाइलों में नोटिंग और मीटिंगों तक ही मामला सीमित है। विशेषज्ञों का कहना है कि-“शासन के आदेश का पालन न होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। जब तक पहली ही कार्रवाई नहीं होगी, अमान्य स्कूलों का मनोबल बढ़ता जाएगा।” अब अभिभावकों और समाजसेवियों की मांग है कि जिले में संचालित सभी अमान्य/डमी स्कूलों की तत्काल जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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