गोंडा। जनपद के थाना परसपुर क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम पंचायत डेहरास के गदापुरवा में पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। डायल 112 (यूपी 32 डीजी 7365) पर तैनात पुलिसकर्मियों की कथित मिलीभगत से दबंगों द्वारा एक पत्रकार की रास्ते की जमीन पर जबरन पिलर गाड़कर कब्जा कराए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। घटना शनिवार 20 दिसंबर की है, जब दबंगों ने पीआरवी डायल 112 को बुलाकर पुलिस की मौजूदगी में बिना किसी राजस्व कर्मी,लेखपाल या नाप-जोख के पत्रकार रमेश चन्द्र पाण्डेय की रास्ते की जमीन पर लोहे के पिलर गड़वा दिए। हैरानी की बात यह रही कि पुलिस ने कानून का पालन कराने के बजाय कब्जे को संरक्षण दिया। मामला मीडिया में उजागर होने के बाद भी हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते चले गए। बताया जाता है कि गुरुवार 25 दिसंबर को जब पत्रकार रमेश चन्द्र पाण्डेय अपने घर का हाल जानने पहुंचे, तो दबंगों ने बिना किसी विवाद के फिर से डायल 112 बुला ली। पुलिस मौके पर पहुंची और उल्टा पत्रकार को ही “पिलर न उखाड़ने” की हिदायत दे डाली, जबकि पिलर उखाड़ने की कोई कोशिश ही नहीं की जा रही थी। जब पत्रकार ने डायल 112 पुलिस से सवाल किया कि बिना लेखपाल और राजस्व विभाग की मौजूदगी में पिलर गाड़ना पूरी तरह अवैध है और यह सब पुलिस की शह पर हुआ है, तो पुलिस ने बचाव में कहा- “हम तो आए ही नहीं थे, अगर ऐसा हुआ है तो गलत है।” लेकिन इसके बावजूद कथित तौर पर “शांति व्यवस्था” के नाम पर पत्रकार को ही रोका गया,जिससे पुलिस की भूमिका और संदिग्ध हो गई। सबसे गंभीर बात यह है कि 20 दिसंबर को पुलिस की मौजूदगी में ही दबंगों ने पत्रकार के घर की महिलाओं को गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी। दबंग संदीप पाठक की भाले के साथ तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है,इसके बावजूद आज तक पत्रकार की एफआईआर दर्ज नहीं की गई। यह साफ़ संकेत है कि दबंगों को कानून का कोई भय नहीं है। जानकारों का कहना है कि जमीन विवाद में लेखपाल फीता और गुनिया से नाप कर ही तय करता है कि जमीन किसकी है,लेकिन यहां डायल 112 पुलिस ने बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के “देखते ही” फैसला सुना दिया कि जमीन दबंगों की है। इतना ही नहीं,आरोप है कि एक दरोगा ने पत्रकार के दरवाजे के सामने खुदाई कराकर लोहे का पिलर भी गड़वा दिया। सूत्रों के मुताबिक दबंग इस रास्ते को रोककर आगामी चुनावों में ग्रामीणों पर दबाव बनाना चाहते हैं,ताकि अपने पक्ष में वोट डलवाया जा सके। बात न मानने पर पहले भी रास्ता रोकने और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां दी जा चुकी हैं। इस पूरे प्रकरण के बाद पत्रकार रमेश चन्द्र पाण्डेय और उनके परिवार की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यदि भविष्य में पत्रकार के साथ कोई हमला, झूठा मुकदमा या कोई अनहोनी होती है, तो इसके लिए डायल 112 पुलिस और दबंगों की मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा। आज हालात यह हैं कि पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये से एक ओर जहां पत्रकार परिवार का कानून व्यवस्था से भरोसा टूट रहा है,वहीं दूसरी ओर दबंगों के हौसले आसमान छू रहे हैं। अब सवाल यह है कि- क्या गोंडा पुलिस पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी या दबंगों की ढाल बनकर लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलती रहेगी?
