बिहुरी गांव के 165 ग्रामीणों से छीना गया मताधिकार? ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन
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बिहुरी गांव के 165 ग्रामीणों से छीना गया मताधिकार? ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

 


बीएलओ–राजस्व निरीक्षक पर सुनियोजित साजिश व मिलीभगत का आरोप


कर्नलगंज, गोंडा। तहसील क्षेत्र के विकासखंड परसपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत बसंतपुर आंटा के बिहुरी गांव में लोकतंत्र की जड़ों को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। करीब 165 ग्रामीणों को मतदाता सूची से बाहर कर दिए जाने के आरोप में ग्रामीणों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और इसे सुनियोजित साजिश व प्रशासनिक मिलीभगत करार दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में तैनात बीएलओ अर्चना सिंह और राजस्व निरीक्षक गुरु प्रसाद पाण्डेय की कथित मिलीभगत के चलते जानबूझकर सैकड़ों लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए गए। इससे न सिर्फ ग्रामीणों का संवैधानिक अधिकार छीना गया, बल्कि उन्हें अब नाम जुड़वाने के लिए लगभग 13 किलोमीटर दूर कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बीएलओ पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया की समुचित जानकारी नहीं थी, जिसके चलते उन्होंने अपने 18 वर्षीय बेटे से कुछ नाम ऑनलाइन दर्ज करवा दिए। इससे पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।


एसडीएम से पूर्व में की गई थी शिकायत, फिर भी कार्रवाई शून्य


ग्रामीणों का कहना है कि इस लापरवाही को लेकर पहले ही उपजिलाधिकारी को शिकायत पत्र दिया गया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान के पति सुरेश चंद्र गोस्वामी ने साफ आरोप लगाया कि यह सब बीएलओ और राजस्व निरीक्षक की मिलीभगत से योजनाबद्ध तरीके से किया गया, ताकि गांव के एक बड़े तबके को मतदान से वंचित रखा जा सके। विरोध प्रदर्शन में आलोक गोस्वामी, कमलेश गोस्वामी, मनोज गोस्वामी, अतुल गोस्वामी, ज्ञानचंद्र गोस्वामी, पारसनाथ गोस्वामी, राजकुमार गोस्वामी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल रहे। सभी ने एक स्वर में इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।ग्रामीणों ने एसडीएम से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी विभागीय व कानूनी कार्रवाई की मांग की है। वहीं इस मामले में बीएलओ अर्चना सिंह ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खुद को निर्दोष बताया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सैकड़ों ग्रामीणों को जानबूझकर मतदान से वंचित किया गया? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई या फिर मामला फाइलों में दबा दिया जाएगा? अब निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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