आदेश का पालन न होने से पत्रकारों में नाराजगी,प्रेस की स्वतंत्रता पर भी सवाल।
पत्रकारों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते,जिससे प्रशासन और प्रेस के बीच संवाद की बनी हुई है कमी।
गोंडा। उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आदेशों की गोंडा जनपद में खुलेआम अवहेलना हो रही है। यहां सूचना निदेशक का आदेश हवा हवाई साबित हो रहा है और जिला स्तरीय स्थायी समिति की बैठकें कागजी खेल बनकर रह गई हैं। विदित हो कि सूचना निदेशक विशाल सिंह द्वारा 30 जून 2025 को जारी आदेश संख्या-480 सू०एवं ज०सं०वि० (प्रेस)-42/2024) के माध्यम से समस्त उपनिदेशक/सहायक निदेशक/जिला सूचना अधिकारी/प्रभारी जिला सूचना अधिकारी, जिला सूचना कार्यालय को जिला स्तरीय स्थायी समिति की बैठक प्रत्येक माह नियमित रूप से आयोजित करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। इस समिति का उद्देश्य पत्रकारों और जिला प्रशासन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करना तथा प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना है। लेकिन गोंडा में यह आदेश महज कागजी औपचारिकता बनकर रह गया है। जानकारी के अनुसार, गोंडा में कई वर्षों से स्थायी समिति की बैठकें आयोजित नहीं हुईं। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि न तो समिति का गठन नियमित रूप से हो रहा है और न ही बैठकों का आयोजन। यह स्थिति तब है, जब शासन और निदेशालय स्तर से समय-समय पर इस संबंध में निर्देश जारी होते रहे हैं। पत्रकारों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते,जिससे प्रशासन और प्रेस के बीच संवाद की कमी बनी हुई है। सूचना निदेशक ने अपने पत्र में जिलाधिकारियों को समिति की बैठकें आयोजित कराने और कार्यवृत्त निदेशालय को भेजने का निर्देश दिया था। साथ ही, एक सप्ताह के भीतर गठन और बैठक के विवरण मांगे गए थे। लेकिन गोंडा में इस आदेश का पालन न होने से पत्रकारों में नाराजगी है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "बैठकें न होने से पत्रकारों की समस्याएं प्रशासन तक नहीं पहुंच पातीं। यह प्रेस की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाता है। वहीं ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन गोंडा के जिलाध्यक्ष प्रदीप तिवारी का कहना है कि गोण्डा जिले में स्थाई समिति की बैठक कई वर्षों से नहीं हुई है। ऐसे आदेश आते-जाते रहते हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। "जिला प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि स्थानीय पत्रकारों को न तो समिति के गठन की जानकारी दी जाती है और न ही बैठक के लिए कोई प्रयास दिखता है। इस लापरवाही से न केवल शासन के निर्देशों की अवहेलना हो रही है, बल्कि पत्रकारों और प्रशासन के बीच विश्वास का संकट भी गहरा रहा है। स्थानीय पत्रकार अब मांग कर रहे हैं कि जिलाधिकारी इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित कराई जाएं। सूचना निदेशक के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की भी जरूरत महसूस की जा रही है।