प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय निरन्तर संवाद से समाप्त होगा रैगिंग का विकृत स्वरूप- प्रोफेसर सत्यकाम
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प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय निरन्तर संवाद से समाप्त होगा रैगिंग का विकृत स्वरूप- प्रोफेसर सत्यकाम



प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय निरन्तर संवाद से समाप्त होगा रैगिंग का विकृत स्वरूप- प्रोफेसर सत्यकाम 


यूजीसी की पहल पर मुविवि में एंटी रैगिंग सप्ताह के अंतर्गत वेबिवनार का आयोजन 


उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पहल पर एण्टी रैगिंग सप्ताह के उपलक्ष्य में बुधवार को उच्च शिक्षण संस्थाओं में रैगिंग वरदान है या अभिशाप विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता करते हए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि संस्थाओं के वरिष्ठ शिक्षार्थी कनिष्ठ शिक्षार्थियों से भ्रातृवत्, मित्रवत् व्यवहार करें और वे एक साथ बैठें, एक-दूसरे से मिले तथा संस्था के नियमों एवं क्रियाकलापों की जानकारी साझा करें तथा परिसर में ऐसा वातावरण बनाए, जिसमें सभी एक-दूसरे के मित्र बनें शत्रु नहीं क्योंकि शत्रुता संस्था के लिए विनाशकारी होती है। एक-दूसरे से लगातार संवाद में रहें, क्रोध एवं आवेश से बचें। छोटे भाइयों के साथ मिल-जुलकर कार्य करें और संस्था के विकास का पथ प्रशस्त करें। शिक्षकों को भी शिक्षार्थियों से निरन्तर संवाद स्थापित करते हुए रैगिंग के विकृत स्वरूप को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। 

वेबिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रदीप कुमार पाण्डेय, निदेशक, शोध एवं विकास ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें शिक्षार्थियों के साथ मिलकर कुछ ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे यह रैगिंग जो उच्च शिक्षण संस्थाओं के लिए अभिशाप बनी हुई है वह संस्थाओं के लिए वरदान बनें। रैगिंग नाम की व्याख्या के साथ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए प्राचीन गुरुकुल परम्परा की व्याख्या की तथा बताया कि उस समय ऐसी व्यवस्था नहीं थी। गुरुजन ही नए शिक्षार्थियों का परिचय वरिष्ठ छात्रों से करवाते थे। मूलतः यह रैगिंग पहले नहीं पाई जाती थी। कालान्तर में वरिष्ठों के हाथ में कनिष्ठों के स्वागत एवं संस्थान के बारे में बताए जाने का दायित्व आया तो यह इतने विकृत स्वरूप में सामने आने लगा कि शिक्षार्थी निन्दनीय कृत्य का शिकार होने लगे तथा कहीं-कहीं तो नव-प्रवेशित छात्र आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने लगे। 

प्रो. पाण्डेय ने रैगिंग के दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए कहा कि आज शिक्षकों और शिक्षार्थियों दोनों की जिम्मेदारी है कि रैगिंग जैसे घृणित कृत्य को समाप्त करने के लिए जागरूकता लाएं।

वेबिनार का सञ्चालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्त, संयोजक, एन्टी रैगिंग समिति ने किया तथा वेबिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर एन्टी रैगिंग समिति के सदस्य प्रोफेसर पाल, डॉ. आनन्दानन्द त्रिपाठी, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, डॉ. सुषमा सिंह तथा प्रो. छत्रसाल सिंह, प्रो. सन्तोषा कुमार, डॉ. शशिभूषण राम त्रिपाठी, डॉ. अल्का वर्मा, डॉ. त्रिविक्रम तिवारी आदि शिक्षक तथा विश्वविद्यालय के शोध छात्रों एवं शिक्षार्थियों ने प्रतिभाग किया।


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