प्रयागराज: प्रयागराज में बारिश और बाढ़ के बाद बीमारियों ने पनपना शुरु कर दिया है जिससे जिलें में अब डेंगू और मलेरिया के मामले सामने आ रहे जिसको देखते हुए तैयारियां शुरु कर दी गई हैं.
प्रयागराज में अब डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले 22 दिनों में यहां 11 नए डेंगू के मरीज मिले हैं। इसके लिए हेल्थ विभाग की ओर से शहर में 7 डेंगू जाेन भी चिह्नित किए गए हैं। यह वह एरिया हैं जहां पर डेंगू होने का खतरा ज्यादा रहता है।
इसमें तेलियरगंज, अल्लापुर, धूमनगंज, मुंडेरा, नैनी, झूंसी और फाफामऊ शामिल है। इन एरिया में डेंगू के केस ज्यादा मिलते हैं। यहां टीमें सक्रिय हैं। जहां भी डेंगू के मरीज मिल रहे हैं, वहां एंटी लार्वा आदि का छिड़काव कराया जा रहा है।
क्या बोलीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक?
तेज बहादुर सप्रू बेली अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भावना शर्मा के मुताबिक जुलाई महीने में 4 और अगस्त में अब तक 2 डेंगू मरीज भर्ती होकर स्वस्थ भी हो चुके हैं. उनका दावा है कि अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.
अस्पताल में 25 बेड का डेडीकेटेड डेंगू वार्ड बनाया गया है. हर बेड पर मच्छरदानी लगाई गई है. साथ ही प्लेटलेट्स, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य जरूरी उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं. वायरल बुखार के मरीजों को भी एहतियातन मच्छरदानी वाले बेड पर भर्ती किया जा रहा है.
डेंगू के मरीजों के लिए अलग बेड की व्यवस्था
डॉ. भावना शर्मा के मुताबिक जिले के सभी 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 5-5 बेड डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं. जबकि बेली अस्पताल, काल्विन, डफरिन महिला अस्पताल और एसआरएन मेडिकल कॉलेज में भी 25-25 बेड अलग से डेंगू मरीजों के लिए रखे गए हैं.
SRN अस्पताल, बेली अस्पताल, काल्विन अस्पताल समेत जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डेंगू के लिए अलग वार्ड रिजर्व कराए गए हैं। इसमें डेंगू के संदिग्ध और एलाइजा टेस्ट में पाजिटिव मरीजों को भर्ती कराया जा रहा है। सितंबर में बढ़ेगा डेंगू का और खतरा अगले महीने यानी सितंबर में डेंगू का खतरा और बढ़ सकता है। मरीजों की संख्या में भी वृद्धि होगी। अभी भी प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के मरीज भर्ती हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग उन्हें डेंगू का मरीज नहीं मानता है।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को डेंगू का मरीज मानता है जिनकी एलाइजा जांच हुई है और वह भी मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी लैब में। यही कारण है कि डेंगू वार्ड में मरीजों की संख्या ज्यादा है लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह संख्या बहुत ही कम है।