गोण्डा। जिले के शिक्षा क्षेत्र हलधरमऊ में अवैध स्कूलों पर रोक का जिलाधिकारी का आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है। खंड शिक्षा अधिकारी का दावा है कि शिक्षा विभाग द्वारा चिन्हित सभी अमान्य स्कूल बंद करा दिए गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कई अवैध स्कूल अब भी संचालित हो रहे हैं और खुलेआम बच्चों का भविष्य दांव पर लगा रहे हैं। गौरतलब है कि नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद तत्कालीन डीएम नेहा शर्मा ने 26 अप्रैल को तहसीलदार, बीईओ और थानाध्यक्षों की टीम गठित कर जिले में अवैध स्कूलों को बंद कराने का आदेश दिया था। बावजूद इसके, अब तक हलधरमऊ क्षेत्र में शटर की दुकानों और बेसमेंट में कई स्कूल खुलेआम चल रहे हैं। वहीं, कई स्कूल प्राथमिक स्तर की मान्यता लेकर कक्षा आठ तक पढ़ाई करवा रहे हैं। भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के जिलाध्यक्ष नारायणधर द्विवेदी का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में अवैध स्कूलों का संचालन लगातार जारी है। जब आदेश होने के बावजूद स्कूल चल रहे हैं तो साफ है कि शिक्षा विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं। वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से भी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि अवैध तरीके से संचालित स्कूलों पर रोक न लगने से सरकारी स्कूलों में नामांकन घटा है और कई विद्यालय विलय की जद में आकर बंद हो रहे हैं। अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो शायद एक भी सरकारी विद्यालय विलय के दायरे में न आता। खंड शिक्षा अधिकारी हलधरमऊ श्रवण कुमार तिवारी ने बताया कि अमान्य स्कूलों को बंद कराया गया था, लेकिन कुछ संचालक अब अलग समय पर संचालन कर रहे हैं। साथ ही, कुछ ने पुनः मान्यता के लिए आवेदन भी दिया है। ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि जब जिलाधिकारी का आदेश ही कागजों से बाहर नहीं निकल पाया, तो क्या शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और मिलीभगत इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी हैं कि हर कार्रवाई को नाकाम कर देती हैं?