प्रयागराज:अभ्युदय एवं विकसित भारत के सम्बंध में संगोष्ठी का किया गया आयोजन
अपर मुख्य सचिव, मण्डलायुक्त, आईजी सहित विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षु आईएएस के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए संगोष्ठी में रखे अपने विचार
अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण विभाग तथा महानिदेशक उपाम व एसआईआरडी लखनऊ श्री एल0 वेंकटेश्वर लू की अध्यक्षता में गुरूवार को सर्किट हाउस के सभागार में प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों एवं विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों के साथ ‘‘अभ्युदय एवं विकसित भारत’’ के सम्बंध में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मण्डलायुक्त श्री विजय विश्वास पंत, आईजी-श्री अजय कुमार मिश्रा, जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह, प्रशिक्षु आईएएस, प्रो0 जटाशंकर तिवारी, निदेशक एमएनआईटी श्री आर0एस0 वर्मा, प्रो0 श्रीमती मीनाक्षी जोशी, प्रो0 पुर्णेन्दु मिश्रा, डॉ0 अनुभा, उप निदेशक सिविल डिफेंस श्री नीरज मिश्र एवं अन्य अधिकारी व अतिथिगण सम्मिलित रहे। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षु आईएएस भावी सेवा अवधि में किस प्रकार कार्य करें कि ‘‘विकसित भारत तथा भारत अभ्युदय या सामाजिक उत्थान हो सके’’ रहा।
संगोष्ठी में अपर मुख्य सचिव श्री एल0 वेंकटेश्वर लू ने कहा कि हमें सभी का सहयोग लेने के लिए तथा बड़ा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते हुए संवाद अवश्य करना चाहिए तथा पुराने अनुभवों से हमें सीखना चाहिए तथा जितना हम सीख सकते है, उतना प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक कल्याण की भावना रखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगो की भलाई करना हमारे शास्त्रों में हम सभी का मुख्य लक्ष्य बताया गया है। उन्होंने संगोष्ठी में आध्यत्मिक ज्ञान के साथ भौतिक व वैज्ञानिक ज्ञान को सम्मिलित किए जाने को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि ईश्वर भक्ति, देश भक्ति से प्रेरित होकर ही व्यक्ति कर्मयोगी बन सकता है। उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से कहा कि अहंकार से प्रेरित होकर कार्य करने पर किसी भी व्यक्ति का भला नहीं हो सकता। हमें वांछित और उपयुक्त आवश्यकता पर कार्य करना है।
संगोष्ठी में मण्डलायुक्त ने सभी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से कहा कि हमें अपने दायित्वों को समझते हुए हमेशा नियम कानून के दायरें में रहकर कार्य करना है। उन्होंने कहा कि दायित्वों का निर्वहन करने में नियम कानून के साथ-साथ संवेदनशीलता एवं मानवीयता का दृष्टिकोण रखना बहुत आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि कार्य करने में कभी भी अहं की भावना नहीं होनी चाहिए। लोगो की समस्याओं का नियम कानून के दायरें में रहते हुए यथासम्भव उनका समाधान करना चाहिए। अपनी कार्यप्रणाली में हमेशा सेवाभाव की भावना रखनी चाहिए। अपने अधीनस्थों से परिवार की तरह व्यवहार करना चाहिए। अच्छे कार्य करने वाले को प्रोत्साहित करना चाहिए।
संगोष्ठी में पुलिस महानिरीक्षक ने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से कहा कि हमें एडमिनिस्टेªटर की भूमिका से बाहर आकर हमें फैसिलिटेªटर के रूप में कार्य करना होगा, तभी हम समाज व सरकार की अपेक्षा को पूरा कर सकते है। उन्होंने प्रशासन की कार्य पद्धति से सम्बंधित कुछ किताबों के विषय में बताते हुए उनका अध्ययन कर उनसे अनुभव प्राप्त किए जाने की सलाह दी।
संगोष्ठी में मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज की प्रो0 डा0 अनुभा श्रीवास्तव के द्वारा मेडिकल एडवांसमेंट्स इन डेवलप्ड इंडिया विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि विगत 30 वर्षों में चिकित्सा क्षेत्र में बहुत सारे नये कार्य हुए है। उन्होंने कहा कि विभिन्न माध्यमों से फैलने वाले संचारी रोग, संक्रामक रोगों पर जागरूकता व प्रयासों से कमी आई है, लेकिन लोगो की अनियमित दिनचर्या, शारीरिक निष्क्रियता वाली जीवन शैली व खान-पान में नई-नई चीजों के सम्मिलित होने से शरीर में कई नई बीमारियां जिसमें-मोटापा, स्ट्रोक, डायबिटीज, लीवर सम्बंधी बीमारियां और अवशाद व चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्यायें हो रही है। उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को उनके कार्यकाल में स्वास्थ्य के क्षेत्र आयी इन नई चुनौतियों पर प्रभावी रणनीति अपनाये जाने पर बल दिया है।
संगोष्ठी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृत विभाग की प्रो0 मीनाक्षी जोशी ने विकसित भारत के वाह्य उदय एवं आंतरिक उदय के बारे में विस्तार से बताते हुए ग्राम ग्राम रहे, नगर नगर रहे। उन्होंने कहा कि गांव का विकास इस तरह से हो कि उनका अस्तित्व बना रहे। उन्होंने शिल्प कलाओं के माध्यम से लोगो का जीवन स्तर कैसे सुधरे तथा आर्थिक उन्नति कैसे हो, पर विस्तार से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में निदेशक एमएनआईटी श्री आर0एस0 वर्मा ने बेसिक एजुकेशन की क्वॉलिटी कैसे सुधारी जाये, बच्चों में इनोवेटिव लर्निंग व विषय की अडरस्टैडिंग व उनकी थ्ंिाकिंग प्रासेस को कैसे इम्प्रूव किया जाये, के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से टेक्नोलॉजी का ईज आफ लिविंग में कैसे परिवर्तित कर सकते है, इस पर कार्य करने एवं एजुकेशन सिस्टम को इनॉवेशन, पेटेंट और इकोनॉमी से जोड़ने के लिए कहा।
संगोष्ठी में प्रो0 पुर्णेन्दु मिश्र ने प्रशिक्षु आईएएस को कौशल विकास के बारे में बताते हुए उन्हें अपने प्रशासनिक दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ कार्य क्षेत्र में उपस्थित शैक्षिक संस्थाओं से समन्वय कर विकास कार्यों से जुड़े प्रोजेक्टों में उनकी सहभागिता कराते हुए आर्थिक विकास में शैक्षिक संस्थाओं के सक्रिय योगदान के बारे प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रो0 श्री जटा शंकर तिवारी ने कहा कि विकसित भारत की अवधारणा में केवल आर्थिक विकास ही नहीं हो सकता, बल्कि टेक्नोलॉजी को केवल साधन के रूप में प्रयोग किया जाये तथा हमारा साध्य केवल आर्थिक विकास ही नहीं अपितु भौतिक, नैतिक, आध्यात्मिक विकास हो। उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से कहा कि हम अपने आपको खोजे, अर्न्तविवेक को जागृत करें तथा विचारों में आन्तरिक स्वतंत्रता हो। संगोष्ठी का संचालन डॉ0 प्रभाकर त्रिपाठी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित अन्य सम्बंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।