राजकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1800 पदों पर होगी भर्ती, यूपीपीएससी को निदेशालय को भेजेगा अधियाचन
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राजकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1800 पदों पर होगी भर्ती, यूपीपीएससी को निदेशालय को भेजेगा अधियाचन



प्रदेश में नए बने राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय इस हफ्ते तकरीबन 1232 रिक्त पदों का अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को भेज देगा। इससे पहले निदेशालय 562 रिक्त पदों का अधियाचन आयोग को भेज चुका है। ऐसे में आयोग अब असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन 1800 पदों पर भर्ती करेगा। प्रदेश सरकार 71 नए राजकीय महाविद्यालयों का संचालन शुरू करने जा रही है। इनमें से दो महाविद्यालय निर्माणाधीन है, जिनका संचालन अगले सत्र से शुरू होगा जबकि 69 नए राजकीय महाविद्यालयों का संचालन इसी सत्र 2025-26 से शुरू होने जा रहा है। नए महाविद्यालयों के लिए पदों का सृजन कर दिया गया है और जल्द ही भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। उच्च शिक्षा निदेशालय नए महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1232 पदों पर भर्ती के लिए इस हफ्ते के अंत में यूपीपीएससी को अधियाचन भेज देगा। इससे पहले निदेशालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 562 पदों का अधियाचन भेजा था। ऐसे में आयोग के पास भर्ती के लिए तकरीबन 1800 पदों का अधियाचन उपलब्ध हो जाएगा। उम्मीद है कि दो माह में आयोग नई भर्ती का विज्ञापन जारी कर सकता है।

नए परीक्षा प्रारूप को कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार

- असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा अब तक केवल इंटरव्यू में मिले अंकों के आधार पर होती थी और इंटरव्यू से पहले अभ्यर्थियों की छंटनी के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा कराई जाती थी। आयोग अब असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के माध्यम से करेगा। सूत्रों का कहना है कि नए परीक्षा प्रारूप को कार्मिक विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही आयोग नई भर्ती का विज्ञापन जारी करेगा।

पहले पीपीपी मॉडल से कॉलेजों के संचालन का था प्रस्ताव

प्रदेश सरकार ने पहले पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल से नए राजकीय महाविद्यालयों के संचालन का निर्णय लिया था लेकिन बाद में सरकार ने इन राजकीय महाविद्यालयों को अपने स्रोतों से चलाने का फैसला किया है। दरअसल, इनमें से ज्यादातर कॉलेज ग्रामीण क्षेत्र के हैं और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा तक पहुंच काफी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिक से अधिक विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा मुहैया कराई जा सके, इसी उद्देश्य से सरकार ने अपने स्रोतों से नए कॉलेजों के संचालन का निर्णय लिया।

वर्तमान में सिर्फ 27 फीसदी छात्रों की ही उच्च शिक्षा तक पहुंच

वर्तमान में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने वाले प्रत्येक 100 विद्यार्थियों में केवल 27 फीसदी छात्र-छात्राएं ही उच्च शिक्षा तक पहुंच पाते हैं। सरकार ने वर्ष 2032 तक इस आंकड़े को 50 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है 

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