शुक्ल पक्ष की नवमी को शैव अखाड़ों में नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया। अष्ट कौशल में चुने गए श्रीमहंतों को ''चांदना'' (तिलक-चंदन से अभिषेक) करके अखाड़े का कामकाज सौंपा गया। अगले छह साल तक यही अष्ट कौशल अखाड़े का कामकाज संभालेगा। नए अष्ट कौशल के साकार होते ही छावनी ईष्ट देव एवं धर्म के जयकारोें से गूंज उठी। ईष्ट देव का पूजन-अर्चन हुआ। नव नियुक्त अष्ट कौशल के श्रीमहंतों ने धर्मध्वजा की तनियां (रस्सी) ढीली करके अखाड़े की कुंभ नगरी से रवानगी का एलान किया। अखाड़ों का कामकाज अष्ट कौशल के माध्यम से संचालित होता है। इसमें आठ श्रीमहंत समेत आठ उप महंत होते हैं। महाकुंभ आरंभ होने के साथ ही निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के अष्ट कौशल भंग कर दिए गए थे। इनकी जगह अखाड़े का कामकाज एक कमेटी संचालित कर रही थी। परंपरा के मुताबिक तीसरे अमृत के बाद नए अष्ट कौशल में श्रीमहंत चुने जाते हैं। नवमी को नयाअष्ट कौशल गठित हुआ।
इसमें अखाड़े की सभी मढि़यों को प्रतिनिधितत्व दिया गया। शुक्रवार सुबह ईष्ट देव के पूजन-अर्चन के बाद धर्मध्वजा के नीचे पुकार के साथ प्रक्रिया आंरभ हुई। महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी के मुताबिक नए अष्ट कौशल में श्रीमहंत रविंद्र पुरी, श्रीमहंत रमेश गिरि, वंशीपुरी, विनोद गिरि, मृत्युंजय भारती, मनोज गिरि, प्रेम गिरि समेत आठ उप महंत दिगंबर शिवपुरी, रवि गिरि, विश्वनाथ गिरि, रमाशंकर गिरि, मनसुख गिरि, ब्रह्मनारायण पपुरी, उमाशंकर गिरि शामिल किए गए।
इनके चुने जाने के बाद संतों ने फूल-माला पहनाकर अभिनंदन किया। वरिष्ठ संतों की मौजूदगी में गुरू कुटिया के समीप चांदना (चंदन तिलक करना) करने उनको अष्ट कौशल की पदवी पर विराजमान कराया। नए अष्टकौशल महंतों की अगुवाई में गठित यह कार्यकारिणी काशी से अब जिम्मेदारी संभालेगी। नई सरकार का कार्यकाल अगले छह साल का रहेगा।
धार्मिक विधि-विधान के साथ मुख्यालय भेजे गए धर्म भाल
नए अष्टकौशल के गठन के साथ ही महानिर्वाणी एवं निरंजनी अखाड़े ने विधि-विधान से धर्म भालों का पूजन किया। इसके बाद यह अखाड़े के दारागंज स्थित मुख्यालय भिजवाए गए। निरंजनी अखाड़े में परंपरा के मुताबिक यह देव भाल नागा संन्यासी अपने कांधों पर लेकर निकले। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने भी नागा वेश में पूरे शरीर पर भस्मी रामाई। इसके बाद एक देव भाल लेकर वह भी चले। महानिर्वाणी अखाड़े ने भी अपने देव भाल पूजन-अर्चन करके मुख्यालय में रखवाए। अब ईष्ट देव के साथ अखाड़े काशी जाएंगे।
काशी में होगा जूना अखाड़े के अष्ट कौशल का चुनाव
शैव अखाड़े में सिर्फ जूना अखाड़े में ही अष्ट कौशल समेत सचिव का चुनाव काशी में कराया जाएगा। जूना पदाधिकारियों का कहना है कि आचार्य पीठाधीश्वर अवधेशानंद के वहां पहुंचने के बाद यह प्रक्रिया आरंभ होगी। बता दें, जहां अन्य शैव अखाड़ों में अष्ट कौशल का कार्यकाल छह साल के लिए होता है वहीं, जूना अखाड़े के अष्ट कौशल का कार्यकाल तीन साल के लिए ही होता है। जूना अखाड़े में हर तीन साल में अष्ट कौशल के महंत बदल दिए जाते हैं।
अग्नि अखाड़े में सोमेश्वरांनद ब्रह्मचारी को दूसरी बार जिम्मेदारी
श्रीपंचाग्नि अखाड़ा में भी नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष गुजरात के श्रीमहंत मुक्तानंद महाराज एवं मऊरानीपुर झांसी के सोमेश्वर ब्रह्मचारी को लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। अग्नि अखाड़ा शैव अखाड़ाें में इकलौता अखाड़ा है जिसमें ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी जाती है। इस अखाड़े के साधु एवं संत ही अखाड़ाें के पुरोहित्व कर्म करते है। इस कुंभ के दौरान करीब डेढ़ सौ ब्रह्मचारियों को अखाड़े में दीक्षा दी गई।