अपर्णा यादव के राम भजन से प्रफुल्लित हुए श्रद्धालु, लगाया जय श्री राम नारा
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अपर्णा यादव के राम भजन से प्रफुल्लित हुए श्रद्धालु, लगाया जय श्री राम नारा



अपर्णा यादव के राम भजन से प्रफुल्लित हुए श्रद्धालु, लगाया जय श्री राम नारा


**पंडित अनिंदो चटर्जी ने तबले से मनमोहक प्रस्तुति की* 


*डॉ० सुचेता भिड़े चापेकर ने शिव पार्वती के भाव दर्शाते हुए भरतनाट्यम से की भावपूर्ण नृत्य नाटिका की प्रस्तुति*



महाकुम्भ 2025 में गंगा पण्डाल में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में देश विदेश के विशिष्ट एवं अतिविशिष्ट कलाकारों द्वारा प्रस्तुति की गई। 


आज दिनांक 24 फरवरी को महाकुम्भ 2025 के अंतर्गत गंगा पण्डाल में अंतिम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन गीत संगीत एवं नृत्य के अनुपम संयोग के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति के रूप में श्रीमती अपर्णा यादव ने अपने भजनों से पूरे पण्डाल को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपनी पहली प्रस्तुति के लिए उन्होंने श्री राम को समर्पित एक राम भजन गाया। अपनी अगली प्रस्तुति में उन्होंने सुप्रसिद्ध भजन "शिव कैलासों के वासी" का भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभी को आनंदित कर दिया। भगवान श्री राम को समर्पित एक अन्य भजन " जय जय हे भगवान, जय जय हे प्रभु राम" का भावपूर्ण प्रस्तुति किया। 


कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के लिए पंडित ज्ञान प्रकाश घोष के शिष्य व देश के वरिष्ठ तबला वादक महागुरु व संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत श्री अनिंदो चटर्जी ने तबले के पारंपरिक धुन से सभी को लुभाया। सबसे पहले तीन ताल मध्यम फिर उच्च में प्रस्तुति कर सभी श्रोताओं को आनंदित किया। उसके बाद कहरवा ताल में तबले और सारंगी के संयोजन से मंच को उत्कृष्टता प्रदान की। 


कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति के लिए डॉ० सुचेता भिड़े चापेकर द्वारा भरतनाट्यम में शिव को समर्पित नृत्य प्रस्तुत किया। अलोरु नाम से परिभाषित यह नृत्य 16वीं सतापदी में मराठा राजाओं ने चारों दिशाओं के वंदन करते इस नृत्य को बनाया था। उसके बाद कर्नाटक के सुप्रसिद्ध रचनाकार मुत्थुस्वामी द्वारा रचित राग कुमुदप्रिया में अर्धनारीश्वर नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया। अपनी अगली प्रस्तुति में आदि शंकराचार्य द्वारा रचित सौंदर्य लहरी तथा माता पार्वती और शिव के भावों को लक्षित भाव नृत्य प्रस्तुत किया। इस प्रसंग में प्रस्तुत किया गया कि जब माता पार्वती शिव की जटाओं में माँ गंगा उनके कंधे पर सर्प तथा उनके आचरण देखती है तो उन्हें क्रोध, भय और आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है । जब वो अपनी सखियों के साथ रहती हैं तब हास्य तथा श्रृंगार रस प्राप्त होता है। 


कार्यक्रम के अंत मे नोडल अधिकारी, कुम्भ मेला, डॉ सुभाष यादव एवं कार्यक्रम अधिषासी श्री कमलेश कुमार पाठक ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

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