धू-धू कर जल गईं 203 बाइकें: लोको पायलट पति की खाक बुलेट देख रो पड़ी पत्नी, RPF इंस्पेक्टर की बाइक भी स्वाहा
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धू-धू कर जल गईं 203 बाइकें: लोको पायलट पति की खाक बुलेट देख रो पड़ी पत्नी, RPF इंस्पेक्टर की बाइक भी स्वाहा

 


वाहन पार्किंग में जली बाइक और स्कूटी की तस्दीक करने शनिवार की सुबह बड़ी संख्या में रेलकर्मी पहुंचे। किसी की नई बुलेट तो किसी की बाइक और नई स्कूटी आग की भेंट चढ़ गई। लोको पायलट और अखरी निवासी राकेश सिंह ने बताया कि वह रोजाना होंडा शाइन बाइक से आते थे, लेकिन शुक्रवार की रात बाइक पंक्चर हो गई। इसके बाद अपनी नई जावा बुलेट लेकर आ गए। क्या पता था कि जावा बुलेट आग की भेंट चढ़ जाएगी। मौके पर पहुंची राकेश की पत्नी रेखा आग से खाक बुलेट को देखकर रो पड़ीं। किसी तरह राकेश ने उन्हें संभाला। उधर, टेक्नीशियन विक्की कुमार और सौरभ अपनी नई बुलेट को नष्ट देख परेशान हो गए।

कैंट स्टेशन पर एसी टेक्नीशियन मोहम्मद गुफरान और दीपक कुमार की भी महीने भर पुरानी बुलेट आग की भेंट चढ़ गई। भदोही में तैनात हेड कांस्टेबल रूपचंद्र सिंह की नई स्कूटी तो पहचान में ही नहीं आ सकी। संतोष वर्मा की टीवीएस राइडर बाइक जल गई।

कैंट स्टेशन पर सफाई सुपरवाइजर सूर्यजीत कुमार की बाइक भी जलकर नष्ट हो गई। इससे परेशान सूर्यजीत को साथियों ने किसी तरह से संभाला। सूर्यजीत अपनी बाइक के पास ही देर तक बैठा रहा। इसी तरह अलग-अलग विभागों के कर्मचारी अपनी बाइक ढूंढ़ते दिखे। पार्किंग में भटकते नजर आए।

आरपीएफ कैंट पोस्ट इंस्पेक्टर संदीप यादव की बुलेट भी जल गई है। जिन कर्मियों के वाहन जले हैं, उनका विभागवार विवरण जुटाया जा रहा है। सभी विभाग के कर्मी अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर और गाड़ी रजिस्ट्रेशन नंबर नोट करा रहे हैं।

चाइल्ड लाइन का कार्यालय भी चढ़ गया आग के भेंट, पार्किंग का इंट्री रजिस्टर भी जला


वाहन पार्किंग के समीप चाइल्ड लाइन का कार्यालय है। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि चाइल्ड लाइन का कार्यालय भी जद में आ गया। कार्यालय के अंदर फर्नीचर, एसी और अन्य सामान जलकर नष्ट हश्गया। उधर, पार्किंग केयर टेकर का वाहन इंट्री रजिस्टर भी आग की भेंट चढ़ गया।


रोकी गई ट्रेनों की आवाजाही, खाली कराया गया था प्लेटफॉर्म संख्या एक

शुक्रवार की रात आग ने विकराल रूप लिया तो कंट्रोल रूम में तैनात कर्मी सक्रिय हो गए। प्लेटफॉर्म संख्या एक पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी गई। आरपीएफ इंस्पेक्टर संदीप यादव और जीआरपी इंस्पेक्टर हेमंत कुमार सिंह ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि वह प्लेटफॉर्म तक पहुंच रही थीं। इस कारण कंट्रोल को सूचना दी गई। साथ ही ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नंबर एक पर नहीं लेने का अनुरोध किया गया। वहीं, प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। ऐसा लग रहा था कि आग जीआरपी थाने को भी अपनी चपेट में ले लेगी। दमकल कर्मियों को पूरी तरह से आग पर काबू पाने में सुबह के तीन बजे गए थे।

एसपी ने पार्किंग और अन्य स्थानों पर आग से बचाव के इंतजाम देखे


प्रयागराज जीआरपी अनुभाग के एसपी अभिषेक यादव, सीओ कुंवर प्रभात सिंह ने कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया, पावर केबिन, पार्सल समेत अन्य स्थानों पर फायर सेफ्टी की हकीकत परखी। कहीं भी फायर सेफ्टी जैसी व्यवस्था नहीं दिखी। रेल अधिकारियों से फायर ऑडिट कराने पर जोर दिया।


रेलकर्मियों को मिले मुआवजा, जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई

आग की घटना में क्षति की भरपाई को लेकर रेल यूनियनें भी मुखर हो गईं। नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के शाखा सचिव डीके सिंह और उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन के शाखा सचिव विंध्यवासिनी यादव ने कहा कि रेलकर्मियों को उनकी क्षति की भरपाई रेल प्रशासन करें।


यूनियन नेता डीके सिंह ने मंडल रेल प्रबंधक को पत्र लिखकर तत्काल क्षतिपूर्ति और पार्किंग स्टैंड में सुरक्षा व्यवस्था की मांग की। इस दुर्घटना की जिम्मेदारी तय की जाए। रेल कर्मियों को आवाजाही के लिए वाहन उपलब्ध कराएं। इस घटना में क्षति पहुंचने वाले रेल कर्मियों को अवकाश दिया जाए, ताकि वह अपने वाहन के संबंधित कागजात, बीमा रेल प्रशासन और इंश्योरेंस कंपनियों को दे सके। यूनियन नेता विंध्यवासिनी यादव ने मांग की कि वाहन पार्किंग स्थल पावर केबिन व लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर रनिंग रूम के बाहर सीसी कैमरे लगवाए जाएं।

विद्युत कर्मियों के जुगाड़ ने 10 मिनट में राख कर दी गाड़ियां

वाराणसी। कैंट स्टेशन पर शनिवार की सुबह जिधर देखिए सिर्फ पार्किंग में आग की ही चर्चाएं होती रहीं। वह भी विद्युत कर्मियों के जुगाड़ की ज्यादा चर्चा चल रही थी, जिसके कारण 10 मिनट में ही दो करोड़ से ज्यादा कीमत की गाड़ियां राख हो गईं। अर्श और फर्श सब काले हो गए। 203 दोपहिया वाहन के साथ करीब दस साइकिल जल गई। पार्किंग का शेड और जमीन काला पड़ गया है। ऐसा पहली बार हुआ।


विभागीय सूत्रों ने बताया कि एमसीबी जल गई थी तो उसे ठीक तरीके से निकाल कर हटा दिया जाता। साथ ही तार की अच्छी तरह से टेपिंग कर दी जाती। इससे हादसे से बचा जा सकता था, लेकिन विद्युत इकाई के कर्मियों ने ऐसा नहीं किया।

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