बीएचयू के अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा का समापन सत्र काफी आश्चर्य भरा रहा। आईआईटी-बीएचयू के रिसर्चर सुदर्शन और 11 साल के जिनांग ने शास्त्रार्थ से बड़े-बड़े विद्वानों को चौंका दिया। दोनों को सुनने के लिए संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय (एसवीडीवी) के मुख्य भवन में 200 से ज्यादा युवा विद्वानों की जमघट लग गई।
आईआईटी-बीएचयू के शोध छात्र सुदर्शन गौतम ने 40 मिनट तक लगातार संस्कृत में यज्ञ करने और आहुति की सटीक विधि को परिभाषित कर दिया, तो वहीं अहमदाबाद के जिनांग ने छोटी उम्र में धारा प्रवाह संस्कृत बोलकर 35 मिनट में न्यायशास्त्र की लक्षण पद्धति को कंठस्थ करा दिया। एसवीडीवी के डीन प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि शास्त्रों की रक्षा में आए इन दोनों विद्वानों ने हर किसी को अपना मुरीद बना लिया।
बताया न्यायशास्त्र से लक्षणों की उत्पत्ति का तरीका
जिनांग ने न्यायशास्त्र से लक्षणों की उत्पत्ति का तरीका बताया। वहीं, वहां देश भर से आए बड़े-बड़े विद्वानों के सवालों के जवाब भी दिए। जिनांग ने दोषरहित सामग्री बनाने पर भी अपना विचार संस्कृत में रखा। पीएचडी छात्र सुदर्शन ने मीमांसा शास्त्र में यज्ञ की पद्धति और अग्निहोत्र के बारे में बताया। इसमें यज्ञ की प्राचीन विधि के गुण और वर्तमान परंपरा में व्याप्त दोषों को समझाया। उन्होंने संस्कृत में कहा कि वर्तमान समाज में यज्ञ के वास्तविक स्वरूप से लोग परिचित नहीं है।
शास्त्रीय स्वरूप से कैसे आहुतियां हो, उनके फल, सामग्रियां आदि इस्तेमाल की जानकारी दी। वेद वाक्यों को अपना प्रमाण बनाकर अपने सिद्धांतों को रखा। सुदर्शन ने कहा कि उनकी तैयारी 70 मिनट की थी लेकिन 40 मिनट का ही समय मिला। सुदर्शन आईआईटी-बीएचयू में ह्यूमैनिटीज से पीएचडी कर रहे हैं। इससे पहले संपूर्णानंद से ही संस्कृत की पढ़ाई की।
बेलूर मठ-लखनऊ से भी आए विद्वान
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर से आए व्याकरण न्याय के विद्वान प्रो. भारत भूषण त्रिपाठी ने व्याकरण शास्त्र और कोलकाता बेलूरमठ के युवा विद्वान डाॅ. नीरज भार्गव ने शास्त्रार्थ किया। ज्योतिष विषय के युवा विद्वान विवेक त्रिपाठी ने सूर्य के उदय-अस्त पर विवेचन किया।