कानपुर और बुंदेलखंड में किसान परेशान हैं, क्योंकि उन्हें खाद नहीं मिल रही है। आलू-चना और मसूर के खेत तैयार करने के लिए सहकारी समितियों पर डीएपी नहीं है। घंटो लाइन में लगे किसान खाली हाथ मायूस लौट रहे हैं। उनके सब्र का बांध टूट रहा है और जगह-जगह किसान हंगामा कर रहे हैं। हरदोई, फतेहपुर,चित्रकूट और बांदा में बृहस्पतिवार को एक बार फिर समितियों पर किसानों का आक्रोश फूट पड़ा और हंगामा हुआ। अधिकारी कहते हैं कि बफर स्टॉक में पर्याप्त खाद उपलब्ध है। लेकिन यह किसानों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। किसान जहां जिम्मेदारों पर खाद के लिए कमीशनखोरी का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं अफसरों का कहना है कि किसान भविष्य के लिए जमाखोरी कर रहे हैं। जो भी हो, खाद का खेल निराला है। किसानों को खाद न मिले इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। खाद समितियों तक पहुंचाने के लिए सिर्फ सात ट्रक
हालांकि पुलिस से लेकर डीएम-एसडीएम तक खाद बंटवाने में लगे हैं। महोबा में एक रैक (करीब 70 हजार बोरी) खाद सोमवार पहुंची थी। इसमें 66 फीसदी खाद हमीरपुर और बाकी की खाद महोबा को मिलनी है। लेकिन ट्रेन से खाद उतारकर समितियों तक पहुंचाने के लिए सिर्फ सात ट्रक लगाए गए हैं।
अगली रैक 27 अक्टूबर को आने की उम्मीद
नतीजा अभी तक हमीरपुर में एक भी बोरी खाद नहीं पहुंच पाई है। अब सरकार मिली हुई खाद किसानों तक क्यों नहीं पहुंचने दी जा रही है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अधिकारी कह रहे हैं कि बफर स्टॉक में पर्याप्त खाद है। इसी तरह बांदा में 16 अक्टूबर को एनपीके और डीएपी दोनों की एक रैक आई थी। इसमें पांच सौ टन डीएपी थी। अब अगली रैक 27 अक्टूबर को आने की उम्मीद है।
खाद को लेकर तीन तरह के खेल समाने आ रहे हैं
डीएपी की जगह यूरिया दी जा रही है। जबकि अभी रवि की बोआई के लिए खेत तैयार करने को डीएपी चाहिए।
बफर स्टॉक से समितियों तक खाद नहीं पहुंचाई जा रही। सरकार जो खाद दे रही है वह गोदाम या बफर स्टॉक में पड़ी।जरूरत के मुताबिक खाद एक बार में उपलब्ध नहीं कराई जा रही। दस बोरी की जरूरत होने पर सिर्फ दो बोरी दी जा रही है। इसलिए किसान बार-बार लाइन में लग रहा है और हंगामा हो रहा है।
एनपीके का इस्तेमाल लाभदायक
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि निदेशक प्रो. नरेंद्र सिंह ने बताया कि किसान डीएपी की जगह सिंगल फास्फेट और यूरिया मिश्रित कर दलहन-तिलहन फसलों में उपयोग कर सकते हैं। इनमें सभी जरूरी तत्व पर्याप्त होते हैं। एनपीके का इस्तेमाल गेंहू, जौ व सरसों के लिए उचित है। जबकि डीएपी के सापेक्ष सिंगल फास्फेट और यूरिया मिलाकर दलहनी व तिलहनी फसलें बोने से किसानों को ज्यादा बेहतर उपज मिलेगी। उन्होंने बताया कि डीएपी में भी सभी तत्व होते हैं, इसीलिए किसान इसके पीछे परेशान होता है।
जिला कुल समितियां खाद उपलब्ध
चित्रकूट 38 18
बांदा 47 10
उरई 66 20
महोबा 46 26
कृषि अधिकारियों की ओर से दिए गए आंकड़े
बुंदेलखंड के सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। किसान भविष्य के लिए भी अभी से खाद लेकर जमा कर रहे हैं। जिसके कारण कुछ जगहों पर दिक्कत हो रही है। खाद लगातार आ रही है।