प्रयागराज: यहां चार साल में 50 फीसदी तक घटा हथियारों का कारोबार, एक साल में बंद हुईं 4 दुकानें; सामने आई ये बड़ी वजह
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प्रयागराज: यहां चार साल में 50 फीसदी तक घटा हथियारों का कारोबार, एक साल में बंद हुईं 4 दुकानें; सामने आई ये बड़ी वजह



 प्रयागराज: एक वक्त था, जब हथियारों का कारोबार करने वाले दुकानों पर खरीदारों की लंबी लाइन लगा करती थी। भीड़ ज्यादा होने के कारण एक-एक ग्राहकों को दुकानों में प्रवेश दिया जाता था, लेकिन अब कारोबार इसके ठीक उलट हो गया है। पुलिस-प्रशासन स्तर से लाइसेंस नहीं मिलने से किसी के दुकानों पर एक माह तो, किसी पर चार-चार महीनों में सिर्फ एक ग्राहक आ रहा है। इससे परेशान होकर अधिकतर कारोबारी दुकानों को बंद कर किसी और धंधे में लग गए हैं। कारोबारियों ने बताया कि लाइसेंस अप्रूवल की कमी से पिछले चार सालों में प्रयागराज में पचास फीसदी तक हथियारों का कारोबार घट गया है। कारोबारियों ने बताया कि ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें आज भी रिवॉल्वर और राइफल रखने का शाैक है, लेकिन उसके लिए लाइसेंस जरूरी है। बिना लाइसेंस के एक भी हथियार नहीं बेचा जा सकता है। लोग लाइसेंस के लिए जिला प्रशासन से लेकर पुलिस मुख्यालय के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन लाइसेंस नहीं अप्रूव किया जाता है। 


जब ग्राहकों के पास लाइसेंस ही नहीं रहेगा तो वह हमारी दुकानों में कैसे आ जाएगा। जॉनसेनगंज स्थित एसएन नियोगी कंपनी के पार्टनर एएन नियोगी ने बताया कि वर्ष 2020 से पहले जॉनसेनगंज समेत विभिन्न इलाकों में 42 गन हाउस हुआ करते थे, लेकिन अब इन्हीं सब कारणों से महज 22 दुकानें ही बची हुई हैं।
 

एक साल में बंद हुईं चार दुकानें
एएन नियोगी बताते हैं कि उनकी दुकान वर्ष 1948 में खोली गई थी। शुरुआत के सालों में कारोबार अच्छा चलता था। राइफल और रिवाॅल्वर खरीदने वाले वाले दुकानों के बाहर लाइनें लगाकर खड़े रहते थे, लेकिन वर्ष 2014 से कारोबार धीरे-धीरे कम होने लगा।

हर साल हथियारों की ब्रिकी घटती चली गई। साल 2023 से अब तक चार दुकानें बंद हो गईं। इनमें शाहगंज स्थित सूजन गन हाउस, कर्नलगंज स्थित विवेक गन हाउस, हीवेट रोड स्थित संजीव गन हाउस और लीडर स्थित जिया ट्रेडर्स शामिल हैं।
 

लाइसेंस का रेट बढ़ना भी एक कारण
पीएन विश्वास एंड कंपनी के मालिक वरुण डे बताते हैं, गन हाउस बंद होने की सबसे बड़ी वजह धारकों को लाइसेंस न मिलना तो है ही, साथ ही दुकानों को लाइसेंस का रेट बढ़ना भी एक कारण है। दुकानों पर ग्राहक आते नहीं हैं और जब लाइसेंस रिन्यूअल कराने की बात आती है तो पचास हजार फीस जमा करना होता है, जबकि पहले महज 1200 रुपये में लाइसेंस रिन्यूअल हो जाता था।
 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में जितनी भी बंदूक की दुकानें हैं, वह सिर्फ पुश्तैनी काम होने की वजह से चल रहा है। उनकी दुकान तो तीन पीढि़यों से चल रही हैं, इसलिए इस कारोबार को नहीं बंद कर सकते हैं। ऐसे ही उनके जैसे अन्य कारोबारी भी जिनका काम पुश्तैनी है, वरना महीनों तक एक भी ग्राहक न आने पर इस कारोबार को कोई नहीं करना चाहता है। वहीं, कारोबारी वरुण डे बताते हैं कि कई दुकानदारों ने अपने दुकान पर एयर गन भी रखना शुरू कर दिया है, ताकि ग्राहक बने रहे।

इनकी रहती थी सबसे अधिक मांग

डबल बैरल ब्रीच लोडिंग शॉटगन (डीबीबीएल) गन
सिंगल बैरल ब्रीच लोडिंग (एसबीबीएल) गन
नॉन प्रॉहिबिटेड बोर (एनपीबी) बोर राइफल
नॉन प्रॉहिबिटेड बोर (एनपीबी) रिवॉल्वर/पिस्टल

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