गोंडा। एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर वर्ष करोड़ों रुपये वृक्षारोपण व हरियाली बढ़ाने पर खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर जिले के कटरा रेंज क्षेत्र में वन माफिया वन विभाग की कथित मिलीभगत से प्रतिबंधित प्रजातियों के हरे-भरे पेड़ों पर बेरहमी से आरी चला रहे हैं। लगातार हो रही अवैध कटान से न सिर्फ पर्यावरण संतुलन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
कई ग्राम पंचायतों में धड़ल्ले से हो रहा अवैध कटान
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार कटरा रेंज क्षेत्र में स्थित कई ग्राम पंचायतों में दिनों-दिन जंगलों का सफाया किया जा रहा है। रंजीतनगर के मजरे बढ़ईपुरवा में महुआ के दो बड़े पेड़ ठेकेदारों ने बिना परमिट काटकर ले गए। झूरी कुइयां में सड़क किनारे लगे करीब दो दर्जन सागौन के वृक्ष धराशायी कर दिए गए। जमुनही ग्राम पंचायत की दो अलग-अलग जगहों पर करीब एक दर्जन हरे-भरे सागौन के पेड़ काटे गए। बनकटवा गांव में एक हरा आम का पेड़ काटा गया। रेहरवा बाजार के समीप चौमहला गांव में गूलर सहित लगभग एक दर्जन सागौन के पेड़ ठेकेदारों द्वारा काटे जाने की जानकारी मिली है। ये सभी पेड़ प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं, जिनकी कटान बिना अनुमन्य परमिट के पूरी तरह अवैध है।
शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं, वन कर्मियों पर गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने अवैध कटान की शिकायत वन विभाग से की, जिसके बाद वनकर्मी मौके पर तो पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि "ले–देकर" मामले को रफा-दफा कर दिया गया। किसी भी स्थान पर न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही जिम्मेदारों पर कोई विभागीय कार्रवाई की गई। इससे वन कर्मियों और माफियाओं की मिलीभगत पर सवाल और गहरे हो गए हैं।
पर्यावरण पर बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरह बड़े पैमाने पर हरे-भरे और स्वस्थ पेड़ों को काटा जाता रहा तो आने वाले वर्षों में क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन गंभीर रूप से बिगड़ सकता है।
सरकारी नीतियों पर प्रश्नचिन्ह
अवैध कटान पर रोक न लगना विभागीय उदासीनता व भ्रष्टाचार को उजागर करता है। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि कटरा रेंज क्षेत्र में हो रही अवैध कटान की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन माफियाओं पर कार्रवाई करता है या फिर अवैध कटान का यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा।
