मुक्त विश्वविद्यालय अटल बिहारी ने भारत को वैश्विक परिदृश्य में नई पहचान दिलाई - प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह
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मुक्त विश्वविद्यालय अटल बिहारी ने भारत को वैश्विक परिदृश्य में नई पहचान दिलाई - प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह



मुक्त विश्वविद्यालय में अटल जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 


उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के अटल बिहारी बाजपेयी सुशासन पीठ के तत्वावधान में भारतरत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के 101वें जन्मोत्सव के अवसर पर बुधवार को अटल जी की वैश्विक दृष्टि विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

 संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह, आचार्य, राजनीतिशास्त्र विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अपने उद्बोधन में अटल जी के व्यक्तित्व, कृतित्व और वैश्विक दृष्टि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अटल जी एक पॉलिटीशियन से ज्यादा एक स्टेट्समैन थे। उन्होंने बताया कि अटल जी ने अपने 65 वर्ष के राजनीतिक जीवन में से लगभग 57 वर्ष विपक्ष में एक सक्रिय भूमिका का निर्वाहन किया जो उनके शांत एवं धैर्यशील व्यक्तित्व का परिचायक है। उन्होंने कहा कि अटल जी ने विश्व में गुटनिरपेक्ष नीति का पुनः प्रतिनिधित्व किया। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि अटल जी एक सहृदय प्रधानमंत्री थे परन्तु राष्ट्रहित में आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने कड़े निर्णय भी लिए। उनके द्वारा लिए गए निर्णयों ने भारत को वैश्विक परिदृश्य में एक नई पहचान दिलाई जो आज मुखर रूप से प्रदर्शित होती है। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि किसी भी राष्ट्र या संस्था का निर्माण व्यक्ति आश्रित होता है। भारत राष्ट्र के निर्माण में भारतरत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी अपने नाम के ही अनुरूप अटल आश्रय की भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि यह अटल जी की विश्व दृष्टि थी जिसने भारत को स्थिर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अटल जी की काव्य लेखन को राष्ट्र प्रेम से प्रेरित बताते उनकी कविताओं की तुलना राष्ट्रकवि दिनकर जी की कविताओं से की। इसी क्रम में उन्होंने अटल जी को क्षमा, धैर्य एवं साहस की प्रतिमूर्ति बताते हुए राष्ट्र सेवा में उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। 

इससे पूर्व कार्यक्रम अटल जी पर एक डाक्यूमेंट्री वृत्तचित्र को देखकर उनके व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व को याद किया गया। कार्यक्रम का संचालन समाज विज्ञान विद्याशाखा के सहायक निदेशक एवं सहायक आचार्य डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री विनय कुमार ने किया। संगोष्ठी के संयोजक अटल सुशासन पीठ के सह निदेशक प्रोफेसर आनन्दानन्द त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के समस्त विद्याशाखाओं के निदेशक आचार्य, सहआचार्य, सहायक आचार्य, शोधार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। 25 दिसंबर को पूर्वाह्न 8:45 बजे सरस्वती परिसर स्थित अटल प्रेक्षागृह में अटल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है

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