कृषि विभाग द्वारा मिलेट्स रेसीपी एवं उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम, फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जनपद स्तरीय जागरुकता कार्यक्रम एवं प्राकृतिक खेती की कार्यशाला का किया गया आयोजन
मा0 विधायकगणों एवं जिलाधिकारी के द्वारा कृषि सखी को मोबाईल फोन, आर0के0वी0वाई0 योजनान्तर्गत मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि यंत्रीकरण योजनान्तर्गत कस्टम हायरिंग एवं फार्म मशीनरी बैंक स्थापना हेतु चयनित कृषकों को देय अनुदान का प्रतीकात्मक प्रमाणपत्र तथा चयनित कृषकों को सरसों एवं दलहन मिनीकिट का किया गया वितरण
प्रयागराज 14 अक्टूबर।
जिला पंचायत सभागार में मंगलवार को कृषि विभाग के द्वारा उत्तर प्रदेश (श्री अन्न) मिलेट्स पुनरूद्धार योजनान्तर्गत मिलेट्स रेसीपी एवं उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मा0 विधायक कोरांव श्री राजमणि कोल, मुख्य अतिथि के रूप में मा0 विधायक फाफामऊ श्री गुरू प्रसाद मौर्य, जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार वर्मा, विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा0 विधायक फाफामऊ श्री गुरु प्रसाद मौर्य एवं मा0 विधायक कोरांव श्री राजमणि कोल एवं जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्जलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उप कृषि निदेशक, प्रयागराज द्वारा पुष्पगुच्छ एवं रुद्राक्ष का पौध देकर मा0 विधायकगण एवं जिलाधिकारी का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में प्रोमोशन फार एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फार इन-सीटू मैनेजमेंट आफ क्रांप रेज्ड्यू योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम एवं जिला गंगा समिति के प्रयागराज द्वारा प्राकृतिक खेती की कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मा0 विधायकगण एवं जिलाधिकारी द्वारा प्राकृतिक खेती योजनान्तर्गत चयनित कृषि सखी को मोबाईल फोन, आर0के0वी0वाई0 योजनान्तर्गत मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि यंत्रीकरण योजनान्तर्गत कस्टम हायरिंग एवं फार्म मशीनरी बैंक स्थापना हेतु चयनित कृषकों को देय अनुदान का प्रतीकात्मक प्रमाणपत्र तथा चयनित कृषकों को सरसों एवं दलहन मिनीकिट का वितरण किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला प्रयागराज मण्डल, फार्मर आईडी, संचारी रोग नियंत्रण अभियान, नेचुरल फार्मिंग, वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत, मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, मत्स्य पालन कल्याण कोष, पशु पालन विभाग की योजनाओं एवं अन्य से सम्बंधित स्टॉल लगाकर प्रदर्शनी भी लगायी गयी।
इस अवसर पर मा0 विधायक कोरांव श्री राजमणि कोल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैविक खेती/प्राकृतिक खेती प्राचीन खेती की विधि है आज के परिप्रेक्ष्य में हम कृषि के उत्पादन में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं जिससे मानव जीवन, पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कृषकों से अनुरोध किया कि उर्वरक/रसायनों का उपयोग अपने कृषि क्षेत्र में संतुलित मात्रा में करें। उन्होंने सरकार द्वारा उपलब्ध योजनाओं में मोटे अनाज के बीज के बुवाई के बारे में बताया तथा आज के खान-पान की दशा में मानसिक तनाव की स्थिति का कारण बताया तथा संतुलित आहार में मोटे अनाज को भोजन का एक अभिन्न हिस्सा बनाने हेतु कृषकों से अनुरोध किया।
इस अवसर पर मा0 विधायक फाफामऊ श्री गुरू प्रसाद मौर्य ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषकों से अपील की है कि मिलेट्स (श्री अन्न) को 10 बिस्वा में खेती कर कम से कम अपने खाने के लिये श्री अन्न पैदा करें जिससे हम स्वस्थ रहे। कृषकों को सुझाव दिया कि आप द्वारा जल संरक्षण, पेड़ों का संरक्षण करने से पयार्यवरण शुद्ध रहेगा हमारा तो जीवन स्वस्थ रहेगा।
इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री मनीष कुमार वर्मा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मिलेट्स ंकी खेती करने के लिये अग्रणी रहनेे की जरुरत है और श्री अन्न (मिलेट्स) को अपने जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए। आज गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य है कि कृषकों को मिलेट्स की खेती करने के लिये प्रेरित करना है जिससे हम स्वस्थ रहेंगे तो हमारा सम्पूर्ण राष्ट्र स्वस्थ रहेगा। एग्रीस्टैक सर्वें, पी0एम0 किसान योजनान्तर्गत फार्मर रजिस्ट्री कराने हेतु कृषकों से अपील की तथा फसल अवशेष प्रबन्धन के तहत कृषकों को पराली न जलाकर उसका प्रबंधन करें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी तथा किसान अर्थदण्ड से भी बच सकेंगे। वर्ष 2047 तक देश को विकसित करने में अन्न दाता किसानों का महत्वपूर्ण योगदान प्रभावी होगा।
उप कृषि निदेशक द्वारा मोटे अनाज के प्रयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। किसानों को खाद्यान्न उत्पादन में आत्म निर्भर हुए है बल्कि हम लगभग कई देशों को अनाज निर्यात कर रहे हैं जिससे उसका भरण पोषण कर रहे हैं। तथा मृदा की स्वास्थ्य हेतु संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने हेतु अनुरोध किया गया।
डा0 मनीष सिंह कृषि वैज्ञानिक द्वारा श्री अन्न की तकनीकी खेती एवं उसके गुणों पर विस्तृत चर्चा की गयी। उन्होंने मोटे अनाज को भोजन के थाली में अनिवार्य रूप से सेवन करने के लिये आह्वान किया जिससे कृषकों के उत्पाद को बढ़ावा मिल सके।
डा0 योगेश श्रीवास्तव वैज्ञानिक शुआट्स विश्वविद्यालय नैनी, प्रयागराज द्वारा मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन के बारे में विस्तार से कृषकों को जानकारी देते हुए बताया गया कि पराली जलाने से मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है इसलिए किसान भाई पराली को न जलायें। पौधें को 17 तत्वों की जरुरत होती है जो कि गोबर की खाद तथा कम्पोस्ट खाद से प्राप्त होते है। इन खादों के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति अच्छी बनी रहती है।
डा0 एम पीं0 सिंह कृषि वैज्ञानिक छाता, प्रयागराज द्वारा रासायनमुक्त प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले जीवामृत, बीजामृत, दस पर्णीअर्क इत्यादि बनाने की विधि तथा उसका उपयोग कृषि में किसान कैसे करें, इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। जिससे कृषि में लागत की कमी के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और रासायनमुक्त उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।
जिला गंगा समिति की प्रतिनिधि जिला परियोजना अधिकारी नमामि गंगे सुश्री एषा सिंह ने बताया कि नमामि गंगे मिशन योजनान्तर्गत अर्थ गंगा माडल के तहत जीरो बजट नेचुरल फारमिंग को प्रोत्साहन करने हेतु कृषकों का मार्ग दर्शन किया और योजना की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, सहायक निदेशक (मुदा परीक्षण/कल्चर) क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला, भूमि संरक्षण अधिकारी प्रयागराज एवं कृषि वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय शुआट्स नैनी समेत कृषि विभाग के अन्य अधिकारी/कर्मचारी, कृषि सखी तथा जनपद के कृषक एवं बहनों द्वारा प्रतिभाग किया गया कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रीती त्रिपाठी द्वारा किया गया।