लखनऊ: गुडंबा के बेहटा गांव में रिहायशी इलाके में आलम के घर के अंदर पटाखे बनाने का कारोबार चल रहा था। इस बात की भनक न तो पुलिस को थी और ना ही प्रशासन कोे। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बेहटा की घटना मात्र बानगी है। शहर और गांव में जगह-जगह अवैध रूप से पटाखे बनाने और उन्हें जमा रखने के मामलों में पुलिस-प्रशासन की असफलता राजधानी के लिए बड़े खतरे का संकेत है। हादसा होने के बाद अधिकारी कह रहे हैं कि आलम के पास लाइसेंस था या नहीं, इसकी जांच की जाएगी। हालांकि सवाल उठने लगा है कि हादसे के बाद जांच से क्या होगा। अगर समय रहते ही जांच की गई होती तो शायद हादसा होने से बचाया जा सकता था। शहर में इस तरह की घटना कोई पहली बार नहीं है। पहले भी जिले में घरों में अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कई लोग जान गंवा चुके हैं। हर घटना के धमाके से जिम्मेदारों की नींद टूटती है और जांच की बात कही जाती है। बेहटा निवासी आलम के घर में हुए विस्फोट को लेकर पुलिस-प्रशासन की यही बयानबाजी सामने आई। डीसीपी ने दावा किया आलम की भाभी खातूना के नाम पर पटाखे बनाने का लाइसेंस है। खातूना के बेटे वारिस ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। सवाल ये है कि यदि आलम की भाभी के नाम परलाइसेंस है तो आलम के घर में पटाखे क्यों मौजूद थे। रिहायशी इलाके में पटाखे बनाने और रखने का लाइसेंस दिया ही क्यों गया। उधर, मुख्य अग्निशमन अधिकारी अंकुश मित्तल ने साफ कहा है कि आलम के घर में अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे। चौकी इंचार्ज व बीट सिपाही निलंबित
बेहटा गांव में सुबह व शाम को वहां से कुछ ही दूरी पर एक गोदाम में हुए विस्फोट के मामले में देर रात डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बेहटा चौकी इंचार्ज संतोष पटेल और सिपाही धर्मेंश चाहर को निलंबित कर दिया है।
13 अक्तूबर 2002 : चिनहट में लगी आग से आतिशबाज रहीम ब श के बेटे की मौत।
28 सितंबर 2006 : चिनहट में पटाखे के गोदाम में लगी आग से आतिशबाज टिन्ना की मौत।
12 अगस्त 2007 : काकोरी के मौदा तालाब के पास पटाखों में लगी आग, एक की मौत।
17 अगस्त 2007 : काकोरी के मौदा तालाब के पास पटाखों में विस्फोट से युवक की जान गई।
5 मई 2008 : मोहनलालगंज के जैतीखेड़ा में पटाखा बनाते समय घर में धमाका। एक की मौत, कई घायल।
9 अक्तूबर 2008 : बंथरा में दशहरा मेले में आतिशबाजी के दौरान पटाखे में विस्फोट से अयोध्या प्रसाद की मौत।
17 अक्तूबर 2009 : चिनहट के मल्हौर रेलवे स्टेशन के पास पटाखाें में विस्फोट। राजेंद्र व उनकी पत्नी सुनीता की मौत।
6 नवंबर 2010 : गोमतीनगर स्थित आदर्श मंडी में पटाखों की दुकान में धमाके से 10 दुकानें राख।
1 अक्तूबर 2011 : आशियाना के औरंगाबाद में बाइक पर पटाखे ले जाते समय विस्फोट से दो युवकों की मौत।
27 अक्तूबर 2011 : तालकटोरा के मायापुरम में बाइक पर पटाखे ले जाते समय विस्फोट से दो दोस्त गंभीर रूप से घायल।
अक्टूबर वर्ष 2011 : आशियाना में पटाखे में विस्फोट से सर्वेश व राजा की मौत।
18 जून 2012 : पारा के मोहान निवासी पटाखा विक्रेता मैकू के घर विस्फोट, पत्नी व बेटा घायल।
17 जुलाई 2012 : काकोरी में पटाखा बनाने वाले कारखाने में विस्फोट से मां व बेटे की मौत।
15 मार्च 2021 : गोसाईंगंज के अमेठी इलाके में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट, चार की मौत, दो घायल।
12 सितंबर 2012 : मोहनलालगंज के कनकहा गांव में पटाखा निर्माता धुन्नी के घर विस्फोट, सायरा और शबाना की मौत, एक दर्जन घायल।
28 सितंबर 2012 : पारा आतिशबाज जावेद के गोदाम में विस्फोट, रुबीना और शमा की मौत।
20 सितंबर 2014 : मोहनलालगंज के सिसेंडी गांव में आतिशबाज खलील के घर में विस्फोट, 16 लोगों की मौत।
4 जून 2018 : काकोरी के सैथ गांव में पटाखा विक्रेता नसीर के घर विस्फोट, नसीर, उसकी बेटी नसीर और एक मजदूर की मौत।
3 अक्तूबर 2022 : बीकेटी के बरगदी में घर में पटाखा बनाते समय विस्फोट, एक की मौत, पांच घायल।
17 अप्रैल 2025 : गोसाईंगंज इलाके में पटाखा बनाते समय लगी आग, विस्फोट से उड़ी फैक्टरी, कारीगर झुलसा।
गुडंबा के बेहटा गांव में सुबह हुए विस्फोट के सात घंटे के बाद घटनास्थल से करीब 500 मीटर दूरी पर पटाखों के एक अवैध गोदाम में जोरदार विस्फोट हुआ। हादसे में एक गाय की मौत हो गई और एक भैंस घायल हो गई। धमाका इतना तेज था कि पूरा गोदाम ढह गया। ये गोदाम बेहटा गांव में सुबह हुए हादसे में मृत आलम के भतीजे शेरू का बताया गया है। चर्चा है कि आलम के घर में विस्फोट की खबर के बाद इस अवैध गोदाम को खाली करने का काम चल रहा था। इसी दौरान आग लगी और धमाके से इलाका गूंज उठा। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार बेहटा गांव में रहने वाले आलम के भतीजे शेरू ने सेमरा गांव में पटाखों का एक गोदाम बना रहा था। गोदाम हजार स्क्वाॅयर फीट का था। रविवार शाम साढ़े छह बजे शेरू के गोदाम में जोरदार विस्फोट हुआ और आग-धुएं का गुबार दूर तक देखा गया। घटना के बाद मौके पर ईंटों का ढेर ही बचा। दूर तक पटाखे फैले नजर आए। विस्फोट की चपेट में आने से मिश्रपुर डिपो निवासी मुन्नू की गाय की मौत हो गई और भैंस घायल हो गई। डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह, एडीसीपी पूर्वी पंकज सिंह, एसीपी गाजीपुर ए. विक्रम सिंह और कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची। दमकल की दो गाड़ियों ने मौके पर पहुंच पानी डालकर सुलग रहे पटाखों को निष्क्रिय किया।
पहले हुए धमाके से पांच गुना अधिक थी तीव्रता
सुबह के वक्त बेहटा गांव में हुए विस्फोट के मुकाबले शाम के वक्त शेरू के गोदाम में हुए धमाके की तीव्रता पांच गुना थी। लोगों का कहना है कि धमाके की आवाज तीन से चार किलोमीटर दूर तक लोगों को सुनाई दी। इससे पूरा इलाका दहल गया। लोग डर के चलते घरों से बाहर निकल आए। इस बीच पुलिस की साइयन बजाती गाड़ियां दौड़ने लगीं। कुछ देर के बाद ग्रामीणों को पता चला कि पटाखे के गोदाम में विस्फोट हुआ था।
बेहटा में धमाका : गांव में पांच वर्ष के दौरान चार बार हो चुके हैं पटाखों से हादसे
गुडंबा के बेहटा में रविवार सुबह हुआ भयावह हादसा कोई पहली बार नहीं हुआ। बीते पांच वर्ष में इस गांव में छोटे-बड़े मिलाकर इस तरह के चार हादसे हो चुके हैं। इसके बावजूद घरों में पटाखे बनाने का धंधा बंद नहीं हुआ। बेहटा गांव में पटाखों में विस्फोट से जान गंवाने वाले आलम के घर से कुछ दूरी पर रामचंद्र का घर है। उन्होंने बताया कि इस रिहायशी इलाके में कई लोग काफी समय से घर में पटाखे बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव में वर्ष 2020 से लेकर अब तक चार बार पटाखे के कारण घरों में विस्फोट की घटनाएं हो चुकी हैं। पहले भी एक महिला की जान जा चुकी है।
शिकायत के बावजूद पुलिस ने नहीं दिया ध्यान
ग्रामीण इदरीश ने बताया कि गांव में काफी समय से पटाखा बनाने का कारोबार हो रहा है। कई बार लोगाें ने शिकायत भी की, मगर न पुलिस और प्रशासन ने कुछ नहीं किया। हर समय लोगों को अपनी जान जाने का डर बना रहता है। उन्होंने कहा कि आज दो लोगों की जान गई है। इसी तरह पटाखे बनते रहे तो और भी लोग हादसे के शिकार बन जाएंगे।
15 से 20 घरों में बन रहे पटाखे
एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गांव में एक-दो नहीं बल्कि 15 से 20 घरों में लोग चोरी छिपे पटाखे बनाने का कारोबार कर रहे हैं। विरोध करने पर ये लोग मिल जाते हैं और अभद्रता व गाली-गलौज करने लगते हैं। पहले चार बार हुए हादसों में दर्जन भर लोग घायल हुए थे। इसके बावजूद किसी ने कोई सबक नहीं लिया।
गुडंबा के बेहटा इलाके में रविवार की सुबह आलम (50) के घर में अवैध रूप से बन रहे पटाखे में जोरदार विस्फोट हुआ। तेज धमाके साथ उनका मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। आलम और उनकी पत्नी मुन्नी (48) की मौके पर ही मौत हो गई। छह लोग घायल हो गए। दो लोगों को गंभीर अवस्था में ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। धमाके से पड़ोस के पांच मकान क्षतिग्रस्त हो गए और कुछ में दरारें आ गईं। पुलिस का दावा है कि आलम की भाभी खातून के नाम पटाखा बनाने का लाइसेंस है।
पुलिस के अनुसार आलम चूड़ी बेचने के साथ ही पटाखे का कारोबार करते हैं। रोज की तरह रविवार सुबह उनके घर में पटाखा बनाया जा रहा था। सुबह 11.30 बजे अचानक पटाखों में आग लगी और फिर जोरदार धमाके हुए। एक के बाद एक कई धमाकों से आलम का मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया। घर में मौजूद आलम, उनकी पत्नी मुन्नी, बेटा दिशान, इरशाद मलबे से नीचे दब गए। धमाका इतना तेज था कि एक किलोमीटर दूर तक आवाज सुनी गई। आवाज सुनकर दहशतजदा ग्रामीण घरों से बाहर निकल आए। लोगों ने आलम के मकान से धुएं का गुबार उठते देखा। भागकर लोग वहां पहुंचे तो आलम के मकान की जगह सिर्फ ईंटें बिखरी मिलीं। टीनशेड उड़कर बिजली के केबल पर जाकर लटका था। पड़ोस के मकानों पिलर और दीवारें भी टूट गई थीं। विस्फोट की चपेट में आने से पड़ोसी नदीम, हूरजहां, जैद और उनकी पत्नी इरम घायल हो गए थे।
घटना के 24 मिनट के बाद ग्रामीणों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी। आधे घंटे के बाद गुडंबा पुलिस व दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। पुलिस व दमकल कर्मियों ने मलबे से आलम, मुन्नी, दिलशान व इरशाद को बाहर निकाला। बुरी तरह से झुलसे आलम व मुन्नी की मौत हो चुकी थी। विस्फोट की खबर पाकर डीएम विशाख जी, जेसीपी-एलओ बबलू कुमार, डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह, कई थानों की फोर्स, बम निरोधक दस्ता, डाॅग स्क्वायड, एसडीआरएफ और दर्जन भर एंबुलेंस गांव पहुंच गईं। घायलों को तुरंत नजदकी अस्पताल पहुंचाया गया। गंभीर रूप से घायल इरशाद व नदीम को ट्राॅमा सेंटर रेफर कर दिया गया। डीएम और डीसीपी ने बताया कि विस्फोट कैसे हुआ, इसकी जांच कराई जा रही है। डीसीपी का दावा है कि आलम की भाभी खातून के नाम पटाखा बनाने का लाइसेंस हैै। वहीं मुख्य अग्निशमन अधिकारी अंकुश मित्तल के अनुसार आलम के घर में अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे।
इनकी हुई मौत आलम (50), मुन्नी (48)।
ये लोग हुए घायल नदीम (24), इरशाद (22), दिशान (16), जैद (35), इरम (32) और हूरजहां (25)।
इनके मकान हुए क्षतिग्रस्त
महबूब, मो. मकसूद, जैद, मो. शकील और शरीफ के मकान का काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा कुछ अन्य मकानों में मामूली दरारें आईं हैं और कई मकानों में लगे शीशे टूट गए।
धमाकों ने छीनी खुशी, छोड़ गया मातम... सपनों के घर मलबा बने
रविवार को आलम के घर में पटाखों से हुए भीषण विस्फोट ने पूरे इलाके को दहला दिया। जहां-जहां नजर गई, वहां खून से सनी चीखें, ईंट-पत्थर और मलबे के नीचे दबे शव ही दिखाई दिए। आसपास के मकानों की दीवारें तक दरक गईं। किसी को लगा बिजली गिरी है, तो किसी को बमबारी का भ्रम हुआ। लोग अपनों को मलबे से निकालने की कोशिश में लगे थे। कोई पति को खोज रहा था, तो कोई घायल बेटी को उठा रहा था।
ऐसा लगा मानो बिजली गिर गई हो
धमाके से सहमी आयशा खातून ने बताया- हम लोग पिछले कमरे में थे। अचानक जोरदार धमाका हुआ तो लगा मानो बिजली गिरी हो। कुछ समझ नहीं आया और हम सब भागकर बाहर निकले। तभी दुकान पर बैठे भाई दौड़ते हुए आए और बोले- ‘आग जल रही है, आग जल रही है।’ उनके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। इसी बीच एक और धमाका हुआ। जब मैं कमरे में पहुंची तो देखा कि दीवार का आधे से ज्यादा हिस्सा गिर चुका था।”
या अल्लाह...मामा-मामी मुझे छोड़कर चले गए
मृतक आलम की भांजी नूरजहां का विलाप सुनकर हर कोई गमगीन हो गया। वह फूट-फूटकर रो रही थीं—“कुछ दिन पहले ही मामा से बात हुई थी, क्या पता था वो आखिरी बार होगी।” हादसे की खबर मिलते ही वह ससुराल से दौड़ी चली आईं और शवों को देखकर दहाड़ मारकर रोने लगीं। ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभाला।
बेटे को सीने से चिपटाकर बचाई जान
इमरान की पत्नी नूरजहां ने बताया- “मैं बेटे जियान के साथ कमरे में थी। धमाके से सब कुछ हिल गया। छत हमारे ऊपर गिर पड़ी। मैंने बेटे को सीने से चिपटा लिया ताकि उसे चोट न लगे। खुद मलबे में दबकर बेहोश हो गई। होश आया तो अस्पताल में थी। सबसे पहले बेटे की कुशलता पूछी, तभी चैन मिला।” नूरजहां की मां रहीशा ने बताया कि उन्होंने मदद लेकर बेटी और नाती को मलबे से बाहर निकाला।
पत्नी न होती तो आज मैं जिंदा न होता
आलम के पड़ोसी 35 वर्षीय जैद ने बताया—“मैं नहा कर बिस्तर पर लेटा ही था कि एक के बाद एक धमाके हुए। अचानक पिछली दीवार भरभराकर मुझ पर गिर पड़ी और मैं बेहोश हो गया। पत्नी पर भी थोड़ा मलबा गिरा, लेकिन उसने किसी तरह मेरा हाथ पकड़कर बाहर निकाला। अगर वो न होती तो आज मेरी जान चली जाती।” हादसे में जैद का हाथ और पैर जख्मी हो गया जबकि पत्नी को हल्की चोट आई। मौके पर मौजूद मेडिकल टीम ने उनका उपचार किया।
ऊपर वाले की रहमत से सभी बच गए
हादसे के कारण बुरी तरह से डरे हुए तौसीफ ने बताया कि घर में सब लोग थे। तभी एकाएक धमाके होने के कारण सभी लोग बाहर भागने लगे। तभी एक दीवार का थोड़ा हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा। दीवार में करीब ढाई फीट का सुराख हो गया। ऊपर वाले की रहमत से सभी की जान बच गई। वहीं, महमूद ने बताया कि हादसे के कारण उनके घर भी क्षतिग्रस्त हो गया। मगर कोई घायल नहीं हो सका।
बारूद की दुर्गंध से बिगड़ी तबीयत
पड़ोसी शकील ने बताया कि मलबे में दबे आलम और अन्य लोगों को निकालते वक्त अचानक बारूद की तेज दुर्गंध से उनकी तबीयत बिगड़ गई। लोगों ने उन्हें संभाला और घर तक पहुंचाया। पानी पिलाने के कुछ देर बाद उनकी हालत सामान्य हो सकी।
पता नहीं था अम्मी-अब्बू को आखिरी बार देख रहा हूं
घटनास्थल पर ईंट-पत्थरों को हटाकर जब अम्मी मुन्नी और अब्बू आलम के शव निकाले गए तो बेटा इमरान गश खाकर गिर पड़ा। दहाड़ मारकर रोते हुए उसने कहा—सुबह घर से निकलने से पहले अम्मी-अब्बू से बाkत की थी, अंदाज़ा नहीं था कि वही आखिरी मुलाक़ात होगी।