यूपी मे फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री बनेगी निवेश व रोजगार का नया केंद्र -किसानों से युवाओं तक लाभ ही लाभ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मिला बढ़ावा: यूपी में 19 नये प्रोजेक्ट्स को मंजूरी
रेडी टू ईट से फ्रोजेन फूड तक: बुंदेलखंड से बरेली-रामपुर तक विस्तार की नई दिशा
उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के तहत गठित राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी की बैठक में 19 प्रस्तावों को मिली हरी झंडी
उत्तर प्रदेश बना निवेशकों की पसंद, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मिल रही लगातार स्वीकृति
रेडी टू ईट, सोलर पावर, दुग्ध प्रसंस्करण से लेकर फ्रोजेन फूड तक के प्रोजेक्ट्स शामिल
बुन्देलखण्ड से लेकर बरेली-रामपुर तक फल-सब्जी आधारित उद्योगों का विस्तार
स्थानीय किसानों को मिलेगा लाभ, गांव-गांव तक पहुँचेगा औद्योगिक समन्वय
लखनऊ:17 सितम्बर 2025
उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2023 के तहत प्राप्त परियोजना प्रस्तावो पर समयबद्ध कार्यवाही करने, स्थापित इकाइयों के सब्सिडी आदि के प्रकरणों की समीक्षा करते रहने व प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के क्रियान्वयन पर विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक पूंजी निवेश कराना है।उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा देश की सर्वोत्तम उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के माध्यम से प्रदेश में अधिक से अधिक पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनायें संचालित है
उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी की बैठक कृषि उत्पादन आयुक्त, उ०प्र० शासन श्री दीपक कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को लोकभवन में सम्पन्न हुई।
अध्यक्ष राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी/ कृषि उत्पादन आयुक्त श्री दीपक कुमार के समक्ष 19 प्रस्तावों को प्रस्तुत किया गया। समिति द्वारा समस्त 19 प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा उपरान्त सहमति व्यक्त की गयी एवं लेटर ऑफ कर्फट जारी किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया गया।
योजनान्तर्गत मण्डी शुल्क एवं स्टैम्प ड्यूटी के प्रकरण पर चर्चा के मध्य इस बात पर सहमति हुई कि सम्बन्धित इकाई जब उत्पादन में आयेगी, तो उनकी मांग के अनुसार नियमानुसार प्रतिपूर्ति हेतु कार्य योजना बनाये जाने पर सहमति हुई।जिन संस्थाओं पर फायर एवं प्रदूषण प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर समस्या आ रही है, के सम्बन्ध में निर्देशित किया गया कि प्रस्तावों के परीक्षण में अप्रेजल समिति द्वारा यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि संयंत्र/इकाई आवासीय शहरी क्षेत्र में तो स्थापित नहीं है। इस सम्बन्ध में अप्रेजल समिति की बैठक में डी.आई.जी., फायर एवं सी.ई.ओ., उ०प्र० प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ एन. डी.डी.बी. के विषय विशेषज्ञ को विशेष आमंत्री के रूप में आमंत्रित कर भूमि के सम्बन्ध में समुचित जानकारी उपलब्ध कराते हुए अप्रेजल बैठक में ही निस्तारण कराया जाये।
बैठक मे अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण व रेशम विभाग/ अध्यक्ष अप्रैजल समिति श्री बी एल मीणा ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र मे आ रही क्रान्ति के बारे मे जानकारी देते हुये बताया कि विभाग के क्रियाकलापो की नियमित मानीटरिग व सक्रियता के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश मे इस क्षेत्र मे बड़ी संख्या मे निवेशक आकर्षित हो रहे हैं
और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। कोशिश है कि किसानो द्वारा उत्पादित खाद्य सामग्री किसी भी दशा मे बर्बाद न हो, और उन्हे उसके उचित दाम भी मिले, दूसरी तरफ अधिक से अधिक उद्यम स्थापित कराकर लोगो को रोजगार से जोड़ना है।
बैठक मे बताया गया कि खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों पर 75 किलो वाट का सोलर प्लाण्ट लगाने पर योजनान्तर्गत निर्धारित धनराशि रू. 50 लाख अधिकतम की सब्सिडी मिलती है और इसके अन्तर्गत 100 से अधिक उद्यमियों ने इसका लाभ लिया, जिससे विद्युत व्यय पर उद्यमियो की बड़ी रकम की बचत हुई है।
बैठक मे नेशनल शुगर इन्स्टीट्यूट, कानपुर की निदेशक डा० सीमा परोहा द्वारा
प्रतिभाग किया गया। निदेशिका द्वारा गुड़ से बनने वाले विभिन्न सामग्रियों से समिति को अवगत कराया तथा यह भी आश्वासन दिया कि आगामी 03 माह में 100 नये उद्यमियों को गुड़ से बनने वाली सामग्रियों से सम्बन्धित प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।
विभागीय 77 राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्रों को उच्चीकरण/आधुनिक करने के प्रस्ताव पर समिति द्वारा सहमति व्यक्त की गयी। बताया गया कि इन केन्द्रों के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 1000 छात्र/छात्राओं को सर्टीफिकेट उपलब्ध कराया जायेगा। खाद्य प्रसंस्करण मे प्रशिक्षित छात्र/छात्राओं को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होगें, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 योजनान्तर्गत कुल स्वीकृत लगभग 400 इकाईयों पर गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए खाद्य प्रसंस्करण में प्रशिक्षित नवयुवक / नवयुवतियों की मांग में बढ़ोत्तरी हुई है।
नेशनल शुगर इन्स्टीट्यूट एवं राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्रों के प्रस्ताव की स्वीकृति के समय इस बात पर भी सैद्धान्तिक सहमति हुई कि आई.आई.टी., तिरूपति के सी.आई.सी. में चल रहे संचालन कार्यक्रम की भांति एफ.पी.ओ./स्वयं सहायता समूहों की सहायता से पी.पी.पी. मॉडल पर संचालित कराया जाये।
खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों हेतु कच्चे माल की स्थानीय स्तर पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर जोर दिया गया,जिससे स्थानीय कृषकों की आय में वृद्धि हो सके। इसके दृष्टिगत् यह निर्देशित किया गया कि कच्चे माल की उपलब्धता स्थानीय कृषको, एफपीओ के सहयोग से कराये जाने पर बल दिया जाये तथा उद्यमियों द्वारा लिये जाने वाले कच्चे माल की सूची निदेशालय को उपलब्ध करायी जाये, इसका सत्यापन थर्ड पार्टी इन्सपेंक्शन एजेन्सी यथा- नैबकॉन्स, आई.वी.आर.आई., बरेली, नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या, लखनऊ विश्वविद्यालय, एस.वी.पी.यू.टी., मेरठ, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी, डी.डी.यू., गोरखपुर एवं महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ से इस सम्बन्ध में स्थलीय पर्यवेक्षण कराते हुए डाटा/जानकारी प्राप्त की जाये कि स्थानीय कृषकों की आय में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।
जनपद रायबरेली के उद्यमी श्री प्रभात कुमार सिंह के पुत्र जिन्होंने वारसा पोलैण्ड से पढ़ाई की है, के द्वारा सॉस जैम एवं आचार उत्पादन की इकाई की स्थापना से सम्बन्धित प्रस्ताव समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया, इससे यह परिलक्षित होता है कि आज के शिक्षित नव युवक प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपना स्टार्ट-अप स्थापित करने की ओर अग्रसर हैं।बैठक मे विशेष सचिव उद्यान एव खाद्य प्रसंस्करण श्रीमती प्रेरणा शर्मा,निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री बी पी राम,उपनिदेशक खाद्य प्रसंस्करण डॉ एमपी सिंह सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी
मौजूद रहे।