प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की आधारशिला तथा भव्यता के प्रतीक हैं पुरा छात्र -प्रोफेसर यादव
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प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की आधारशिला तथा भव्यता के प्रतीक हैं पुरा छात्र -प्रोफेसर यादव


 प्रयागराज: राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की आधारशिला तथा भव्यता के प्रतीक हैं पुरा छात्र -प्रोफेसर यादव



मुक्त विश्वविद्यालय के पुरा छात्र सम्मेलन में सम्मानित हुए पुरा छात्र 

उत्तरप्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में बृहस्पतिवार को सरस्वती परिसर स्थित अटल प्रेक्षागृह में पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। पुरातन छात्र सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रोफेसर केदार नाथ सिंह यादव, पूर्व कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र ही इसकी आधारशिला पहचान और भव्यता का प्रतीक होते हैं। पुरातन छात्र परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका है। पुरातन छात्रों को विश्वविद्यालय की उन्नति एवं तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान करना चाहिए। प्रोफेसर यादव ने कहा कि पुरातन छात्र समारोह एक ऐसा अवसर है जब नए और पुराने छात्र मिलकर एक साथ विश्वविद्यालय में एकत्रित होते हैं, सुख-दु:ख साझा करते हैं और एक दूसरे की सहायता करते हैं। ऐसे आयोजनों से पुरा छात्रों की उपलब्धियों को जानने का अवसर प्राप्त होता है जिनसे वर्तमान विद्यार्थी प्रेरणा लेते हैं।



अध्यक्षीय उद्बोधन में मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि पुरातन छात्र सम्मेलन प्रयागराज के कुंभ की तरह है। उसी भव्यता से इसका आयोजन विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष होना चाहिए। उन्होंने पुरातन छात्रों से अपील की कि वे यहां से शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत जहां भी जाएं, वहां सामाजिक एवं शैक्षणिक उन्नयन के कार्य करें। देश की सेवा के लिए सबसे परम धर्म यही है की वह जिस क्षेत्र में कार्य करें पूरी ईमानदारी से करें। साथ ही अपनी भारतीय ज्ञान परंपरा को न भूलें। भारतीय संस्कृति की परंपरा को छात्र याद रखें। इस दिशा में मुक्त विश्वविद्यालय ने नवीन पाठ्यक्रमों का निर्माण किया है। जिसमें कुंभ दर्शन, भगवतगीता आदि प्रमुख हैं। प्रोफेसर सत्यकाम ने महिला शिक्षा के साथ - साथ निर्धनों एवं वंचितों की शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने विकसित भारत की संकल्पना के विविध पक्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली ऐसी है कि वह एक नए भारत के निर्माण की संकल्पना को साकार करने में सक्षम है।

विशिष्ट अतिथि श्री पी.एन.द्विवेदी, राज्य सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने गुरु छात्र सम्मेलन की परंपरागत पद्धति को याद करते हुए कहा कि प्रयाग कि धरती पर महर्षि भारद्वाज ने शिष्य रूप में श्रीराम को दीक्षा दी थी। यह स्थान संस्कृति के उत्थान, एक दूसरे के जुड़ाव और परंपरागत से लकर आधुनिक शिक्षा पद्धति की उद्गमस्थली रही है। श्री द्विवेदी ने कहा कि प्रयागराज में शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ ही दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का भी समागम है। इन सभी महत्वपूर्ण विषयों पर शोध की आवश्यकता है। उन्होंने पुरा छात्र सम्मेलन को कृष्ण सुदामा के मिलन की परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को एक दूसरे की समस्याओं के समाधान और विकास के सामाजिक और आर्थिक आयाम मिलकर खोजने चाहिए।

विशिष्ट अतिथि डॉ जे डी गंगवार, वित्त अधिकारी, इन्दिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में छात्रों के हितों का बहुत ध्यान रखा जाता है। व्यक्तिगत संबंध और ज्ञान के साथ-साथ शैक्षणिक उन्नयन के भी अवसर प्राप्त होते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है जब पूर्व और वर्तमान छात्रों का मिलन होता है। जहां भूतपूर्व छात्र अपने अनुभव साझा करते हैं और वर्तमान छात्र अपने स्वर्णिम भविष्य की संभावनाएं एवं संकल्पनाएं तलाशते हैं। शिक्षकों को भी अपने पुराने छात्रों से मिलकर भावनात्मक सुखद अनभूति होती है और उनकी शैक्षणिक तथा आर्थिक उन्नति देखकर गर्व का अनुभव होता है। 

संचालन डॉ अब्दुर्रहमान ने किया। समन्वयक डॉ ज्ञान प्रकाश यादव ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताते हुए अतिथियों का स्वागत तथा कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अतिथियों ने स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय में नामांकित शिक्षार्थियों को टेबलेट का वितरण किया।

सम्मेलन के द्वितीय सत्र में विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों को सम्मानित किया गया। जिनमें पूर्व जिला सूचना अधिकारी जे एन यादव, पूर्व वित्त अधिकारी सुशील कुमार गुप्ता, नायब तहसीलदार अमीषा सिंह, खंड विकास अधिकारी अरुण सिंह, बाल कल्याण समिति प्रयागराज की सदस्य सुषमा शुक्ला, ज्योतिषाचार्य श्री प्रकाश द्विवेदी, बृजेश सिंह, बलराम सिह, प्रमोद यादव, कर्नल ज्ञान प्रकाश सिंह, शिखा जायसवाल, सुशील कुमार तिवारी आदि प्रमुख रहे। इस अवसर पर पुरातन छात्रों ने विश्वविद्यालय से जुड़ी अपनी यादेखुशनुमा यादें ताजा की तथा विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग करने का आश्वासन दिया।

सम्मेलन के तृतीय सत्र में पुरातन छात्रों के लिए सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया। जिसमें सुप्रिया, दीप्ति, सौरभ, श्रीकेश यादव, पूनम तिवारी, ज्योति तिवारी, सत्यांशिका, साहब नारायण शर्मा, दिलीप तथा कविता ने गणेश वंदना, ढेड़िया, डांडिया, योग नत्य, कविता गजल शंकर भजन तथा कृष्ण भजन आदि का मंचन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।

डॉ प्रभात चंद्र मिश्र 

जनसंपर्क अधिकारी

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