अपने विरोधियों को निपटाने के लिए दर्ज कराए गए झूठे मुकदमे के दोषी वकील को उम्रक़ैद की सज़ा।
मुकदमे के अहम बिंदु,
१-वकील परमानंद गुप्ता ने अपने विरोधियों के खिलाफ एससी/एसटी वर्ग की महिला संग रेप का झूठा मुकदमा लिखाया था। यह महिला वकील की पत्नी के ब्यूटी पार्लर में काम करती थी।
२-विवेचनाधिकारी राधारमण सिंह (एसीपी, विभूतिखण्ड) ने तथ्यों सहित झूठ का पर्दाफाश कर दिया।
३-न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने अपने आदेश में लिखा कि यदि दूध से भरे महासागर में खट्टे पदार्थों की बूंदों को गिरने से नहीं रोका गया तो पूरे महासागर का दूध खराब व नष्ट हो जाएगा ।
४- आदेश में लिखा कि यदि परमानन्द गुप्ता जैसे एडवोकेट को बलात्कार, गैंगरेप एससी/एसटी एक्ट के दुरूपयोग करने से न्यायालय तथा बार काउंसिल आफॅ इण्डिया, बार काउसिंल आफॅ यूपी द्वारा न्यायालयों में प्रवेश व प्रैक्टिस करने से नहीं रोका गया तो भारतीय न्यायपालिका के प्रति, जनता के विश्वास को गंभीर धक्का लगेगा। अभी भी समय है तथा सजगता से प्रयास करने पर ऐसे अपराधियों को कठोर दण्ड देकर उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है।
५-सह-अभियुक्ता को दोषमुक्त कर जेल से तत्काल रिहाई का आदेश दिया गया। हालांकि अदालत ने सख्त चेतावनी दी कि यदि भविष्य में उसने झूठे मुकदमे दर्ज कराने की कोशिश की तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।