लखनऊ: 9 जुलाई 2025
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब, लखनऊ में विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभाग /संस्थाओ के अधिकारियों व कर्मचारियों व विभाग व रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें और अधिक दक्ष व सक्षम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, बख्शी का तालाब, लखनऊ द्वारा संस्थान प्रांगण के विभिन्न प्रशिक्षण कक्षों में महानिदेशक संस्थान एल० वेंकटेश्वर लू के संरक्षण, प्र0अपर निदेशक, संस्थान सुबोध दीक्षित के मार्ग निर्देशन में दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । क्रमशः दिनांक 07 जुलाई, 2025 से दिनांक 08 जुलाई, 2025 की अवधि में ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल 61 प्रतिभागियों हेतु 02 दिवसीय आवासीय, “वीपीआरपी (Village Prosperity and Resilience Plan) Roll Out” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा पशुपालन विभाग के सहयोग से दिनांक 07 जुलाई, 2025 से दिनांक 08 जुलाई, 2025 की अवधि में प्रदेश के प्रत्येक जनपद से 02 पशु चिकित्साधिकारियों, इस प्रकार कुल 150 पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा “बर्ड फ्लू रोग नियंत्रण एवं जागरूकता” विषयक उक्त 02 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया|प्रमुख रूप से दिनांक 08 जुलाई, 2025 को उक्त “बर्ड फ्लू रोग नियंत्रण एवं जागरूकता” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन संस्थान के महानिदेशक एल० वेंकटेश्वर लू की अध्यक्षता व विशिष्ट अतिथि वार्ताकारों एवं वरिष्ट अधिकारीयों यथा – रामकृष्ण गोश्वामी संस्थापक अध्यक्ष, भारत चरित्र निर्माण संस्थान, नई दिल्ली, डॉ किशन वीर सिंह शाक्य प्रख्यात शिक्षाविद एवं पूर्व वरिष्ठ सदस्य, उ० प्र० लोक सेवा आयोग, वरुण विद्यार्थी मानवोदय सेवा संस्थान, लखनऊ, डॉ योगेन्द्र सिंह पवार, निदेशक पशुपालन उ० प्र० तथा डॉ विजय पाण्डेय, उपनिदेशक, पशुपालन उत्तर प्रदेश की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया|
समापन समारोह में वक्ताओं के संबोधन के दौरान रामकृष्ण गोश्वामी द्वारा बताया गया कि मिशन कर्मयोगी के अंतर्गत प्रतिदिन की मानव जीवन शैली में व कार्य स्थल पर कर्म योग का कैसे उपयोग करें| वरुण विद्यार्थी द्वारा प्रतिभागियों को बताया गया कि किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम को आरम्भ करने के पूर्व “प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण” का औचित्य और इसकी उपयोगिता क्या है तथा उन विधाओं पर भी प्रकाश डाला कि किस प्रकार प्रशिक्षण कार्यक्रम में गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है | डॉ किशन वीर शाक्य द्वारा प्रमुख रूप से बताया गया कि किस प्रकार क्रिटिकल थिंकिंग को प्रशिक्षण कार्यक्रमों मे समाविष्ट करें, जिससे कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अत्यधिक ग्राह्यता हो सके एवं सुगम, सरल व उपयोगी बनाया जा सके तथा विषयगत आधारित प्रासंगिक बिन्दुओं पर ही वार्ताएं प्रदान की जानी चाहिए|
निदेशक पशुपालन, योगेन्द्र सिंह पवार द्वारा बताया गया कि बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) के नियंत्रण और रोकथाम के लिए पूर्व और पश्चात की शल्य प्रक्रिया, नमूना संग्रहण और प्रेषण के लिए व्यापक प्रक्रिया, (एवियन इन्फ्लुएंजा) में प्रवासी और जंगली पक्षियों की भूमिका और निवारक उपाय, बर्ड फ्लू की रोकथाम, नियंत्रण और रोकथाम के लिए कार्ययोजना का अवलोकन, पशु उत्पादक निर्यात पर जुनोटिक\उभरती/विदेशी बीमारियों का प्रभाव और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए विशेष कर प्रदेश के सन्दर्भ में इसके निहितार्थ इत्यादि विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा वार्ताएं प्रदान की गयी हैं |
समापन समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन के अंतर्गत महानिदेशक संस्थान द्वारा बताया गया कि किसी भी संगठन, संस्था व विभागीय कार्य प्रणाली में व्यापक रूप से सकारात्मक परिवर्तन तभी हो सकता है,जब प्रत्येक अधिकारी व कार्मिक अपने दायित्वों का निर्वहन सम्पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी के साथ करे तथा अपने कार्य पटल को पूजा स्थल के रूप में समझे, क्योंकि जब व्यक्ति निश्चल, निष्कपट व सरल-सहज भाव से अपने कार्यों को निष्पादित करता है, उसके आत्म विश्वास व आत्म बल में निश्चित रूप में तीव्र वृद्धि होती है |
कार्यक्रम के अंतिम चरण में डॉ नीरजा गुप्ता, उप निदेशक संस्थान द्वारा सभी विशिष्ठ अतिथि वार्ताकारों, प्रतिभागियों कार्यक्रम के आयोजन व प्रबंधन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सभी लगे अधिकारियों व कार्मिकों तथा महानिदेशक संस्थान को सम्मानित आभार करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया तथा बताया कि प्रेरणा दायक व्यक्तित्व सदैव सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है | सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन राजीव कुमार दुबे, सहायक निदेशक संस्थान द्वारा किया गया|
प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन एवं प्रबंधन के दृष्टिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभारी डॉ एस० के० गुप्ता के निर्देशन में सहयोग की दृष्टि से प्रतिमेश तिवारी शोध सहयुक्त, आरती गुप्ता, विकास श्रीवास्तव, डॉ विनीता रावत, उपेन्द्र दुबे तथा मोहम्मद शहंशाह का विशेष योगदान रहा है |