मनियर स्थित,परशुराम मंदिर पर मनी परशुराम जयंती
Type Here to Get Search Results !

Advertisement

Acrc institute Acrc instituteAcrc institute

Recent Tube

मनियर स्थित,परशुराम मंदिर पर मनी परशुराम जयंती



प्रदीप बच्चन (ब्यूरो चीफ)

बलिया (यूपी)। मनियर के परशुराम मंदिर पर परशुराम जयंती प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से मनाई गई। इस समय नगर पंचायत मनियर में उपचुनाव अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है। इसके कारण भी परशुराम जयंती में भाजपा एवं सपा दोनों प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा पूजा करने की होड़ भी लगी हुई है। पत्रकार मिस आरती ने जानकारी देते हुए हमारे वरिष्ठ संवाददाता-प्रदीप बच्चन को बताया कि मनियर में भगवान परशुराम का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर कब का बना है इसके बारे में सही जानकारी तो नहीं हो पाई है।लेकिन प्रसिद्ध विद्वान पंडित सुमन जी उपाध्याय के अनुसार इस मंदिर का जिर्णोद्धार 1560 ईस्वी में श्रीनाथ राय द्वारा कराया गया था। जिसका वर्णन दरवाजे के लकड़ी के गेट पर लिखा हुआ मिला था। इस मंदिर पर कभी मुगल शासक औरंगजेब ने भी आक्रमण किया था। लोगों का कहना है कि औरंगजेब के सैनिकों को मंदिर से निकले भंवरवा हाड़ा ने खदेड़ा था। औरंगजेब ने अपनी तलवार से मूर्ति को खंडित किया था। 

भगवान परशुराम के विषय में बताया जाता है कि यहां पर उनका तपोस्थली रहा है। बताया जाता है कि कभी मनियर का पूरा नगर घना जंगल हुआ करता था। जहां पर ऋषि मुनि तपस्या करते थे। वही इस जंगल में विषैला सर्प हुआ करते थे जो मणीधर थे।उसी के नाम पर इस नगर का नाम मणिधर पड़ा फिर बाद में लोगों द्वारा मुनिवर रखा गया। आज के समय में उसी का विभत्स रूप नाम, आज मनियर के रूप में विराजमान है। भगवान परशुराम को विष्णु का छठवां अवतार माना जाता था। उनके पिता का नाम जगदंबिनी ऋषि व मां का नाम रेणुका था। पत्नी का नाम धारीणी था। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को इनका जन्म माना जाता है। बताया जाता है कि यह चिरंजीवी थे। अश्वत्थामा एवं बजरंगबली की तरह इन्हें भी चिरंजीवी का वरदान प्राप्त था। तथा सभी कालों में वह थे व हैं ऐसा माना जाता है। उन्होंने भीष्म, द्रोणाचार्य व कर्ण तीनों लोगों को शस्त्र विद्या की शिक्षा दी थी। इन्होंने मऊ जनपद के रतोह नामक स्थान पर विशाल राक्षस बहेरा कुंवर को मारा था। जो उनकी तपस्या में विघ्न करता था। उसको मार कर भगवान परशुराम ने उसे घसीटते हुए लेकर मनियर आए थे। तथा सरजू नदी में जल प्रवाह किए थे। जिस रास्ते से उसे घसीट कर लाए थे वह विशाल नाला का रूप आज" बहरा नाला" के रूप मे जाना जाता हैं। आज भी मनियर स्थित भगवान परशुराम के मंदिर के ठीक पीछे वह नाला विराजमान है। 

मनियर बस स्टैंड के पास परशुराम जयंती के अवसर पर एक मेला लगता है। जिसे अक्षय तृतीया (एक तिजिया) का मेला कहते हैं। मेला करीब एक महीने तक चलता है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies