आज दिनांक 22 अप्रेल को जिलाधिकारी महोदया और डीआईओएस जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अवधकेशरी सेना ने लिखित शिकायत की और विभिन्न मांग रखी।।
1- शिक्षा के नाम पर खुला व्यापार
प्रत्येक वर्ष फीस में मनमानी बढ़ोतरी, फीस का चेक द्वारा भुगतान न लेना, परीक्षा शुल्क, डायरी, आई कार्ड, ड्रेस और किताबों का अलग शुल्क, और बच्चों से समाज सेवा के नाम पर धन वसूली—इन सभी ने शिक्षा को एक व्यापार का रूप दे दिया है। दिलचस्प बात यह है कि अभिभावकों को स्कूल प्रशासन की दुकान से ही किताबें और ड्रेस लेने के लिए मजबूर किया जाता है, जिनकी कीमतें बाजार से कहीं अधिक होती हैं।
2- ट्यूशन का दबाव और छात्रों पर अत्याचार
विद्यालयों के शिक्षक बच्चों को व्यक्तिगत ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करते हैं। यदि कोई बच्चा ट्यूशन नहीं लेता, तो उसकी परीक्षा में अंक काट लिए जाते हैं या उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। यह स्थिति छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
3- प्रशासन की मनमानी और अभिभावकों की बेबसी
जब अभिभावक स्कूल प्रशासन से मिलने जाते हैं और अपनी समस्याएं रखते हैं, तो उन्हें ताना दिया जाता है या उनके बच्चों को टारगेट किया जाता है। कई बार छात्रों को कक्षा में अपमानित भी किया जाता है। परेशान अभिभावक जब समाधान की मांग करते हैं, तो स्कूल प्रशासन कहता है, "अगर परेशानी है तो बच्चों का नाम कटवा लें।"
4- निरीक्षण की कमी और प्रशासन की चुप्पी
इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षा विभाग या अन्य जिम्मेदार अधिकारी शायद ही कभी स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। यदि समय-समय पर इन स्कूलों की जांच की जाए, तो कई अनियमितताओं का खुलासा हो सकता है।
निजी स्कूलों की इस मनमानी पर सख्ती से लगाम लगाए। ड्रेस, किताबें, फीस, और अन्य शुल्कों पर नियंत्रण होना चाहिए ताकि मध्यम वर्गीय परिवार भी अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकें। साथ ही, स्कूलों में मानकों के अनुरूप ढांचा, योग्य शिक्षक और अभिभावकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित किया जाए।
नीरज सिंह, नील ठाकुर, राघवेंद्र सिंह, रामनरेश पांडेय, आलोक सिन्हा, अमित मिश्रा, शिवेन्द्र सिंह बाहुबली, विवेक सिंह, सन्तोषी सिंह सहित सैकड़ों पदाधिकारी उपस्थित रहे।।