महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे की जांच में अभी समय लग सकता है। वैसे आयोग के समक्ष 30 पुलिसकर्मियों सहित 75 लोगों ने बयान दर्ज कराया है। मेला प्रशासन जहां शुरूआत में एक घटना का बार - बार जिक्र कर रहा था, जांच शुरू होने के बाद अलग- अलग दो घटनाओं में 37 लोगों के मौत की बात स्वीकार कर चुका है। सूत्रों की मानें तो जांच पुरी होने में एक पखवारे से अधिक का अभी समय लग सकता हैं। मेला प्रशासन एवं पुलिस के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन 29 जनवरी की भोर में करीब डेढ़ से पौने दो बजे के बीच एकाएक पीछे से भीड़ का रेला आया जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग गिर कर दब गए, जिसमें नब्बे लोग घायल हो गए। इसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई। मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित किया। जिसमें में रिटायर्ड आईएएस दिनेश कुमार सिंह, सेवानिवृत्त आईपीएस वीके गुप्ता को शामिल किया गया। जांच के लिए कई बार संगम नोज का दौरा आयोग की टीम कर चुकी है। 30 से अधिक पुलिस कर्मियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा अब तक 45 से अधिक लोगों ने अपना बयान आयोग के समझ दर्ज कराया है। जो भी हो न्यायिक आयोग की जांच के दौरान मेला प्रशासन जहां एक ही घटना का बार-बार जिक्र कर रहा था, अब अलग- अलग दो घटनाओं के होने की बात स्वीकार कर मृतकों में एक को छोड़ कर अन्य के परिवार वालों को आर्थिक सहायता भी मुहैया कराया है।
सरकार ने आयोग को विस्तृत रिपोर्ट 31 मार्च तक पेश करने को कहा था
हाईकोर्ट में कुछ लोगों ने याचिका दायर किया। सुनवाई में याची के अधिवक्ता ने कोर्ट में मीडिया रिपोर्ट और हादसों के प्रमाण स्वरूप वीडियो फुटेज की पैन ड्राइव दाखिल कर दावा किया था कि अमावस्या के दिन एक नहीं , कई जगह हादसे हुए। याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसाली और न्यायमूर्ति शैलेंद्र क्षितिज की अदालत ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि न्यायिक आयोग मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ से जुड़ी सभी घटनाओं की जांच करेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाते हुए हादसों में जानमाल के नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट 31 मार्च तक पेश करने को कहा था। यह भी कहा था कि इस दौरान याची भी आयोग के समक्ष साक्ष्य पेश कर सकते हैं।