प्रदेश सरकार की पहल से न केवल कारीगर आर्थिक रूप से हो रहे सशक्त, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और परंपरागत कला को भी संरक्षित करने में दे रहे योगदान-मंत्री राकेश सचान
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प्रदेश सरकार की पहल से न केवल कारीगर आर्थिक रूप से हो रहे सशक्त, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और परंपरागत कला को भी संरक्षित करने में दे रहे योगदान-मंत्री राकेश सचान



लखनऊ: 29 मार्च , 2025

योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड और खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड ने पारंपरिक कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए एक और कदम बढ़ाया। शनिवार को लखनऊ के गांधी भवन प्रेक्षागृह में ष्राज्य स्तरीय माटीकला एवं ग्रामोद्योग पुरस्कार वितरण समारोह-2025 का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान ने किया। समारोह में उत्कृष्ट शिल्पकारों और उद्यमियों को सम्मानित करते हुए माटीकला और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में उनके योगदान को सराहा गया। योगी सरकार की यह पहल न केवल कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और परंपरागत कला को संरक्षित करने में भी योगदान दे रही है। समारोह में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों और कारीगरों ने इस प्रयास की सराहना की और इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

 मंत्री राकेश सचान ने अपने संबोधन में कहा कि योगी सरकार माटीकला और खादी उद्योग को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सुधार और रोजगार सृजन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पॉलीथीन के विकल्प के रूप में माटीकला उत्पादों जैसे कुल्हड़, गिलास, थाली और बोतल के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि माटीकला हमें अपनी मिट्टी से जोड़ती है और राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करती है।

 प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग अनिल कुमार सागर ने कहा कि वर्ष 2024-25 में 2,325 विद्युत चालित चाक, 375 पगमिल मशीनों का वितरण और 300 इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य पूरा किया जा चुका है। इसके साथ ही खादी बोर्ड ने 580 दोना-पत्तल मशीन और 756 पॉपकॉर्न मशीनें भी वितरित की हैं। पिछले पांच वर्षों में माटीकला बोर्ड ने 30,888 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित किए हैं।

 


मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. उज्ज्वल कुमार ने माटीकला बोर्ड की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब तक 48,048 कारीगर परिवारों का चिन्हांकन किया गया है, जिसमें से 32,593 को मिट्टी खोदने के पट्टे, 15,832 विद्युत चालित चाक, 81 दीया मेकिंग मशीन और 31 पेंटिंग मशीनें वितरित की जा चुकी हैं। इसके अलावा, 19,650 लाभार्थियों को प्रशिक्षण और 122 सहकारी समितियों की स्थापना भी की गई है।

 कार्यक्रम में राज्य स्तरीय माटीकला और ग्रामोद्योगी पुरस्कार प्रदान किए गए। माटीकला श्रेणी में आजमगढ़ के आनंद कुमार प्रजापति को प्रथम पुरस्कार (40,000 रुपये), अयोध्या के राम सजीवन प्रजापति को द्वितीय पुरस्कार (30,000 रुपये) और कानपुर देहात के विपिन कुमार को तृतीय पुरस्कार (20,000 रुपये) से सम्मानित किया गया। वहीं, ग्रामोद्योगी श्रेणी में मेरठ की मुनेश को प्रथम, बांदा के अर्जुन को द्वितीय और वाराणसी के अशोक कुमार जायसवाल को तृतीय पुरस्कार मिला।

 सेमिनार सत्र के अन्तर्गत प्रो. ए. के. गुप्ता, सिरेमिक्स विशेषज्ञ, अलीगढ़ द्वारा प्रदेश में माटीकला की दशा एवं दिशा विषय पर व्य़ाख्यान एवं पी.पी.टी. के माध्यम से पारम्परिक ग्रामीण माटीकला निर्माण से आधुनिक माटीकला निर्माण तक की जानकारी दी गयी। कुलदीप धीमान, माटीकला पेटिंग विशेषज्ञ, लखनऊ द्वारा विभिन्न तकनीकों द्वारा टेराकोटा उत्पाद, डिजाइन एण्ड डेकोरेशन पर, डॉ. सुरेन्द्र प्रजापति, राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव, ऑल इण्डिया, कुलाल कुम्भार प्रजापति फेडरेशन, लखनऊ द्वारा टेराकोटा से रिलीव एवं म्युरल कला उत्पाद का निर्माण पर तथा कृष्ण कुमार श्रीवास्तव माटीकला विशेषज्ञ, लखनऊ, मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण डिजाइन एण्ड डेकोरेशन पर प्रकाश डाला।

 कार्यक्रम का समापन संजय कुमार पाण्डेय, नोडल अधिकारी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस अवसर पर सचिव प्रांजल यादव, उ०प्र० माटीकला बोर्ड एवं खादी बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे

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