बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों की महापंचायत आज, मेरठ में जुटेंगे प्रदेश भर के कर्मचारी
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बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों की महापंचायत आज, मेरठ में जुटेंगे प्रदेश भर के कर्मचारी

 


पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के विरोध में संयुक्त संघर्ष समिति का प्रदर्शन लगातार जारी है। रविवार को विभिन्न जिलों में बैठकें हुईं और आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। तय किया गया कि 24 मार्च को मेरठ में होने वाली बिजली महापंचायत में ज्यादा से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे। लखनऊ के फील्ड हॉस्टल सहित विभिन्न जिलों में हुई समिति की बैठकों में ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति के मसले पर भी चर्चा हुई। पदाधिकारियों ने टीए की नियुक्ति को गलत बताते हुए इसे रद्द करने की मांग उठाई। कहा, सलाहकार के रूप में उस कंपनी को चुना जा रहा है जो पहले से ही निजीकरण की पोषक है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि 24 अप्रैल को मेरठ में होने वाली बिजली महापंचायत में बिजली कार्मिकों के साथ ही किसान नेता भी शामिल होंगे। निविदा प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जाए : उपभोक्ता परिषद

उपभोक्ता परिषद ने पावर काॅर्पोरेशन से मांग की है कि निजीकरण के टेंडर की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए। टेंडर पोर्टल पर बिड संबंधी दस्तावेजों में लगाया गया हाइड हटाया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निविदा में योग्यता संबंधी दस्तावेज में कई तरह की गड़बड़ियां हैं। यही वजह है कि उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। ट्रांजेक्शन एडवाइजर के लिए निविदा में शामिल तीनों कंपनियों के पार्ट एक में लगाए गए निविदा दस्तावेज को छुपाया जा रहा है। मूल्यांकन कमेटी की जिम्मेदारी थी कि वह निविदा की वैधता और योग्यता की छानबीन करे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने पूरे मामले में मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग की है।

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