प्रयागराज: महाकुंभ के दौरान पुलिस बैरिकेडिंग से बचने के लिए एक महीने में बिक गए 10 हजार हूटर
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प्रयागराज: महाकुंभ के दौरान पुलिस बैरिकेडिंग से बचने के लिए एक महीने में बिक गए 10 हजार हूटर

 


महाकुंभ के दौरान जाम व पुलिस बैरिकेटिंग को पार करने के लिए हूटरों की जमकर बिक्री हुई है। सिर्फ जनवरी महीने में 10 हजार से अधिक हूटरों की खरीददारी हुई। सरकारी से लेकर निजी वाहनों में भी हूटरों की आवाज गूंजती नजर आई। जबकि निजी वाहनों में हूटर का उपयोग करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। मगर कई सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों ने भी अपने कार में हूटर लगाकर मेले का आनंद लिया। भीड़ के बीच वीआईपी सायरन बजाते हुए कई वाहन बिना किसी रोक-टोक के मेले में प्रवेश कर गए। इतना नहीं हूटरों के साथ पुलिस लाइट का भी जमकर दुरूपयोग हुआ है। कई पुलिस के अधिकारियों ने अपने निजी वाहन में हूटर व लाइट का इस्तेमाल करके परिजनों व सगे संबंधियों को संगम स्नान करवाया है। क्योंकि मेला शुरू होने से पहले जहां दुकानों पर हफ्ते में एक से दो हूटर व पुलिस लाइट बिका करती थी। वहीं मेला शुरू होते ही प्रतिदिन पांच से अधिक हूटर व लाइटों की बिक्री शुरू हो गई। सिर्फ सिविल लाइंस से लेकर जानसेनगंज तक में कुल 40 से अधिक कार एसेसिरीज की दुकानें हैं। इन सभी दुकानों में पांच से अधिक हूटर प्रतिदिन बेचे गए हैं। इसके अलावा शहर के बॉर्डर पर भी हूटर व पुलिस लाइटों की डिमांड रही है। अधिकारी, नेता व उनके परिजनों ने पूरे मेले में हूटर व पुलिस लाइट का खूब इस्तेमाल किया है। पुलिस बैरिकेटिंग जाम लगने पर या फिर पुलिस बैरिकेटिंग पहुंते ही सायरन बजने शुरू हो जाते हैं। इतना ही नहीं अगर बैरिकेटिंग पर खड़े पुलिस के जवान ने सायरन की आवाज पर ध्यान नहीं दिया, तो उसे जमकर खरी-खोटी भी सुनाई जाती है। 15 से 20 किलोमीटर तक पैदल चलकर संगम स्नान करने वाले श्रद्धालुओं पर हूटर की आवाज पूरे मेले में हावी रही है।

कौन कर सकता है हूटर का इस्तेमाल

हूटर का इस्तेमला एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, आरटीओ, प्रवर्तन के वाहनो में किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य किसी भी वाहन में हूटर का इस्तेमाल प्रतिबंधित है।

अब वाहनों में छुपाकर लगाया जाता है हूटर

पहले वाहनों में हूटर लगाने के बाद वाहन में सायरन के लिए साउंड लगाया जाता था। मगर अब ऐसा नहीं है, हूटर को वाहन के इंजन के पास ही लगा दिया जाता है। ऐसे में किस वाहन में हूटर लगा है, इसका पता कर पाना मुश्किल है।

समय-समय पर वाहनों में अवैध तरीके से लगे हूटरों को हटवाया जाता है। वहीं महाकुंभ के बाद एक बार फिर से अभियान चलाकर वाहनो में अवैध तरीक से लगे हूटरों को हटाया जाएगा।

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