पशुधन मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने महाकुम्भ नगर में गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास पर की समीक्षा बैठक
Type Here to Get Search Results !

Advertisement

Acrc institute Acrc instituteAcrc institute

Recent Tube

पशुधन मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने महाकुम्भ नगर में गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास पर की समीक्षा बैठक



लखनऊ: 08 फरवरी, 2025

महाकुम्भ 2025 के अवसर पर प्रयागराज के संगम की पावन स्थली पर प्रदेश के पशुधन,दुग्ध विकास एवं राजनैतिक पेंशन विभाग के कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में पशुपालन एवं दुग्ध विकास की बैठक हुई। बैठक में निराश्रित गोवंश के संरक्षण, संरक्षण में आए संघर्षों के समाधान पशु कल्याण एवं विकास,दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा पशु स्वास्थ्य एवं संक्रामक रोगों से बचाव संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में कहा गया कि गाय के दूध के साथ साथ उसके गोबर एवं मूत्र के व्यावसायिक उपयोग को संपूर्ण उत्तर प्रदेश में बढ़ावा दिया जाएगा। बैठक में धर्मपाल सिंह ने पशुधन एवं दुग्ध विकास के कार्यों एवं भावी योजनाओं की चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस अवसर मंत्री जी ने गौ पूजन कर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया और लोकमंगल कामना की।

श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 7713 गो आश्रय स्थलों में 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। गोबर व गोमूत्र से बने उत्पादों के विपणन से गोआश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। गोवंश के भरण-पोषण हेतु अनुदान को ₹30 से बढ़ाकर ₹50 प्रतिदिन किया गया है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख निराश्रित गोवंश को 1.05 लाख लाभार्थियों को सुपुर्द कर ₹1500 प्रति माह अनुदान की व्यवस्था लागू की गई है। मुजफ्फरनगर के तुगलकपुर कम्हेटा गांव में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (छक्क्ठ) के सहयोग से 5000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और ब्ठळ प्लांट स्थापित किया गया है। प्रदेश सरकार वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का कार्य कर रही है।

पशुपालन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 543 वृहद गो संरक्षण केंद्रों के निर्माण की मंजूरी दी गई है, जिनमें से 372 केंद्र पूर्ण होकर संचालित हो चुके हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे गोवंश सुरक्षा के लिए रेडियम बेल्ट और सीसीटीवी निगरानी की योजना भी क्रियान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि

प्रदेश सरकार 38 जिलों में छळव् और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से गोकास्ट, गमले, गोदीप, वर्मी कम्पोस्ट और बायोगैस का उत्पादन करा रही है। नाबार्ड के सहयोग से गोशालाओं में बाउंड्रीवाल, ब्रिक सोलिंग और पानी की चरही का निर्माण कराया जा रहा है। 9450 हेक्टेयर गोचर भूमि में से 5977 हेक्टेयर पर हरा चारा उत्पादन किया गया है। आगामी तीन वर्षों में 50,000 हेक्टेयर भूमि को गोशालाओं से जोड़कर चारा उत्पादन की योजना बनाई जा रही है।

 श्री सिंह ने कहा कि सेक्सड सीमेन तकनीक को बढ़ावा देते हुए ₹700 मूल्य वाले सीमेन डोज को ₹100 में उपलब्ध कराया गया है। 8000 युवाओं को पैरावेट के रूप में प्रशिक्षित कर कृत्रिम गर्भाधान से जोड़ा गया है। ब्राजील से 100 साहीवाल भ्रूण आयात कर प्टथ् व म्ज्ज् तकनीक से उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले गोवंश का संवर्धन किया जा रहा है। प्रदेश में 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स स्थापित हैं, जो टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल मिलते ही पशुचिकित्सा और टीकाकरण की सुविधा प्रदान कर रही हैं। छह करोड़ से अधिक पशुओं के लिए मुफ्त दवा और उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

मंत्री जी कहा कि प्रदेश सरकार गाय और गोपालन को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही है, जिससे बच्चों में गोवंश और उसके दुग्ध के महत्व की समझ विकसित हो सके। वर्मी कम्पोस्ट, साइलेज निर्माण और हरा चारा उत्पादन तकनीक में प्रशिक्षण के लिए भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के सहयोग से कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास के क्षेत्र में सतत प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए दुग्ध विकास विभाग द्वारा व्यापक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों को सहकारी दुग्ध समितियों से जोड़ने के उद्देश्य से नंदबाबा दुग्ध मिशन एवं जिला योजना के तहत समितियों का गठन और पुनर्गठन किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में 1046 दुग्ध समितियों का गठन किया गया है, जबकि 2024-25 में 600 नई समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है। आगामी वर्ष 2025-26 में नंदबाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत 4000 नई समितियों का गठन करने की योजना बनाई गई है।

श्री सिंह ने कहा कि किसानों और दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध उत्पादन तकनीकों और नस्ल सुधार के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (छच्क्क्) के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। जिला योजना के तहत पशु स्वास्थ्य और नस्ल सुधार के लिए पीसीडीएफ की पशुआहार निर्माणशालाओं में निर्मित पशुआहार, मिनरल मिक्सचर और आवश्यक दवाएं (डिवर्मिंग, थनैला, टिक कंट्रोल) वितरित की जा रही हैं। इससे दुग्ध उत्पादकों को उनके पशुओं की देखभाल में सहायता मिलेगी, जिससे दूध की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने की दिशा में भी बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। माह जनवरी 2025 में प्रदेश के दुग्ध संघों का औसत दुग्ध उपार्जन 6.28 लाख किलोग्राम प्रतिदिन रहा, जबकि पीसीडीएफ के डेयरी प्लांट्स में 9 लाख लीटर प्रतिदिन दूध का प्रसंस्करण किया गया। भविष्य में इस प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत कानपुर (4 स्स्च्क्), गोरखपुर (1 स्स्च्क्) और कन्नौज (1 स्स्च्क्) के डेयरी प्लांट्स को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (छक्क्ठ) के माध्यम से संचालित करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से उचित मूल्य पर दूध बेचने का अवसर मिलेगा और दुग्ध व्यवसाय से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। इसके अतिरिक्त, सहकारी क्षेत्र में दुग्ध प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत बांदा में 20 स्स्च्क् क्षमता के नवीन डेयरी प्लांट की स्थापना की जा रही है। वहीं, झांसी में स्थापित 10 ज्ञस्च्क् क्षमता के डेयरी प्लांट को 30 ज्ञस्च्क् तक विस्तारित करने की परियोजना अनुमोदित की गई है। मथुरा में राज्य योजना के अंतर्गत प्राप्त ऋण से 30 ज्ञस्च्क् (विस्तारित 1 स्स्च्क्) क्षमता के डेयरी प्लांट की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies