महाकुंभ की व्यापकता से असहज क्यों हैं विरोधी? - डॉ. राजेश्वर सिंह
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महाकुंभ की व्यापकता से असहज क्यों हैं विरोधी? - डॉ. राजेश्वर सिंह


         

       डॉ0 राजेश्वर सिंह, विधायक सरोजनी नगर


उत्तर प्रदेश की गाथा न्यूज

लखनऊ। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का महोत्सव है। इसे लेकर अव्यवस्थाओं के नाम पर आयोजन की आलोचना करने वालों और छोटी-छोटी कमियों को लेकर सनातन परंपरा पर कटाक्ष करने वालों को सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने आलोचकों पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न पूछा कि, उन्हें महाकुंभ की व्यापकता या करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, किस से बात आपत्ति है?

महाकुम्भ : एकता और समानता का संदेश, आलोचना से ऊपर विश्वास की शक्ति - डॉ. राजेश्वर सिंह

विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने महाकुंभ के महत्व को समझाते हुए कहा कि इसकी आलोचना करना इसकी वास्तविकता और गहरे आध्यात्मिक संदेश को न समझने के समान है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, "महाकुंभ सनातन धर्म की शक्ति और आध्यात्मिक संबंधों का जीवंत प्रमाण है। विधायक ने महाकुंभ के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश भी डाला।

जो महाकुंभ की आलोचना कर रहे हैं, वे इसकी आध्यात्मिक गहराई नहीं समझते - डॉ. राजेश्वर सिंह

.आत्मशुद्धि का पर्व: महाकुंभ केवल व्यवस्थाओं का विषय नहीं है, बल्कि यह पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। मान्यता है कि इस दौरान स्नान करने से तन-मन की शुद्धि होती है और पूर्वजों व भावी पीढ़ियों को भी पुण्यलाभ प्राप्त होता है।

2 सनातन धर्म की शक्ति का प्रतीक:* महाकुंभ सनातन धर्म की अनंत शक्ति को दर्शाता है, जो सदियों से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का अनुपम संगम है।

3. एकता और समानता का संदेश: गंगा के पवित्र जल में हर जाति, वर्ग और समाज के लोग स्नान करते हैं, जिससे सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। यह समरसता और समानता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करता है।

4.आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव:

 महाकुंभ केवल भौतिक व्यवस्थाओं से नहीं, बल्कि इसकी आध्यात्मिक अनुभूति से मापा जाता है। प्रयागराज की इस पुण्य भूमि पर आना और स्नान करना, मन को शांति और आत्मा को संतोष प्रदान करता है।

5. सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव: महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का भव्य उत्सव है। यह न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में भारत की आध्यात्मिक शक्ति और एकता का संदेश देता है।

6. आलोचना से ऊपर विश्वास की शक्ति: जो लोग महाकुंभ की व्यवस्थाओं की आलोचना करते हैं, वे इसके मूल संदेश और आध्यात्मिक गहराई को समझने में असफल होते हैं। यह आयोजन करोड़ों लोगों के भक्ति भाव का प्रतीक है।

7. वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान: महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का वैश्विक प्रतीक है। यह करोड़ों भक्तों को एकत्र कर हमारी अखंड एकता और सनातन धर्म की शक्ति को विश्व पटल पर प्रस्तुत करता है।

अंत में, विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि जो लोग इस आयोजन की आलोचना कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें महाकुंभ की व्यापकता और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से आपत्ति क्यों है? शायद यह सनातन धर्म की शक्ति और इसकी आध्यात्मिक गहराई है, जिससे वे असहज महसूस कर रहे हैं।महाकुंभ न केवल अतीत की परंपराओं का अनुसरण है, बल्कि यह भविष्य की आध्यात्मिक यात्रा का भी प्रतीक है। यह आयोजन आदि से अनंत तक सनातन धर्म की यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहेगा।

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