सनातन की ताकत और एकता का नया इतिहास करोड़ों महाकुम्भ में रचा गया: देवेंद्र फडणवीस
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सनातन की ताकत और एकता का नया इतिहास करोड़ों महाकुम्भ में रचा गया: देवेंद्र फडणवीस

 


सनातन की ताकत और एकता का नया इतिहास करोड़ों महाकुम्भ में रचा गया: देवेंद्र फडणवीस


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने लगाई आस्था की डुबकी


उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने प्रदेश सरकार की ओर से किया स्वागत

आस्था, परंपरा और भक्ति की अद्वितीय त्रिवेणी महाकुम्भ 2025 में शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) एवं पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं तेलंगाना के प्रभारी सुनील बंसल ने आस्था की डुबकी लगाई। तीर्थराज प्रयाग में आगमन पर उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने प्रदेश सरकार की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सुनील बंसल का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। 


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सपरिवार महाकुम्भ में सम्मिलित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 144 वर्ष बाद महाकुम्भ के दिव्य एवं अद्भुत योग में संगम स्रान करोड़ों सनातनियों के लिए गर्व की अनुभूति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुमूल्य मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुम्भकी व्यवस्था दिव्य, भव्य ही नहीं बल्कि अद्वितीय है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार का हार्दिक आभार। सनातन की ताकत और एकता का नया इतिहास करोड़ों सनातनियों द्वारा महाकुम्भ में रचा गया है, जो गर्व का विषय है। आस्था के महाकुम्भ को देख कर पूरी दुनिया अचरज में है कि करोड़ों लोगों ने किस तरह त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने भगवती मां गंगा, मां यमुना एवं अदृश्य सरस्वती की पावन धारा में आस्था की डुबकी लगाकर लोक कल्याण की कामना की। संगम दर्शन किया।

उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। 50 करोड़ से अधिक लोग महाकुंभ में आकर संगम में डुबकी लगा चुके हैं, यह अपने आप में विश्व कीर्तिमान है। धर्म, संस्कृति और आध्यात्म के महासंगम का यह महोत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर, एकता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है। जहां संस्कृतियों का संगम भी है, श्रद्धा और समरसता का समागम भी है।

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