60 हजार दलित और 20 हजार सिख, जिसे 60 प्रतिशत वोट मिला वही होगा विजेता, ये है रणनीति
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60 हजार दलित और 20 हजार सिख, जिसे 60 प्रतिशत वोट मिला वही होगा विजेता, ये है रणनीति

 


कानपुर सीसामऊ विधानसभा चुनाव में दलित और सिख, पंजाबी व सिंधी मतदाताओं के कुल 80 हजार से अधिक मतदाताओं में भाजपा और सपा ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी करने के लिए हर संभव कोशिश में लगी हैं। विधानसभा क्षेत्र में 40 से अधिक दलित बस्तियां हैं। इसमें बाल्मीकि, खटीक, कोरी, जाटव, धानुक सभी जातियों के लोग रहते हैं। मजे की बात यह है कि इन बस्तियों का वोट दलितों की कैडर वाली पार्टी कही जाने वाली बसपा के बजाए सपा और भाजपा में बंटता रहा है। पिछले तीन बार के चुनावों की स्थिति देखी जाए तो बसपा का वोट बैंक लगातार कम हुआ है। पिछले 40 साल भाजपा बस्तियों में उतना वोट हासिल नहीं कर पाई है, जितने से उसकी जीत हो सके। यही वजह है कि इस बार उप चुनाव में पार्टी सभी हर तरह की रणनीति पर काम कर रही है। सोमवार को कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि उनका पूरा फोकस दलित और सिख मतदाताओं पर रहना चाहिए। खासकर दलित बस्तियों में संपर्क के दौरान अपनी बोलचाल का लहजा दोस्ताना रखने की जरूरत है। गुस्सा और अनदेखी बिल्कुल नहीं चलेगी। वहां के लोगों से उनकी समस्याएं जानिए, उनसे बात कीजिए फिर अपने साथ जोड़िए।

दलितों से जुड़ने की बात कर रही है सपा

इसके लिए पार्टी ने पन्ना प्रमुख, बूथ अध्यक्ष, शक्ति केंद्रों के प्रभारियों को लगाया है। इसी तरह समाजवादी पार्टी बस्तियों के लोगों से अपने पूर्व विधायक की ओर से किए गए कार्यों और सहयोग को याद दिलाकर इस बार पार्टी से जुड़ने की बात कर रही है। इसके अलावा सिखों की बात करें, तो यहां 60 और 40 का अनुपात है। यानि 60 प्रतिशत सिख किधर जाएंगे और 60 प्रतिशत किधर जाएंगे।

सिख मतदाताओं को जोड़ने की दी गई जिम्मेदारी

यह पार्टियों की रणनीति और मतदाताओं के अपने विवेक पर रहता है। यही वजह है कि भाजपा इस बार सिखों मतदाताओं पर विशेष फोकस कर रही है। भाजपा की योजना है कि इस बार सिख वोटों का 80 प्रतिशत अपने खाते में कर सकें। इसके लिए सिख बिरादरी के कार्यकर्ताओं की टोली को ही सिख मतदाताओं को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है।

अलग-अलग अनुसूचित जातियों में बंटी हैं बस्तियां

सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र की बस्तियां अलग-अलग अनुसूचित जातियों में बंटी हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बाल्मीकि और खटीक समाज के लोग रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह दोनों अनुसूचित जातियां भाजपा की पक्षधर रही है, लेकिन ऐन वक्त पर किस करवट बदलना है, यह उनकी बस्ती में ही तय हो जाता है। इसके अलावा जाटव, कोरी, धानुक बिरादरी के मतदाता भी किसी एक से बंधे नहीं है। यही वजह है कि यहां पर बहुजन समाज पार्टी हमेशा तीसरे और चौथे स्थान पर ही रही है।

पिछले वर्षों के विधानसभा चुनाव परिणामों की स्थिति

2022 में...

इरफान सोलंकी सपा, कुल वोट 79163, 50.68%

सलिल भाजपा, कुल वोट 66897, 42.83%

सुहैल कांग्रेस, कुल वोट 5616, 3.06%

रजनीश बसपा, कुल वोट 2937, 1.88%

2017 में…

इरफान सोलंकी सपा, कुल वोट 73030, 47.6%

सुरेश अवस्थी भाजपा, कुल वोट 67204, 43.8%

नन्दलाल कोरी बसपा,कुल वोट 11949, 7.79%

2012 में...

इरफान सोलंकी सपा, कुल वोट 56496, 42.17%

हनुमान मिश्रा भाजपा, कुल वोट 36833, 27.5%

संजीव दरियाबादी कांग्रेस, कुल वोट 22024, 16.44%

मो.वसीक बसपा, कुल वोट 15846, 11.83%

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