कृषकों के लिए आगामी सप्ताह हेतु मौसम आधारित कृषि परामर्श
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कृषकों के लिए आगामी सप्ताह हेतु मौसम आधारित कृषि परामर्श



लखनऊ : 27 जून 2024

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की वर्ष 2024-25 की आठवीं बैठक, पीयूष कुमार शर्मा, सचिव, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में परिषद के सभाकक्ष में संपन्न हुई। बैठक में मानसून 2024 की प्रगति और आगामी सप्ताह के लिए मौसम पूर्वानुमान पर विस्तृत चर्चा की गई।

दक्षिण-पश्चिम मानसून आज 27 जून को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई भाग में सक्रिय हो चुका है। मौसम पूर्वानुमान (27 जून से 03 जुलाई, 2024) के अनुसार इस सप्ताह के दौरान प्रदेश के अधिकांश भाग में मेघगर्जन एवं वज्रपात के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। प्रदेश के विभिन्न कृषि जलवायु अंचलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा मध्य मैदानी क्षेत्र के दक्षिणी भाग में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है, जबकि अन्य अंचलों में यह सामान्य अथवा सामान्य से आंशिक रूप से कम रहेगा।

मानसून ऋतु (01 से 27 जून, 2024) के दौरान उत्तर प्रदेश में 74.1 मिमी. के दीर्घकालिक औसत के सापेक्ष कुल 36 मिमी. वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य से 51 प्रतिशत कम है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 83.8 मिमी. के दीर्घकालिक औसत के सापेक्ष कुल 33.5 मिमी. वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 60 प्रतिशत कम है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 60.5 मिमी. के दीर्घकालिक औसत के सापेक्ष कुल 39.6 मिमी. वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 34 प्रतिशत कम है। इस दौरान प्रदेश के अयोध्या जनपद में सर्वाधिक 133.8 मिमी. वर्षा दर्ज की गई है।

कृषकों के लिए परामर्श दिए गए जिसमेंः-

1. वज्रपात से सावधानीः मानसून के आरंभिक चरण में वज्रपात की संभावना अधिक है। सभी किसान अपने मोबाइल में दामिनी तथा सचेत ऐप डाउनलोड करें और इसके निर्देशों का पालन करें।

2. धान की रोपाईः धान की तैयार पौध की रोपाई युद्धस्तर पर करें। धान की कम अवधि की प्रजातियों की सीधी बुवाई ड्रम सीडर या सीड ड्रिल से करें।

3. खरीफ फसलों की बुवाईः शोधित बीज का ही प्रयोग करें। अरहर का अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु रिज और मेड़ बनाकर मेड़ों पर बुआई करें।

4. गन्नाः गन्ने में चोटी बेधक कीट के प्रकोप की आशंका के दृष्टिगत सुरक्षित उपचार करें।

5. हरी खादः जिन कृषकों ने सनई व ढैंचे की बुआई की है, वह 40 से 42 दिन की पौध की पलटाई करें।

6. ऊसर सुधारः कृषक जिप्सम की आवश्यकता अनुसार डालें।

7. श्री अन्न की खेतीः ‘‘श्री अन्न’’ जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदों आदि की खेती करें।

8. अरहर की किस्मेंः नरेन्द्र अरहर 2, मालवीय चमत्कार, राजेन्द्र अरहर-2, आदि किस्मों की बुवाई मेढ़ों पर करें।

9. सोयाबीन की किस्मेंः पी.के. 472, पी.एस. 564, आदि किस्मों की बुवाई करें।

10. मूंगफली की किस्मेंः जी.जे.जी.-9, जी.जे.जी.-31, आदि किस्मों की बुवाई करें।

11. गन्ने में लालसड़न रोगः गन्ने की पत्तियों की मध्य शिरा पर लालसड़न रोग के लक्षण दिखने पर पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और थायोफिनेटमेथिल 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें।

12. आम में फलमक्खी से बचावः मिथाइल यूजिनाल एवं क्यू ल्योर ट्रैप का प्रयोग करें और नीम एक्सट्रैक्ट 5 प्रतिशत प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

13. वर्तमान में टीकाकरणः बु्रसेला बीमारी का 30 जून तक एवं गलाघोंटू बीमारी का 15 जुलाई तक निःशुल्क टीकाकरण चल रहा है।

14. मत्स्य पालनः कतला, रोहू, नैन मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन करायें।

15. शहतूती एवं टसर सेक्टरः मानसून सीड क्राप एवं टसर सेक्टर में कीटाण्ड उत्पादन माह जुलाई के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ होने जा रहा है।

कृषकों से अनुरोध है कि वे इन परामर्शों का पालन करें और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।

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