डीएम की बड़ी कार्यवाई जांच में 45 साल बाद खुली पोल, चकबंदी अधिकारी समेत 6 के खिलाफ मुकदमा दर्ज
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डीएम की बड़ी कार्यवाई जांच में 45 साल बाद खुली पोल, चकबंदी अधिकारी समेत 6 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

 


डीएम की बड़ी कार्यवाई जांच में 45 साल बाद खुली पोल, चकबंदी अधिकारी समेत 6 के खिलाफ मुकदमा दर्ज


बलरामपुर के डीएम को जनता दर्शन में शिकायत मिली। टीम गठित कर जांच कराई गई तो 45 साल पुराने मामले के फर्जीवाड़ा की पोल खुल गई।


बलरामपुर की चकबंदी विभाग में फर्जी अभिलेखों के सहारे कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के मामले में डीएम को शिकायत मिली। जिस पर डीएम ने कमेटी बनाकर जांच कराई। जांच में 45 साल बाद फर्जीवाड़ा की पोल खुल गई। जिस पर डीएम ने तत्कालीन चकबंदी अधिकारी पेशकार, संग्रह अनुसेवक तीन लाभार्थी समेत 6 लोगों के खिलाफ डीएम के आदेश पर देहात कोतवाली में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।


बलरामपुर जिले में चकबंदी विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्रकरण डीएम के संज्ञान में आने के बाद दो सदस्य की कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई गई। जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने के बाद डीएम के आदेश पर तत्कालीन चकबंदी अधिकारी दो कर्मचारी तीन लाभार्थी समेत 6 लोगों के खिलाफ देहात कोतवाली में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। चकबन्दी विभाग में फर्जी अभिलेखों के जरिए लाभ प्राप्त करने वाले तीन व्यक्तियों अब्दुल खलील, अब्दुल सलीम पुत्रगण जाफर व मजीदुन्निशा पत्नी स्व0 जाफर निवासीगण ग्राम मानीगढ़ा, परगना सादुल्लानगर, तहसील उतरौला, तथा फर्जी अभिलेख जारी कर विपक्षियों को लाभ पहुंचाने वाले तत्कालीन चकबन्दी अधिकारी बलरामपुर शिवमूरत सिंह, महेन्द्र गुप्ता पेशकार न्यायालय चकबन्दी, राम पुजारी संग्रह अनुसेवक के खिलाफ गम्भीर धाराओं में कोतवाली देहात में मुकदमा दर्ज कराया गया है।


साक्ष्य सहित सूचना कराई गई जांच दोषी मिले तत्कालीन अधिकारी

जनता दर्शन में चकबन्दी विभाग में फर्जी अभिलेखों के जरिए लाभ पहुंचाने की साक्ष्य सहित सूचना पर जाचं के लिए अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व प्रदीप कुमार तथा अपर उपजिलाधिकारी बलरामपुर संतोष कुमार ओझा की अध्यक्षता में दो सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराया तो पता चला कि गलत कार्य में संलिप्त चकबन्दी अधिकारी बलरामपुर शिवमूरत सिंह कुशवाहा जो कि पदोन्नत होकर वर्तमान में बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी सिद्धार्थनगर के पद पर तैनात हैं। उनके पेशकार न्यायालय चकबन्दी बलरामपुर महेन्द्र कुमार गुप्ता और राजस्व अभिलेखागार में कार्यरत कर्मचारी राम पुजारी, संग्रह अनुसेवक सम्बद्ध राजस्व अभिलेखागार ने विपक्षी को वर्ष 1979 के एक प्रकरण में मूल पत्रावली में आदेश न होते हुए भी चकबन्दी अधिकारी ने कार्यालय का दुरूपयोग करते हुए मैनुअल आदेश जारी कर दिया। तथा जारी किये गये आदेश को राजस्व परिषद की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया गया। अभिलेखागार से आदेश की फर्जी नकल भी जारी करा दी गई। डीएम ने गठित टीम की जांच में चकबन्दी अधिकारी बलरामपुर शिवमूरत सिंह, महेन्द्र गुप्ता पेशकार न्यायालय चकबन्दी, राम पुजारी संग्रह अनुसेवक दोषी पाये गये। डीएम के आदेश पर फर्जी नकल जारी कराकर लाभ उठाने वाले तीन व्यक्तियों अब्दुल खलील, अब्दुल सलीम पुत्रगण जाफर और मजीदुन्निशा पत्नी स्व जाफर निवासीगण ग्राम मानीगढ़ा, परगना सादुल्लानगर, तहसील उतरौला, जनपद बलरामपुर तथा तत्कालीन चकबन्दी अधिकारी बलरामपुर शिवमूरत सिंह, महेन्द्र गुप्ता पेशकार न्यायालय चकबन्दी, राम पुजारी संग्रह अनुसेवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है।


चकबंदी अधिकारी के खिलाफ शासन को भेजी जा रही चार्ज शीट: डीएम

प्रकरण में तत्कालीन चकबन्दी अधिकारी बलरामपुर शिवमूरत सिंह के खिलाफ शासन को चार्जशीट भी भेजी जा रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रकरण में अन्य व्यक्तियों की भी जांच कराई जा रही है। ऐसे मामले में किसी भी व्यक्ति को कतई बख्शा नहीं जाएगा। जिलाधिकारी ने चेतावनी दी है। कि कूट रचित काम करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाई की जाएगी।


गोण्डा से ब्यूरो रिपोर्ट शिव शरण

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