बड़ी बे आबरु होकर तेरे कूचे से हम निकले,वक्त है फूलो का सेज वक्त है काटो का ताज,किस घड़ी में कौन जाने वक्त का बदले मिजाज
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बड़ी बे आबरु होकर तेरे कूचे से हम निकले,वक्त है फूलो का सेज वक्त है काटो का ताज,किस घड़ी में कौन जाने वक्त का बदले मिजाज

 


प्रदीप बच्चन (ब्यूरो चीफ)

बलिया/ मऊ(:यूपी) यह हकीकत भरा तराना हूबहू रामपुर थानाध्यक्ष कंचन मौर्या पर सटीक बैठ रहा है।कानून को जूते की नोक पर रखने वाली मैडम शुक्रवार के दिन खुशगवार मौसम में मायूसी की डोली पर सवार कानून की तलवार का शिकार होकर रामपुर पुर कि विरासती सर जमी को हमेशा के लिए अलविदा कह गयी! मऊ जनपद की वरिष्ठ पत्रकार पूनम सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि इनके संरक्षण में अपराधी मस्त रहकर खुलेयाय थाने में चहलकदमी करते थे! दलाल थानाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर थाना चलाते थे! वर्षों से थाने में तैनात सिपाही इलाके में तबाही का हर रोज माहौल कायम किए हुए थे!जनता त्रस्त, अपराधी मस्त: होकर त्राही त्राही करती थी!,न्याय मायूसी में आकर दम तोड रहा था!अधिकारियो के आदेश को दर किनार कर मुस्कराती थी! लेकिन वक्त ने करवट बदला तो सब कुछ बदल गया,इनके संरक्षण में ही एसडीएम मधुबन को सरेआम वे आबरू काठतराव में करने की भरपूर कोशिश किया गया!,मामला यह गर्म ही हो रहा था की 25नवम्बर की मारपीट की घटना में घायल युवक ने दम तोड दिया जो आग में घी का काम किया, जब मामला उफान पर आया उनके संरक्षण दाता अधिकारी ने ही सबके सामने ऐलानिया हूंकार करती शेरनी को बेचारी बना दिया? पलक झपकते ही सारा रुतबा मिट्टी में मिल गया! उठ गया रामपुर से दाना पानी लाईन हाजिर होकर पश्चाताप के अश्कों से धूल रही है घमंडी चेहरा बहुत याद आयेगा रामपुर का तिलस्मी थाना!देखिए रामपुर के नवागत थानाध्यक्ष महोदय वर्षों से रामपुर थाने में तैनात भ्रष्टाचार की रोज न ई इबारत लिखने वाले पुलिस कर्मियों पर अंकुश लगा पाते हैं या फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ होती है। यह तो आने वाला समय बता देगा।

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