भड़ेवरा बाजार में रविवार दोपहर इकट्ठा हुई भीड़ अचानक उग्र हो गई। जब तक वहां के दुकानदार कुछ समझ पाते, दुकानों में पत्थर बरसने लगे। यह देखकर कुछ दुकानदार शटर बंद कर अंदर छिप गए तो कुछ दुकान छोड़कर भाग खड़े हुए। भीड़ के अचानक हमलावर होने से कई दुकानों के बाहर सजे अपने सामान भी दुकानदार नहीं हटा पाए।
सब्जी की दुकान लगाने वाले राम खेलावन पाल ने बताया कि वह बाजार में दुकान के बाहर सब्जी बेचते हैं। अचानक हुए घटनाक्रम में वह दुकान छोड़कर चले गए तो उपद्रव करने वाले दुकान का नुकसान करने के साथ ही गल्ले में रखी 10 हजार नकदी भी उठा ले गए। मिठाई की दुकान चलाने वाले सुशील पांडेय ने बताया कि पत्थरबाजी के कारण दुकान के साथ काउंटर क्षतिग्रस्त हो गया है। किसी तरह दुकान के अंदर छिपकर उन्होंने जान बचाई। प्रकाश मिश्र की बुक डिपो, श्याम नारायण मिश्र, दिनेश द्विवेदी, छोटेलाल और रमेश द्विवेदी आदि की दुकानों में भी पत्थरबाजी की गई। सभी ने किसी तरह छिपकर खुद को उपद्रवियों से बचाया।
सात बाइक की हुई पहचान, 33 के वारिस नहीं आए सामने
बवाल के बाद मौके से सीज की गई लावारिस मिली 40 बाइक में से सात की पहचान हो गई है। जबकि 33 के वारिस अब तक सामने नहीं आए हैं। पुलिस नंबर के आधार पर पता लगाने में जुटी रही कि आखिर लावारिस मोटरसाइकिलें किसकी हैं। मौके से बरामद बाइक के अलावा बवाल के दौरान जलाई गईं बाइक को भुंडा पुलिस चौकी पर रखवाया गया है। शुक्रवार देर शाम पुलिस ने जलीं हुईं मोटरसाइकिलों को जेसीबी की मदद से भुंडा चौकी में इकट्ठा किया। विदित हो कि उपद्रवियों ने 15 मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया था। इसमें कई राहगीर शामिल थे जो उपद्रव के दाैरान बाइक छोड़कर जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए थे। इसमें सोमवार को कई लोग भुंडा चौकी पहुंचे और अपनी बाइक की पहचान करने में जुटे रहे।
गिरफ्तारी की झूठी सूचना व्हाट्सएप पर फैलाकर भड़काया गया उपद्रव
बवाल मामले की प्रारंभिक जांच पड़ताल के दौरान एक अहम बात सामने आई है। पता चला है कि भीम आर्मी चीफ की गिरफ्तारी की अफवाह फैलाकर भीड़ को उकसाया गया। यह अफवाह एक व्हाट्सएप ग्रुप में फैलाई गई। मौके पर जुटे तमाम युवक इस ग्रुप में शामिल थे। पुलिस इसकी जांच पड़ताल में जुटी है।
सूत्रों का कहना है कि भीम आर्मी चीफ के एयरपोर्ट से लेकर सर्किट हाउस ले जाने तक की उनकी गतिविधियों की सूचना इस व्हाट्सएप ग्रुप पर प्रसारित की जा रही थी। एक दिन पहले इस पर ही सूचना देकर युवकों को भीम आर्मी चीफ के इसौटा गांव आने की सूचना दी गई थी। सुबह उनके एयरपोर्ट पहुंचने की जानकारी भी साझा की गई।
इसी सूचना के मिलने पर करछना समेत अन्य इलाकों से बड़ी संख्या में युवक हनुमानपुर मोरी चौराहे पर जुटे। दोपहर से जुटे युवक करीब दो-ढाई घंटे तक भीम आर्मी चीफ के आने का इंतजार करते रहे। इस दौरान ग्रुप पर आई सूचना देखकर लोग आक्रोशित हो उठे। इसमें बताया गया था कि भीम आर्मी चीफ को पुलिस ने सर्किट हाउस में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों का कहना है पुलिस व्हाट्सएप ग्रुप के बारे में गोपनीय तरीके से जानकारी जुटाने में लगी है। मामले में डीसीपी यमुनानगर विवेक चंद्र यादव का कहना है कि पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। इसमें जिन भी लोगों की संलिप्तता सामने आएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की चूक से बेकाबू हुआ बवाल
भड़ेवरा बाजार में हुए बवाल की एक बड़ी वजह स्थानीय पुलिस की चूक मानी जा रही है। रविवार की सुबह से ही न सिर्फ करछना बल्कि आसपास के कई इलाकों से क्षेत्र में भीड़ जुटती रही, लेकिन थाना प्रभारी बेखबर बने रहे। सुरक्षा व्यवस्था महज चौकी पुलिस के भरोसे छोड़ दी गई। बवाल शुरू होने के बाद थाना पुलिस हरकत में आई, लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी।
सूत्रों के अनुसार, चौकी के पुलिसकर्मियों ने जब भीड़ के उग्र होने और जाम लगाने की सूचना थाने को दी, तब जाकर थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। इसके बाद बेकाबू होती स्थिति को देखते हुए आसपास की फोर्स बुलाई गई, लेकिन भीड़ को काबू नहीं किया जा सका। फिर तीन कंपनी पीएसी लेकर पहुंचे अफसरों ने हालात को मशक्कत के बाद काबू किया।
घटना को लेकर स्थानीय पुलिस सवालों के घेरे में है। सवाल यह कि निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी दो-ढाई हजार की संख्या में पहुंचे युवकों को एक जगह जमा क्यों होने दिया गया। भीम आर्मी चीफ को एयरपोर्ट व फिर सर्किट हाउस में रोके जाने की सूचना सोशल मीडिया पर दोपहर 12 बजे से ही वायरल होने लगी थी। इसके बावजूद करछना पुलिस क्यों अनजान बनी रही। मौके पर लगातार तनावपूर्ण होती वास्तविक स्थिति के बारे में आला अफसरों को सूचना देकर समय रहते जरूरी कदम क्यों नहीं उठाया गया।
खुफिया इकाई भी हुई नाकाम
भड़ेवरा बाजार की घटना का एक कारण स्थानीय खुफिया इकाई की विफलता भी मानी जा रही है। आरोप लग रहे हैं कि स्थानीय अधिसूचना इकाई को न तो भीड़ जुटने की कोई पूर्व सूचना थी। न ही वह उपद्रव की आशंका भांपने में सफल हो पाई।