केवल अवैध संबंध आत्महत्या के लिए उकसाने का पुख्ता सबूत नहीं', हाईकोर्ट की टिप्पणी; पढ़ें क्या है मामला
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केवल अवैध संबंध आत्महत्या के लिए उकसाने का पुख्ता सबूत नहीं', हाईकोर्ट की टिप्पणी; पढ़ें क्या है मामला



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, केवल अवैध संबंध होना किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का पुख्ता सबूत नहीं है। न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने महोबा के एक मामले में याची कमल भरभुजा को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। भरभुजा पर एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था, जिसके साथ उसके कथित तौर पर अवैध संबंध थे। महोबा जिले के कोतवाली नगर में कमल पर महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज है। ट्रायल कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। अधिवक्ता ने दलील दी कि शुरुआत में कमल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, जांच में यह बात सामने आई कि महिला ने वास्तव में आत्महत्या की थी। पुलिस जांच में भी यह पता चली कि कमल के महिला के साथ अवैध संबंध थे और वह शादी का दबाव डाल रही थी। इसी के आधार पर मामले को बाद में आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत बदल दिया गया था।

आगे दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ उकसाने के आरोप निराधार हैं। उन्होंने जोर दिया कि अवैध संबंधों की बात मान भी ली जाए तो यह साबित नहीं होता कि महिला ने उनके मुवक्किल के उकसाने पर ही आत्महत्या की। वकील ने यह भी बताया कि कमल का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वह एक जनवरी 2025 से जेल में बंद है।

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ अवैध संबंध होना यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि अपीलकर्ता ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया था। इन तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 24 जनवरी 2025 के आदेश को रद्द कर दिया। 

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