सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो,तेरे रवैये से जुदाई की महक आती हे।
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सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो,तेरे रवैये से जुदाई की महक आती हे।

 


राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदीश सिंह के अनमोल विचार 

प्रदीप बच्चन( ब्यूरो चीफ)

बलिया(यूपी) बदलता वक्त जिस तरह से रिश्तों की मर्यादा का कत्लेयाम कर रहा है उससे तो लगता है सम्बन्धों के बाजार में भरोसे के तराजू पर हर किसी के वजन का माप भी जरूरी हो गया है।कभी सात जन्मों तक साथ रहने की किमवदन्ती समाज में प्रचलित रही और उसी आवरण में सामाजिक पर्यावरण सुरक्षित रहकर मानवीय चेतना जागृत होती रही है।मगर अब तो पुरूष प्रधान समाज में हाहाकार मच गया, त्रिया राज की शुरूआत है गयी,! रसड़ा तहसील पत्रकार सैयद सेराज अहमद ने जानकारी देते हुए हमारे वरिष्ठ संवाददाता-प्रदीप बच्चन को बताया कि बलिया जनपद में स्थापित इकाई"राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत" के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदीश सिंह जी ने ने अपनी लेखनी के माध्यम से बताया कि गुलामी का दौर‌ शुरु हो गया!रिश्तों की मर्यादा हर रोज कलंकित हो रही है।बे आबरु होती ब्यवस्था में आस्था भी भ्रमित होकर कलंकित हो रही है।कभी वक्त था अतिथि देवो भव: मातृ देवो भव:,पितृ देवो भव: पति परमेश्वर भव:की सुक्ती पर ही लोगों की आशक्ति हुआ करती थी, लेकिन अब तो सब कुछ बदल गया। पति ब्रता नारियों के सम्मान में जमाना सदियों से सर झुकाता है। उनके शौर्य का गुणगान करता है !अभिमान करता है!मगर अब नहीं साहब महज एक दशक पहले तक दहेज के लिए पुरूष प्रधान समाज जिन्दा बहुओं को जलाने के लिए कुख्यात हो गया था! मगर 

अब उल्टा हो गया जागरूकता इस कदर ऊफान पर है की नीचता की पराकाष्ठा पर पहुंच कर नारी नग्न तांडव कर रही है।अब बहुओं को जलाने की घटना कम पतियों को सताने की खबरें तूफान सरीखे समाज में दहशत पैदा कर रही है!अब अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी की कहानी बदल गयी है।जबसे पाश्चात्य शैली में आधुनिकता का सैलाब भारतीय संस्कृति को रौंदते आज की युवा पीढ़ी को दिग्भ्रमित कर अनिश्चितता के दौर में धकेल दिया तब से हर घर का सुख चैन दर्द के आवरण से आवद्ध हो गया है।घर घर जो असीम शान्ती इस भारतीय परम्परा के लिए शास्वत सम्बृधि लिए मुस्कराती थी संयुक्त परिवार प्रतिष्ठा का पंख लगाकर उड़ता था आज की वर्तमान समय में धूल‌‌ धूसरित हो चुका है!हर कोई हसरत भरी नजरों से गुजरे कल की हकीकत को याद कर अश्कों से भीगे चेहरे के साथ सिसकता है!आईए कलयुग की कलंकित होते कुछ रिश्ते सामाजिकता के धरातल जिस धृष्टता के साथ कदम ताल कर रहे उसकी कुछ बानगी दे रहा हूं जो इस आधुनिक समझदार समाज में भ्रष्ट हो चुकी बुद्धि का अजूबा नमूना है। अखबारों में हेडलाइन बन रहा है दामाद संघ सांस फरार!,जीजा संग साली फरार!,देवर संग भाभी फरार! जेठ संग देवरानी फरार!,बेटी के साथ बाप ने किया बलात्कार!क्यों आप भी चौंक गये होंगे लेकिन आज की यह हकीकत चिल्ला चिल्ला कर तूफान मचाए है।समय बदल रहा है सावधान हो जाएं वर्ना सामाजिक मर्यादा कलंकित कभी भी हो सकती है।सबका मालिक एक ऊं साई राम🌹

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